पीओके पर सेना का आक्रामक रुख

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प्रमोद भार्गव 

भारतीय सेना का आत्मबल और दृढ़ इच्छा शक्ति जता रहा है कि वह नरेन्द्र मोदी सरकार से सलाह मशविरा कर पाकिस्तान से संबंधित नीति को आगे बढ़ा रही है। थल सेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवाणे की पत्रकार वार्ता से यह साफ भी हो चुका है।पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर उन्होंने इसका संकेत भी दिया। नरवाणे ने कहा, ‘जहां तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का सवाल है तो कई साल पहले एक संसदीय संकल्प में कहा गया है कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न भाग है। यदि संसद चाहती है कि पीओके का भू-भाग हमारा होना चाहिए, यदि इस सिलसिले में सेना को संसद का आदेश मिलता है तो हम उस पर निश्चित उचित कार्रवाई करेंगे।’ सेना प्रमुख ने यह दो टूक आक्रामकता पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार के कार्यकाल के समय संसद में इस उद्देश्य के लिए पारित संकल्प में कही है। संसद में  यह संकल्प  पारित किया गया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ वह भू-भाग जो पाकिस्तान ने चीन को बेच दिया है, अर्थात ‘अक्साई चीन’ भी हमारा है। इस प्रस्ताव ने संपूर्ण कश्मीर पर हमारे दावे को मजबूत किया था लेकिन इस दावे को नरेन्द्र मोदी के पहले की सरकारों ने भुला दिया था। पिछले कुछ समय से पीओके पर भारतीय संसद और राजनीति का रवैया दृढ़ दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर अपना दो टूक रुख गृहमंत्री अमित शाह भी जता चुके हैं। वह संसद में कह चुके हैं कि ‘मैं जब जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं, तो इसमें पीओके और अक्साई चीन भी शामिल हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए हम अपने प्राण भी न्यौछावर करने को तैयार हैं।’ संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री रहने के दौरान भारत गुलाम कश्मीर पर अवैध कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तान को तुरंत इसे खाली करने की चेतावनी दे चुका है। संसद में हुई चर्चा से यह पैगाम पूरी दुनिया में गया है कि पीओके समेत संपूर्ण कश्मीर भारत का अभिभाज्य अंग है। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद लाल किले की प्राचीर से कड़े लहजे में पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, गिलगिट और ब्लूचिस्तान में जो अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं, वे बर्दाश्त से बाहर हैं। पाकिस्तान को आईना दिखाने की दृष्टि से एक सर्वदलीय बैठक में मोदी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा माना। अब तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग भी अलगाव का झंडा उठा चुके हैं। विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।  यह सब जानते हैं कि गिलगिट और ब्लूचिस्तान पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया है। वह वहां  राजनीतिक अधिकारों की मांग कर रहे लोकतांत्रिक समाज का दमन कर रहा है। यह आग अस्तोर, दियामिर और हुनजा समेत उन सब इलाकों में सुलग रही है, जो शिया बहुल हैं। सुन्नी बहुल पाकिस्तान में शिया और अहमदिया मुस्लिमों समेत सभी धार्मिक अल्पसंख्यक प्रताड़ित किए जा रहे हैं। अहमदिया मुस्लिमों को 1947 में गैर मुस्लिम घोषित कर दिया गया था। तब से वे पाकिस्तान में मजहबी चरमपंथियों के निशाने पर हैं।  पीओके की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान जहां भारत के खिलाफ शिविर लगाकर गरीब व लाचार मुस्लिम किशोरों को आतंकवादी बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है, वहीं ब्लूचिस्तान की भूमि से खनिज व तेल का दोहन कर अपनी आर्थिक स्थिति बहाल किए हुए है। यहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं है। गरीब महिलाओं को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। 50 फीसदी नौजवानों के पास रोजगार नहीं हैं। 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। 88 प्रतिशत क्षेत्र में पहुंच मार्ग नहीं हैं। बावजूद पाकिस्तान पिछले 72 साल से यहां के लोगों का बेरहमी से खून चूसने में लगा है। पीओके के निकट खैबूर पख्तूनख्वा प्रांत और कबाइली इलाकों में पाकिस्तानी फौज और तालिबानियों के बीच अक्सर संघर्ष जारी रहता है, इसका असर गुलाम कश्मीर को भोगना पड़ता है। नतीजतन यहां खेती-किसानी, उद्योग-धंधे, शिक्षा-रोजगार और स्वास्थ्य-सुविधाएं और पर्यटन सब चौपट है। यहां के लोग भारत की ओर ताक रहे हैं। ब्लूचिस्तान ने 72 साल पहले हुए पाकिस्तान में विलय को कभी स्वीकार नहीं किया। 1999 में परवेज मुशर्रफ सत्ता में आने के बाद बलूच भूमि पर सैनिक अड्डे खोले गए। इसे बलूचों ने अपने क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश माना और संघर्ष तेज हो गया। ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी बनी। वह अलग होने के लिए आंदोलनरत है।  2001 में यहां पाकिस्तानी फौज ने 50 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया। 2006 में 20 हजार सामाजिक कार्यकर्ताओं को अगवा कर लिया गया। उनका आज तक पता नहीं है। 2015 में 157 लोगों के अंग-भंग किए गए। जाने-माने एक्टिविस्ट बाबा जान इन मुद्दों को विभिन्न मंचों से उठाते रहते हैं। पिछले 17 साल से जारी दमन की इस सूची का खुलासा एक अमेरिकी संस्था ‘गिलगिट-ब्लूचिस्तान नेशनल कांग्रेस‘ ने किया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और ब्लूचिस्तान में लोगों पर होने वाले जुल्म एवं अत्याचार के बाबत पाकिस्तान को दुनिया के समक्ष जवाब तो देना ही होगा, उसे भारत के जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा मानते हुए मुक्त भी करना होगा ?

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