सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से घर-घर को जोड़ती सहियाएं

तन्वी झा

मनु देवी अपने गांव की सहिया चुनी जाने के कुछ ही दिनों बाद कैंसर से ग्रसित हो गई। गंभीर बिमारी के बावजूद उनसे हार नहीं मानी और इस जानलेवा बीमारी पर विजय पा ली। उसने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा आयोजित नेतृत्व क्षमता विकास के प्रशिक्षण में भाग लिया तथा आज अपने गांव में अपनी भूमिका को सक्रियता से निभा रही है। गुमला जिला के सिसई प्रखंड की सहिया मनु देवी की तरह ही आज झारखंड में करीब 41000 सहियाएं सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधित विशयों पर जागरूकता तथा सेवाएं पहुंचाने का कार्य कुशलता से कर रही हैं। चतरा जिला के लावालौंग प्रखंड की सहिया स्वेता देवी भी ऐसी ही एक सहिया है जो उत्साह एवं आत्मविश्वावस के साथ अपने गांव को नई राह पर ले जा रही हैं। स्वेता देवी गांव के स्वास्थ्य समिति की नियमित बैठकें करवा कर उनके मध्य स्वास्थ्य समस्याओं पर सामुहिक चर्चा करवाती हैं तथा उनके माध्यम से ही समाधान निकलवाने पर अत्याधिक जोर देती हैं। उनके प्रयासों से पिछले एक वर्श में गांव में 30 संस्थागत प्रसव एवं बंध्याकरण हुए हैं तथा गांव में पाई जाने वाली आम बिमारियां जैसे मलेरिया, कुष्ठ, टी.बी. तथा मोतियाबिंद के लिए समुदाय को शीघ्र उपचार प्राप्त हुआ है।

सहियाओं के कार्य ने आज झारखंड के गांव गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया है। एक सहिया की भूमिका यहीं खत्म नहीं होती है। झारखंड राज्य में आज सहियाएं नारी की आंतरिक शक्ति की प्रतिक बन के सामने आ रही है। कई सहियाएं ऐसी भी हैं जो स्वयं घोर गरीबी की शिकार हैं परंतु उन्होंने इसे कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाया है। बोकारो जिला के पेतखार प्रखंड की रीना देवी ऐसी ही एक जिंदादिल सहिया है जो अपनी आर्थिक स्थिति से जूझने के साथ साथ समाज सेवा के प्रति समर्पित हैं। वह पंचायत समिति की सदस्य भी हैं तथा अपने पंचायत क्षेत्र से गरीबी एवं दुष्प्रसभावों को मिटाने के कृतसंकल्प हैं। आज सहिया ने दूर दूर के गांवों को भी स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ दिया है। देवघर जिला के साखां प्रखंड के बंदिजोरी गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र से बीस किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बावजूद सहिया शांति देवी ने समुदाय को जागरूक कर पिछले तीन सालों में 44 संस्थागत प्रसव करवा मां एवं बच्चे को स्वस्थ जीवन दिलवाने का कार्य किया है।

अप्रैल 2005 से प्रारंभ हुई राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को समुदाय स्तर पर पहुंचाने पर जोर दिया गया है। इस संबंध में लगभग प्रत्येक गांव में ग्राम सभा द्वारा स्वास्थ्य समिति का गठन किया गया है तथा गांव की महिलाओं को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में चयनित किया गया है। देश भर में इन्हें आशा कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है और झारखंड में इन्हें सहिया नाम दिया गया है जिसका अर्थ सहेली होता है। झारखंड में ग्राम स्वास्थ्य समिति एवं सहियाओं को सहिया संसाधन केंद्र तथा झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन प्रशिक्षणों में मानकीकृत प्रशिक्षण माड्यूल एवं संचार सामग्रियों की सहायता से ग्राम स्वास्थ्य समिति एवं सहियाओं को उनके दायित्वों, नेतृत्व क्षमता विकास तथा सामुदायिक स्वास्थ्य निगरानी जैसे विशयों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। समुदाय स्तर पर किए जा रहे ऐसे नवविचारों से बदलाव के नए रास्ते नजर आ रहे हैं जो स्वास्थ्य एवं अन्य सेवाओं को गांव के अंतिम से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। (चरखा फीचर्स)

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