कविता

मोदी का युद्ध है चोरों से

-विपिन किशोर सिन्हा-
poem

पुरखों का युद्ध था गोरों से, मोदी का युद्ध है चोरों से।
हे भारत मां के अनुपम सुत।
जन-जन की आंखों के तारे।
नर इंद्र तुम्हीं दामोदर हो।
हे कोटि जनों के तुम प्यारे।
गांधी ने अलख जगाई थी।
सरदार ने राह दिखाई थी।
उस मिट्टी में तुम पले बढ़े।
है काम तेरे न्यारे-न्यारे।
हे कोटि जनों के तुम प्यारे।
जन-जन की आंखों के तारे |

हे महामना के मानस पुत्र।
सन्देश तुम्हीं विवेका के।
बाबा की धरती पर स्वागत।
करते काशीवासी सारे।
हे कोटि जनों के तुम प्यारे।
जन-जन की आंखों के तारे।
पुरखों का युद्ध था गोरों से।
खंडित आज़ादी पाई थी।
संघर्ष तुम्हारा चोरों से।
हे सुराज्य के रखवारे।
हे कोटि जनों के तुम प्यारे।
जन-जन की आंखों के तारे।
सूरज के आते ही नभ में।
धरती आलोकित होती है।
आशा विश्वास करोड़ों के।
हर लो तुम सारे अंधियारे।
हे कोटि जनों के तुम प्यारे।
जन-जन की आंखों के तारे।