सियासी चाल बनाम बड़ा भूचाल।

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यह पूरी तरह से सत्य है कि राजनीति का ऊँट सदैव अपना रूप बदलता रहता है। सियासत के समीकरण के अनुसार सियासी ऊँट कब कौन सा रूप धारण कर ले कोई नहीं जानता। क्योंकि सियासत का पूरा खेल समीकरण पर ही निर्भर होता है जिसका उद्देश्य सत्ता तक किसी प्रकार से अपनी पहुँच को बनाना होता है। इसी कारण सियासत के सभी मंझे हुए खिलाड़ी सदैव नया से नया प्रयोग करते रहते हैं। जिसके अपने अपने दूरगामी परिणाम होते हैं। बंगाल की धरती पर सियासत की जंग एक बार फिर से गर्म होने की दिशा में चल पड़ी है। क्योंकि सौरव गांगुली पर भाजपा पहले भी दाँव लगा रही थी लेकिन सौरव इसके लिए तैयार नहीं हुए जोकि पीछे हट गए। जिसके बाद बंगाल का विधानसभा चुनाव हुआ और भाजपा सत्ता की कुर्सी तक पहुँचने में सफल नहीं हो सकी जिसका परिणाम यह हुआ कि ममता पुनः सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हो गईं। इसलिए सियासत के जानकारों का मानना है कि भाजपा को बंगाल में एक प्रमुख चेहरे की खोज है। जिसके आधार पर बंगाल की सियासत को साधा जा सके।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा सौरव गांगुली के घर रात्रिभोज करने के बाद फिर से दादा के राजनीति में आने की अटकलें शुरू हो गई हैं। इसे और बढ़ाते हुए उनकी पत्नी डोना गांगुली ने कहा कि सौरव अगर राजनीति में आएं तो अच्छा काम करेंगे। वह ऐसे भी अच्छा काम कर रहे हैं। अमित शाह रात्रिभोज करने सौरव के घर आए तो उनके साथ बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजुमदार पार्टी के राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता और आइटी सेल के प्रमुख व बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय भी पहुंचे थे। अमित शाह के साथ बंगाल भाजपा के शीर्ष नेताओं के सौरव के घर जाने के कारण राजनीतिक चर्चा का बाजार एक बार फिर से गर्म है। पिछले साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भी सौरव के राजनीति में आने के कयास लगे थे। हालांकि सौरव सधे हुए अंदाज में यही कहते आए हैं कि उनका राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक मनोरंजन ने सौरव गांगुली पर निशाना साधते हुए कहा सौरव ने एक चरम बंगाली बांग्ला भाषा साहित्य व संस्कृति विरोधी और बंगाल को बांटने की साजिश रचने वाले व्यक्ति को अपने घर में बुलाकर उसकी खातिरदारी की है यह देखकर मुझे सौरव पर नहीं बल्कि जो लोग सौरभ को बंगाल का आइकन समझने की भूल करते हैं हमें ऐसे लोगों पर दया आ रही है। उसके बाद टीएमसी के विधायक मनोरंजन ब्यापारी ने कहा सौरव को लेकर मेरे मन में कभी उन्माद नहीं रहा। वह बल्ले से गेंद को अच्छे से मारते थे लेकिन उसका मतलब यह नहीं कि उससे देश जाति व लोगों का कोई भला हुआ हो। उन्होंने उससे बस करोड़ों रुपये कमाए हैं। सौरव को दरअसल जरुरत से ज्यादा प्यार मिल गया है।
दरअसल अमितशाह का बंगाल भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ सौरव के घर आने के कारण कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। अमित शाह पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता के काशीपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) कार्यकर्ता अर्जुन चौरसिया की मौत की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बंगाल में हिंसा की संस्कृति और भय का माहौल है। भाजपा जघन्य अपराध के दोषी के लिए कानून की अदालतों से कठोर सजा की मांग करेगी गृह मंत्री ने कहा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपने तीसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा किया जिसमें अपराध ही अपराध है। अब चौरसिया की हत्या का मामला आया है केंद्रीय गृह मंत्रालय चौरसिया की मौत के ममाले को गंभीरता से ले रहा है और इस पर रिपोर्ट मांगी है गृह मंत्री ने कहा कि चौरसिया के परिवार ने शिकायत की थी कि उनका शव जबरन ले जाया गया। इस बीच टीएमसी ने दावा किया कि चौरसिया भाजपा से नहीं बल्कि तृणमूल से जुड़े थे शाह से पहले घटनास्थल का दौरा करने वाले टीएमसी के स्थानीय विधायक अतिन घोष ने दावा किया कि चौरसिया तृणमूल कांग्रेस से जुड़े थे और उन्होंने हाल में हुए कोलकाता नगर निगम चुनावों के दौरान इसके लिए प्रचार भी किया था जिससे उन्हें स्थानीय भाजपा के एक वर्ग की नाराजगी का सामना करना पड़ा।
एक बार फिर से बंगाल की राजनीति में उलट फेर होने का दृश्य दिखाई देने लगा है। क्योंकि बंगाल की राजनीति में दीदी बड़ी ही मजबूती के साथ लगातार टिकी हुई हैं। भाजपा के द्वारा तमाम तरह के राजनीतिक दाँव पेंच के बावजूद भी दीदी को बंगाल की सत्ता से हटा पाना भाजपा के लिए अब तक की दूर की कौड़ी रही है। क्योंकि, बंगाल की धरती पर भाजपा का कोई भी ऐसा नेता नहीं है जोकि मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में दीदी का मुकाबला कर सके शायद इसी की भरपाई करते हुए भाजपा फिर से अपने दाँव आजमाना चाह रही है। तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी की प्रमुख तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देने वाले के रूप में सम्भवतः सौरव को पेश किए जाने की जद्दोजेहद जारी है। जिसके लिए अमित शाह लगातार प्रयास भी कर रहे हैं। दरअसल पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव 2021 में भाजपा सत्ता तक पहुँच पाने में सफल नहीं हो पाई जिसके बाद फिर से एक बार सियासी समीकरणों के फिर से नए सिरे से बुनने का कार्य शुरू हो गया है।
बंगाल के सियासी समीकरण को देखें तो मुकुल रॉय जोकि वर्ष 2017 में ममता बनर्जी की ही पार्टी से टूटकर भाजपा में आए थे वह फिर से अपनी पुरानी पार्टी टीएमसी में वापस चले गए। भाजपा को बंगाल में एक मजबूत चेहरे की दरकार है जोकि प्रदेश में भाजपा का एक मजबूत चेहरा बनकर जनता के सामने अपनी छपि को प्रस्तुत कर सके। जिसके बल-बूते भाजपा ममता बनर्जी से टक्कर का मुकाबला कर सके। क्योंकि टीएमसी के कई नेता बंगाल भाजपा इकाई में शामिल हुए थे लेकिन बंगाल के चुनाव के बाद उनमें से अधिकतर नेता पुनः टीएमसी में वापस चले गए जिससे कि बंगाल भाजपा की इकाई को राजनीतिक रूप से नुकसान हुआ। इसलिए भाजपा यह चाहती है कि किसी प्रकार से बंगाल की सत्ता तक पहुँचने सफलता हासिल की जाए जिससे कि संगठन को बंगाल में और मजबूत किया जा सके।

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