“रेप कैपिटल” में बैठे सियासी नुमाइंदों – ख़तरा है, संभल जाओ !

2
178
delhi…..लीक से हटकर

हिन्दुस्तान के नीति-नियंताओं का दावा है कि — दुनिया में भारतवर्ष एक बढ़ती हुई आर्थिक ताक़त है ! एक ऐसी ताक़त…जिसको नज़रंदाज़ करने का ज़ोखिम , दुनिया का बड़ा से बड़ा बनिया नहीं उठा सकता ! मगर ..ख़ास बात ये है कि हमारे मुल्क के मसीहा इन्हीं बनियाओं के दम पर देश की तरक्की का आंकड़ा पेश कर इतरा रहे है ! मगर मामला ज़ुदा-ज़ुदा सा है ! सड़कों पर जनाक्रोश और बिना नेता के क्रान्ति-दर-क्रान्ति जैसा माहौल पैदा कर देने पर आमादा नौजवान वर्ग, जो बुनियादी तरक्की की पोल खोलता है ! …. अब आइये देखते हैं और जायज़ा लेते हैं ..कि …ऐसा क्यों हो रहा है ….थोड़ा नज़र डालें  अपने मुल्क की हकीकत का …..दिल्ली इस देश की राजधानी है , लेकिन अब लोग इसे “रेप कैपिटल” कह कर बुलाते हैं ! इस राजधानी में इस देश को चलाने वाले सत्तापक्ष और विपक्ष के तमाम बड़े नेता बैठते हैं ! इसी राजधानी में सड़क पर चलती बस में एक लड़की के साथ कुछ दरिन्दे बलात्कार करते हैं , लडकी जीना चाहती थी …मगर…..मर गयी ! ये कोई पहली घटना नहीं है ! दिल्ली में बलात्कार और अपराध का किस्सा बयाँ करने वाले सैकड़ों न्यूज़-पेपर मौजूद हैं …जो हर रोज़ दिल्ली में होने वाली अपराधिक घटनाओं का आंकड़ा पेश करते रहे हैं ! रोज़ाना कई ख़बर….और सिलसिला सालों से जारी है ! कितनो को सज़ा मिली , इसका भी रिकॉर्ड मांग कर देख लीजिये ! दिल्ली में क़ानून-व्यवस्था से खौफ़ खाने वाले अब वही लोग बचे हैं , जो पूंजी से कमज़ोर हैं या अपराध के बाद सज़ा से डरते हैं ! जिस बस के ड्राइवर और उसके साथियों ने ये अपराध किया…..वो कोई अपने दम पर नहीं किया, ये तो वो शह है ….जो पीछे खड़े होकर बेख़ौफ़ रहने का हौसला देती है ! दिल्ली या दिल्ली से सटे इलाकों का आप जायज़ा , गर, आप लें …तो….किसी भी चौराहे से इस तरह का नज़ारा दिखता है ! रेड लाईट पर खड़े लोग बेख़ौफ़ होकर रेड लाईट पार करते हैं ! बिना किसी अनुशासन के गाडी ड्राइव करते हैं….हर तीसरी बात में माँ-बहन की गाली ज़बान पर रहती है ! कब-कौन रिवॉल्वर निकाल कर तान दे पता नहीं…..प्राइवेट बसों के ड्राइवर और कंडक्टर इस तरह बात करते हैं, मानों गुंडई करने का सरकारी लाइसेंस उन्हें हासिल है ! प्रौपर्टी डीलर्स और बिल्डरों का खौफ़ तो पूरे एन.सी.आर. में हैं ! दिल्ली और दिल्ली से सटे इलाके में इनसे उलझने की हिम्मत तो पुलिस-वालों में तक में नहीं है ! अब ज़रा देश के दूसरे हिस्सों की बात करें…. हर साल सैकड़ों लड़कियों के साथ बलात्कार होता है ! पर कार्यवाही के नाम पर “देख रहे हैं-सुन-रहे हैं-कर रहे हैं” वाला डायलॉग…… राज्यों की विधान-सभा और लोकसभा में बैठने वाले ज़्यादातर प्रतिनिधी…..अपने-अपने इलाके के “दादा” ! इन दादाओं से ना तो कोई कमज़ोर बाप अपनी बेटी के लिए न्याय मांगने की जिद कर सकता है और ना हिम्मत ! शहर का दरोगा और अधिकारी इनका चमचा होता है ! ह्त्या के मामले में भी देश के दूसरे हिस्सों की तस्वीर भयानक है ! गुंडे पालना या खुद बेख़ौफ़ होकर ह्त्या करना इस देश की पहचान होती जा रही है ! ज़्यादातर सरकारी स्कूलों में कोई पैसे वाला अपने बच्चों को पढ़ाना अपनी तौहीन समझता है और प्राइवेट स्कूल वाले सरकार से बेशकीमती ज़मीन लेकर माफियाओं की तर्ज़ पर काम कर रहे हैं ! सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाला तबका , निचले दर्जे का है …पैसे वालों को सरकारी अस्पताल की हकीकत मालूम है ! अस्पताल वाले भी माफियागिरी पर उतारू हैं ….  ! सड़क का ये हाल है कि तमाम टैक्स देने के बावजूद आम आदमी को अच्छी सड़क पर चलने के लिए टोल-टैक्स देना पड़ता है ! पानी का ये हाल है कि ज़्यादातर लोग बोतल वाला पानी मांगा कर पीते हैं या फिर आर.ओ.सिस्टम लगवा कर पानी पीते हैं ! यानी स्वास्थ्य-शिक्षा-क़ानून व्यवस्था-सड़क-पानी , सब कुछ उनके हवाले है….. जो इस देश के नितीनियांताओं को डराने की हैसियत में हैं ! देश के निति-नियंता अपनी-अपनी पार्टियों के दामन में झाँक कर देखें तो पायेंगें कि “दामिनी” और “दमन”……इस मुल्क की पहचान बनती जा रही है ! ध्वस्त हो चुकी बुनियादी व्यवस्थाओं को संवारने का काम बनियानुमा उद्योगपतियों को सौंप और कुछ  मौकों पर घडियाली आंसू बहा या रुपयों के रूप में चंद कागज़ के टुकड़ों को फेंक कर हक़ की आवाज़ को खरीदने या फ़ोर्स लगाकर दबाने का सिलसिला, उस क्रान्ति की ओर इशारा कर रहा है , जो बिना नेता के बेख़ौफ़ और बे-लगाम हो जाती है और सत्ता अपने हाथ से चलाना चाहती है ! ज़रा सोचिये….. ऐसे में हमारे सियासी नुमाइंदों को मुल्क छोड़ कर जाने की नौबत आ सकती है ! गर ऐसी नौबत की तरफ हम बढ़ रहे हैं….तो ज़ाहिर है ज़म्हुरियत को ख़तरा तो है ही ..साथ ही इस मुल्क को भी …….. “रेप कैपिटल” में बैठे नुमाइंदों – ख़तरा है, संभल जाओ  !

नीरज वर्मा 

2 COMMENTS

  1. अकबर इलाहाबादी का एक शेयर याद आ रहा है:
    कौम के गम में डिनर खाते हैं हुक्काम के साथ,
    रंज लीडर्स को बहुत है मगर आराम के साथ.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,719 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress