निर्दोष नहीं है पोर्न

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

पोर्न और अर्द्ध पोर्न फिल्मों या धारावाहिकों में पुरूष को अमूमन सेक्स के अति आग्रहशील दिखाया जाता है। पुरूष को अनेक बार अनेक औरतों से सेक्स करते हुए दिखाया जाता है। वहीं दूसरी ओर औरत को सेक्स के चौकीदार के रूप में पेश किया जाता है। पुरूष का ध्यान आकर्षित करने वाली के रूप में चित्रित किया जाता है। मीडिया में मूल्यवान सेक्स वह है जब औरत रोमैंटिक संबंध के प्रति वचनवध्द हो। इस तरह की आकांक्षाएं आम तौर पर दर्शकों में यथार्थ रूप ग्रहण कर लेती हैं। इस तरह की आकांक्षाओं, एटीट्यूट्स और मूल्यों को स्टीरियोटाईप रूपों में पेश किया जाता है।

सामान्यत: मर्द सेक्स के प्रति प्रतिगामी विचार रखते हैं। वे अनेक से सेक्स करना चाहते हैं, विभिन्न रूपों में सेक्स करना चाहते हैं। बार-बार कामोत्तेजना चाहते हैं। जबकि औरतें ऐसा नहीं सोचतीं। सामान्यत: सेक्स के बारे में व्यक्ति अनेक स्रोतों से सूचनाएं प्राप्त करता है। इनमें से एक स्रोत पत्रिकाएं भी हैं। अनुसंधान से पता चला है कि तरूणों और युवाओं में पत्रिकाओं के जरिए काम -क्रियाओं के विविध रूपों और पद्धतियों, वैकल्पिक सेक्स रूपों आदि के बारे में सूचनाएं हासिल करने की प्रवृत्ति पायी जाती है। इनफोरमेशन प्रोसेसिंग मैथड और कल्टीवेशन थ्योरी के अनुसार यह सिद्ध किया जा चुका है कि पत्रिकाओं में प्रकाशित कामुक सामग्री का ज्यादा गहरा असर होता है।

एक अध्ययन से यह तथ्य भी सामने आया है कि स्वतंत्र रूप से सेक्स के बारे में यदि किसी सामग्री का तरूण अध्ययन करते हैं तो उनमें सेक्स संबंधी अनेक किस्म के रूझान देखे गए हैं। मसलन् स्वतंत्र रीडिंग करने वालों में संभोग, मुख मैथुन, कामुक स्वप्न आदि की गति बढ़ जाती है। प्लेबॉय के पाठकों में प्रेमरहित सेक्स का रूझान देखा गया है। कामोत्तेजक सामग्री के जरिए सेक्स, सेक्स के बदले सेक्स के लक्षण देखे गए हैं। महिला पत्रिकाओं में सेक्स का स्टीरियोटाईप रूप ज्यादा नजर आता है। एक अध्ययन यह भी रेखांकित करता है कि पत्रिकाओं में प्रकाशित गैर-पोर्नोग्राफिक सामग्री बलात्कार के भावबोध को निर्मित करती है। महिला पत्रिकाओं में सेक्स संबंधी जिन मसलों पर ज्यादा सामग्री होती है, वे हैं परिवार नियोजन की विधियां, कामुकता की पद्धतियां, कामुक लत, अथवा यों कहें कि कामुक तकनीकी और कामुक आनंद के रूप आदि। युवा लड़कियों को सम्बोधित पत्रिकाओं में रोमैण्टिक संबंध बनाने के उपायों, कामुकता संबंधी फैसले लेने ,कामुक स्वास्थ्य संबंधी विषयों की सामग्री होती है। कुछ पत्रिकाएं ऐसी सामग्री पेश करती हैं जिनमें युवा लडकियों से रोमैण्टिक संबंध बनाने, सेक्सी दिखने,युवा लड़कों को कैसे खुश रखें इन तत्वों पर जोर रहता है साथ हीये पत्रिकाएं बताती हैं कि औरतों को धैर्य और नियंत्रण से काम लेना चाहिए। अधिकांश स्त्री पत्रिकाओं में औरत को सेक्स की वस्तु के रूप में पेश किया जाता है।

महिला पत्रिकाओं में स्त्री के कामुक अंगों के विकास, सेक्स-संतुष्टि, गैर-परंपरागत कामुक व्यवहार और स्थितियां, एटीट्यूट्स एच आई वी/एड्स, अन्य सेक्स संक्रमित बीमारियां, बलात्कार, सुरक्षित सेक्स, प्रजनन,कण्डोम, स्त्री का शारीरिक स्वास्थ्य, गर्भपात आदि विषयों पर प्रमुखता से सामग्री रहती है। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा सेक्स कैसे पाएं, सेक्स सुतुष्टि कैसे पाएं, कैसे प्यार करें, कैसे अपने पति और प्रेमी को वश में रखें या उसका दिल कैसे जीतें।स्त्रियां क्या चाहती हैं, वे कैसा सजना चाहती हैं, किस तरह की सुंदरता पसंद करती हैं,किस तरह का शरीर पसंद करती हैं, प्रेम की पद्धतियां,स्त्रियों को किस तरह के पार्टनर की जरूरत है इत्यादि विषयों की सामग्री भी महिला पत्रिकाओं में रहती है।

मीडिया का स्त्रीवादी नजरिए से मूल्यांकन करते समय इसकी अवधारणाओं या कोडिंग में प्रचलित पदबंधों का अर्थ जानना समीचीन होगा।सामान्यत: पोर्न फिल्मों अथवा फिल्म में गैर-परंपरागत सेक्स के दृश्य रहते हैं। गैर-परंपरागत सेक्स की कोटि में मुख मैथुन, गुदा मैथुन, समूह मैथुन, मैथुन के वे रूप जो सामान्य मैथुन से भिन्न हैं और जिसमें शरीर को काफी कसरत करनी पड़े, अथवा जिसमें जटिल आसन आदि को रखा जा सकता है। जबकि गैर-परंपरागत सेक्स के स्थानों में घर, होटल या बिस्तर के अलावा स्थानों को रखा जा सकता है। मसलन् किसी फर्नीचर पर सेक्स को गैर-परंपरागत सेक्स स्थान की कोटि में रखा जा सकता है। इस तरह के सेक्स को आए दिन फिल्मों और पोर्न फिल्मों में देखा जा सकता है। रोमैण्टिक संबंध में उन्मादी संबंध, पहली मुलाकात, यदाकदा मिलना, सुचिन्तित रूप में मिलना आदि को रखा जा सकता है।

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