मेघ से प्रार्थना

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भीषण गर्मी जेठ की,व्याकुल हृदय उदास।

देख तुम्हे आकाश में,कर बैठे थे आस।।

कर बैठे थे आस,अब कबहु बरसेगे,

जीव जंतु व्याकुल है,सब जल को तरसेगे।

कह रस्तोगी कविराय,क्यो करते शोषण,

समाप्त करो अब तो,ये गर्मी भीषण।।

आस जगाकर मेघ तुम,करते गए निराश।

खग मृग मानव मीन जग,सबका ह्रदय हताश।।

सबका ह्रदय हताश,जल को सब तरस रहे,

बताओ कोई कारण,क्यो नही बरस रहे।

कह रस्तोगी कविराय,सबकी बुझाओ प्यास,

जन जन जगत कर रहा,तुमसे ये आस।।

आर के रस्तोगी 

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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