कवि कविता कम,चुटकले ज्यादा सुनाते है
वे हंसाते कम है,तालियाँ ज्यादा पिटवाते है
कवि मुहँ लटका कर,मंच पर आकर बैठ जाते है
चूकि आने से पहले घरवाली से पिट कर आते है
कवि कल्पना के पास है पर कल्पना में खोये रहते है
वे रात को जगते रहते है,पर दिन में सोये से रहते है
कवि कविता क्यों करते है,जब “कविता” पास ही होती है
करी इस पर रिसर्च,कविता ही “कविता” की स्रोत होती है
कवि रोटी के कम ,सम्मान के अधिक भूखे होते है
जरा इनको शाल उढ़ा कर देखो कितने खुश होते है
कवि उन पंक्तियाँ बार बार पढता है,जिस पर तालियाँ बजती है
जिन पंक्तियों पर तालियाँ नहीं बजती उनपर मुहं लटकाये रहता है
रस्तोगी भी कवियों में बैठकर,इनकी विशेषता ढूंढता रहता है
इसलिए इनकी विशेषताओ को एक कविता में पेश करता है
आर के रस्तोगी