धूँधट हटाकर बादलों का चाँद ने,
धरती को देखा तो लगी वो झूमने,
खिले हैं फूल और छिटकी हुई है चाँदनी,
पवन के वेग से उड़ती हुई है औढ़नी।
सुरीली तान छेड़ी बाँसुरी पर,
सजे सपने पलक पालकी पर,
झंकार वीणा की मधुर है रागिनी,
ढोल की थाप पर है लय बाँधनी।
संगीत लहरी पर बजे जब धूँधरू,
मन ने कहा आ मै भी थोड़ा झूमलूँ,
नशीली रात है और पूनम का चाँद है,
झरने सी झरती चाँदनी मेरे साथ है।
प्रतिबिम्ब शशि का मझधार मे,
एक चाँद धरती पर एक आकाश मे,
बहुत दूर नदिया मे पड़ी जो नाव है,
किनारे जा लगेगी उसे ये आस है।
SAHAJ SHABD V SAHAJ ABHIVYAKTI DONON HEE KHOOB HAIN !