सूरज का स्वरूप वही है;
केवल उसका प्रकाश नया है,
किरणों का एहसास नया है.
दिन वही है, रात वही है,
इस दुनिया की, बात वही है;
केवल अपना आभाष नया है ,
जीवन में कोई खास नया है.
रीत वही है, मीत वही है,
जीवन का संगीत वही है;
केवल उसमें राग नया है,
मित्रों का अनुराग नया है.
नाव वही है, पतवार वही है,
बहते जल की रफ़्तार वही है;
केवल नदी का किनारा नया है,
इस जीवन का सहारा नया है.
खेत वही है, खलिहान वही है,
मेहनतकश किसान वही है;
केवल खेतों का धान नया है,
धरती का परिधान नया है.
मन वही है, तन वही है,
मेरा प्यारा वतन वही है;
केवल अपना कर्म नया है,
मानवता का धर्म नया है.
प्रस्तुतकर्ता —– अशोक बजाज
अपनी रचना मुझे भेजिए मेरे प्रकाशन “जीवन संचार” मैं प्रकाशित करने के लिए जो की निशुल्क वितरित की जाती है और जीवन दर्शन ट्रस्ट का एक उपक्रम है
नेता जी जय श्री राम नव बरस की हार्दिक बधाई ………………………………………
लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार
वाह, ग्रामीण परिवेश में पगी सुंदर कविता है
@ डॉ. मधुसूदन जी ,
कृपया क्षमा करें , आपने बहुत ज्यादा तारीफ कर दी ,शुक्रिया .
@ अभिषेक पुरोहित जी ,
धन्यवाद !
मंच और श्रोताओं पर, छा जाने वाली कविता है, यह।
अंत्यानुप्रास सधे हैं।
प्रति ध्वनित होने वाली प्रास-रचना, तालियों से आपका स्वागत ही कराएगी।
धन्यवाद।
sundar