पूर्वोत्तर भारत की गौरव गाथा व्यथा

—विनय कुमार विनायक
पूर्वोत्तर भारत की सत बहना
अरुणाचल, मिजोरम, मणिपुर,
मेघालय,नागालैण्ड,त्रिपुरा और
सिक्किम की माता असम का
नाम कभी था प्राग्ज्योतिषपुर!

महाभारत युद्ध का युद्ध वीर
भगदत्त का पिता था नरकासुर
एक राजा असम का अत्याचारी
जिसका कृष्ण से बध होने पर
भगदत्त बना प्राग्ज्योतिषपुरेश्वर!

भगदत्त था पीत किरात मंगोल
हिन्दचीनी मंगोल बर्मी रक्त का
चीन था शक्तिहीन एक तटस्थ
कबिलाई, हुआ नहीं था शामिल
महाभारत के महासमर क्षेत्र में!

ब्रह्मपुत्र हिमालय पर्वतघाटी के
सभी जनजातियों का अधिपति
भगदत्त था कृष्णशत्रु, इन्द्रमित्र
इन्द्रपुत्र अर्जुन प्रशंसक, किन्तु
कृष्ण की शत्रुता के कारण से
रण लड़ा था कौरवों के पक्ष से!

भगदत्त हस्तियुद्ध में था निपुण,
मल्लयुद्ध में भी था बड़ा प्रवीण,
हार गया था पहलवान भगदत्त से
हजार हाथियों का बलवाला भीम,
भगदत्त का संहार किया अर्जुन ने
धोखे से आंख पट्टिका काटकर!

यही असम कहलाती थी कामरूप
शक्तिपीठ मां कामाख्या की भूमि,
शुरू से किरातवेशधारी शिव और
शक्ति मां कामाख्या यहां पूजित
असम नाम पड़ा अहोम जाति से!

अहोम ताई थे तिब्बती बर्मीमूल के,
रक्तमिश्रित हिन्दू धर्मावलंबी होकर
बारह सौ बीस से राजपूत सिंह की
उपाधि से असम ब्रह्मपुत्र घाटी में
अठारह सौ छब्बीस तक राज किए!

अरुणाचल की कथा बड़ी निराली
यहां के भीष्मकपुर के महाराजा
भीष्मक की राजकुमारी रुक्मिणी
आठ रानियों में सर्व श्रेष्ठ रानी
भगवान कृष्ण की पट रानी थी!

आज भी मीजो मिश्मी जनजाति
अपने पूर्वज रुक्मिणी के अग्रज
रुक्मण के कृष्ण के सुदर्शन से
अर्ध मुण्डित सिर की स्मृति में
सदियों से अर्धमुण्डित रहा करते!

यह कथा कहती आर्य, किरात,
मंगोल, चीनी रक्त मिश्रण की
गौरवर्णी आर्य पीतवर्णी किरात
मंगोल जातियों से घुले-मिले से
रक्त रिश्तेदारी में बंधे हुए थे!

नागालैण्ड का दीमापुर कभी था
हिडिम्बापुर भीम की भार्या घर
नागालैण्ड की दीमाशा जनजाति
भीम-हिडिम्बा पुत्र घटोत्कच को
अपना पूर्वज मानती,पूजा करती!
आज भी हिडिंबा की राजवाड़ी में
बड़ी-बड़ी भारी शतरंज की गोटी
याद दिलाती भीम घटोत्कच की!

भगवान राम का कार्य क्षेत्र जहां
उत्तर पश्चिम दक्षिण भारत रहा!
वहीं पाण्डवों ने वन अभिगमन
इसी नौर्थ इष्ट फ्रंटियर क्षेत्र में
वैवाहिक सम्बन्ध बनाके किया!

मणिपुर है मुकुटमणि अर्जुन की
ससुराल भूमि, चित्रांगदा, उलूपी
मणिपुर राज्य की राजकन्या थी,
उलूपी थी कौरव्य नाग वंश की,
बर्मा से सटा उखरुल एक शहर
जो उलूपीकुल नामक जनपद था!

उलूपी पांडव अर्जुन की पत्नी
राजकुमार इरावान की मां थी
मणिपुर की तांखुल जनजाति
उलूपी को अपना पूर्वज मानती,
उलूपी अर्जुन का पुत्र इरावान
बड़ा वीर था मचाया सनसनी
महा भारत के समर भूमि में!

आज भी मणिपुर और पूर्वोत्तर
उलूपी की जनजाति के तांखुल
मार्शल आर्ट में होता है निपुण
कृष्ण औ’ पाण्डवों के रिश्ते से
पता नहीं क्यों हम हैं उदासीन!

मणिपुर के राजा चित्रांगद कन्या
चित्रांगदा भी अर्जुन की भार्या थी
और बभ्रु वाहन की राजमाता भी,
जिसका विवाह हुआ था अर्जुन से
एक शर्त पर कि चित्रांगदा होगी
उत्तराधिकारिनी मणिपुर राज की!!

यह प्रथा थी कल और आज भी
जनजातियों में मातृसत्ता होने की
चित्रांगदा थी मैतेयी जनजाति की,
चित्रांगदा अर्जुन पुत्र बभ्रुवाहन ने
पराजित किया पिता अर्जुन को!

आज मैतेयी तिब्बत बर्मी भाषाई
मंगोल नस्ल के कृष्ण उपासक
हिन्दू धर्मी गोपालक जन जाति
ईसाई में धर्मांतरण से बची हुई!

मेघालयी खासी जन जाति की
खासियत है वे तीरंदाज होते हैं,
तीरंदाजी करते बिना अंगूठे के
पूर्वज एकलव्य के सम्मान में
जिसने गुरु को अंगूठा दी थी!

आज असम विषम खंड़-खंड़ है
अष्ट बहन बनकर, उत्तर में
उगता सूर्य प्रदेश अरुणाचल
चीन के सूर्य ग्रहण में पड़ा,
पूर्व में नागालैण्ड, मणिपुर
दक्षिण में मेघालय,मिजोरम
पश्चिम बांग्लादेश से घिरा!

आज भी सारे भूखण्ड पर
शैव शाक्त बौद्ध धर्म का
गहरा प्रभाव है पर पूर्व की
उपेक्षा से धर्मांतरण बढ़ा है
चीन, बंगला देश, बर्मा के
घुसपैठ का खतरा बड़ा है!
—विनय कुमार विनायक

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