कविता:योग्य उम्मीदवार की त‌लाश‌-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

योग्य उम्मीदवार की त‌लाश‌

पार्टी के सदस्य पदाधिकारी

पशोपेश में थे

कुछ पद के नशे में थे

कुछ होश में थे

संसदीय क्षेत्र के लिये

जीतने वाले उम्मीदवार का

चुनाव होना था

कौन कितना ताकत्वर है

कितना खर्च करेगा

इस बात का भाव ताव

तै होना था

“घसीटालालजी ठुनठुना क्षेत्र के लिये

सर्व श्रेष्ठ उम्मीदवार होंगें”

पार्टी के महामंट्री ने

जब दी सलाह

तो पार्टी के सद्स्य

करने लगे वाह वाह

किंतु पार्टी अध्य‌क्ष तेल में डूबे

जलते पलीते से भड़क गये

उनके मिजाज पत्थर से पिटे

शीशे की तरह तड़क गये

“अबे महामंत्री तू उल्लू है

निरा गधा है

तुझे नहीं मालूम

ठुनठुना से विरोधियों ने

माननीय दूजेलाल को खड़ा किया है

क्या तुम जानते हो

दूजेलाल की लाइफ हिस्ट्री क्या है

बाडी लेंग्वेज क्या है

केमिस्ट्री क्या है?

उनका बायोडाटा सुनकर दंग रह जाओगॆ

उनकी बहादुरी के किस्से

सुन भी नहीं पाओगे

उनके सिर पर चार कत्ल के इल्जाम हैं

कई सालों से फरार हैं

उन पर लाखों के इनाम हैं

सत्ता ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ

बलात्कारी घोषित किया है

इसी कारण उन्हें बलात्कार रत्न से

सम्मानित किया है

सत्तरह बलात पुण्य कर्मों के लिये

नोबेल पुरस्कार पाने के लिये

उनका नाम प्रस्तावित किया है

उन्होंने तेरह बैंक लूटे हैं

पच्चीस बार जैल गये हैं

छब्बीस बार जमानत पर छूटे हैं

सब कष्ट हंसते हंसते झेल गये हैं

देश के आतंकवादियों से

उनके फेमिली अंतरंग संबंध हैं

अफीम गांजा चरस ब्राउन सुगर

और हेरोइन में फिफ्टी परसेंट की

अलिखित अनुबंध हैं

वे नशीले पदार्थ ऐसे बेचते हैं

जैसे आलू टमाटर बिकते हैं

श्रीमान दूजे लाल को देखें तो

मूछों के कारण वीरप्पन दिखते हैं”

” किंतु सर घसीटालाल भी

दूजे लाल से कम नहीं हैं

हिंदुस्तान तो क्या सारी दुनियां के

किसी व्यक्ति में उनसा दम खम नहीं है ”

महामंत्री ने शांत भाव से कहा

तो अध्य‌क्ष फिर हत्थे से उखड़ गया

” “अबे क्या है घसीटा के पास

तीन क्त्ल दो बलात्कार

और एक गैर सरकारी बैंक की लूट

कौन डालेगा उसे घास

कमवक्त‌ एक सरकारी बैंक तो लूट नहीं सका

कत्ल करने के बाद दो माह तक

जमानत पर छूट नहीं सका”

\ “सर आप गलत आंकलन कर रहे हैं

आनरेबिल घसीटालाल को

ठीक से समझ नहीं रहे हैं

उनपर भरोसा नहीं कर रहे हैं”

महामंत्री बिलबिलाये तो अध्यक्ष

ने अपने कान पूंछ हिलाये

चुनाव आवेदन जमा करने के लिये

अभी एकमाह बाकी है

घसीटा के लिये यह समय काफी है

वह दूजे के सभी आंकड़े पार कर लेंगे

अपना आपका और हम‌ सबका उद्धार कर देंगे

वे हज़ारों बलात्कार कर सकते हैं

सैकड़ों बैंक लूट सकते हैं

क्या परसों का समाचार नहीं पढ़ा

दो गुटों में कैसा हुआ था झगड़ा

जो सात सौ दस आदमी कटे थे मरे थे

उनके शिलान्यास के पत्थर तो

घसीटा ने ही धरे थे

ऊपर से तो पाक साफ था

पर भीतर से तो उसका ही हाथ था

टी वी में नहीं देखा सामूहिक बलात्कार

किस शालीनता से हो रहे थे

नेता हंस र्हे थे पब्लिक के आदमी रो रहे थे

दो हज़ार वीरांगनाओं का बलात्कार

है न चमत्कार

यह आज का अखवार बांचिये

अध्य‌क्षजी घसीटा लाल की

योग्यताओं को ठीक से जांचिये

बलात्कार के अश्वमेघ में

घसीटा का घोड़ा विश्व विजयी हुआ है

उनकी बराबरी में अभी तक

कोई नहीं खड़ा हुआ है”

“मगर घसीटा का स्विस बेंक में

कितना माल है कितना जमा है

सर दूजेलाल का तीन अरब‌ डालर है

गुंडों की फौज है तस्करों का मजमा है”

अध्य‌क्ष् बड़े विश्वास से यह बोला

तो महा मंत्री ने अपना मुंह खोला

“घसीटेलाल ने स्विस बेंकों में

माल जमा नहीं करवाया है

डाकू तस्कर लुटेरों से माल खरीदा है

धरती में गड़वाया है

हज़ारों हीरे लाखों सोने के

बिस्कुट जमीन में दफन हैं

वैसे यह माल निकालकर स्विस बेंक

में जमा करने का मन है”

“अबे महा मंत्री यह कितने का होगा

क्या तू बता पायेगा ठीक ठीक बोलेगा”

अध्यक्ष दहाड़ा तो महा मंत्री

भी पढ़ने लगा पहाड़ा

“करीब बीस अरब डालर का अनुमान है सर

घसीटा हमारे क्षेत्र का हनुमान है सर

इतने योग्य उम्मीदवार को टिकिट नहीं देंगे तो

हार का खतरा मोल लेगे”

अध्य‌क्ष प्रसन्न‌ हो गया

घसीटा को टिकिट देने का डिसीज़न हो गया

किंतु शक की सुई फिर घूमी

थोड़ा धरती चूमी फिर आसमान चूमी

घसीटा दसवीं पास है

सर दूजेलाल आठवीं फेल हैं

बात दूजे लाल के पक्ष में है

घसीटा के लिये बेमेल है

दसवीं पास वाले को कैसे टिकिट दें

आठवीं पास वाले से

कैसे कमतर आंकें कैसे निपटें

जितना कम पढ़ा होता है

उतना ही योग्य होता है लायक होता है

पार्टी का यही नियम टिकिट वितरण में

कारगर होता है सहायक होता है

“किंतु घसीटा दसवीं पास नहीं कर पाया है

उसके मां बाप ने झूठा सार्टीफिकेट बनवाया है

यथार्थ में वे अंगूठा टेक हैं

प्योर इंडिया मेक हैं

इसीलिये उन्हें ही टिकिट दी जाये

आईये इसी बात पर

एक एक पैग व्हिस्की हो जाये”

अध्यक्ष का चेहरा खिल गया था

क्योंकि योग्य उम्मीदवार मिल गया था|

 

2 COMMENTS

  1. आपने वही क्यों दोहराया जो अखबारो ने रोज दोहराया.

    हमने तो आपसे कुछ नये की आशा की थी.

    सत्ता में एक अच्छे इन्सान के सपनो की.

    दरकार की थी।.

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