मेरे मानस के राम : अध्याय 49

रावण वध

 युद्ध में सारथी की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है । जहां युद्ध में योद्धा अपने प्रतिद्वंदी को मार गिराने की युक्तियां खोजता है, वहीं सारथी इस बात का भी ध्यान रखता है कि रथ को किस मोड़ पर खड़ा किया जाए ? कौन सी स्थिति ऐसी हो सकती है, जिससे मेरा महारथी अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी पड़ सकता है और इसके साथ ही साथ ऐसी कौन सी कमी है जो मेरे महारथी की ओर से अभी पूरी की जानी शेष है ? आदि आदि बातों पर सारथी बड़ी गंभीरता से ध्यान रखता है। सारथी का कुशल सारथी होने के साथ-साथ वीर होना भी आवश्यक माना जाता है। यदि वह वीर नहीं होगा तो युद्ध क्षेत्र में गिरते शवों को देखकर  युद्ध के मैदान से या तो स्वयं भाग सकता है या अपने महारथी को भागने का परामर्श दे सकता है। महाभारत से पहले उत्तर कुमार और अर्जुन के उस प्रसंग को स्मरण करने की आवश्यकता है जब गौहरण के समय उत्तर कुमार दुर्योधन के सैन्य दल को देखकर भागने लगा था। उस समय कुशल सारथी ब्रह्मला ने ही उसका मनोबल बढ़ाया था । यद्यपि वह इसके उपरांत भी युद्ध के लिए तैयार नहीं हुआ । तब बृहन्नला बने अर्जुन ने अपने सही स्वरूप में आकर युद्ध करने का निर्णय लिया था।
युद्ध क्षेत्र में अधिकांश समय सारथी अपने महारथी को सही परामर्श  देते देखे जाते हैं । जिन्हें मानना अनिवार्य न होते हुए भी महारथी मानने के लिए बाध्य हो जाता है । इस युद्ध में मातली रामचंद्र जी के सारथी थे । वह बहुत ही कुशल सारथी थे।

उन्होंने युद्ध क्षेत्र में रामचंद्र जी का मार्गदर्शन करते हुए कहा :-

बोले मातली राम से , ब्रह्मास्त्र लो हाथ।
अंत करो इस नीच का , बहुत किए उत्पात।।

पाप और पापी का करो , निर्भय होकर अंत।
यही सनातन सत्य है , रहें सुरक्षित संत।।

आतंकी का वध करो , यही शास्त्र संदेश।
क्षात्र धर्म से आपको, यही मिला उपदेश।।

देश धर्म की आपसे , है बारंबार पुकार।
कुल परंपरा आपकी, तुरंत करो संहार।।

राम क्रोध से लाल थे, हुए तेज से तेज।
पापी रावण अब करूं , खत्म तुम्हारा खेल।।

प्रदीप्त ब्रह्मास्त्र से , निकल रही फुंकार ।
बेध दिया लंकेश को , हुई राम जयकार ।।

देव – गण बरसा रहे , रामचंद्र पर फूल।
धर्म – धरा हुई धन्य है, मिटा भयंकर शूल।।

जब तक सूरज चांद हैं , रहे राम का नाम।
भारत माता कर रही , श्री राम गुणगान।।

लंकेश धरा पर गिर गया, हुई राम की जीत ।
दानव दल भगने लगा , हो करके भयभीत ।।

हर्षित हो करने लगा , वानर दल जयकार।
श्री राम ने कर दिया ,रावण का संहार।।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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