![श्री अशोक कुमार](https://www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/09/RDESController-411x300.jpg)
डा. राधेश्याम द्विवेदी
पीसीएस से आईएएस प्रमोट हुए कई अफसर जिलाधिकारी बने। मगर, यूपी में डीएम का रेट बताने वाले निलंबित आईएएस अफसर श्री अशोक कुमार एक भी जिले के डीएम नहीं बन पाए और सचिव व कमिश्नर स्तर पर आ गए। यही नहीं राष्ट्रीय एकीकरण विभाग अफसरशाही में सबसे कम महत्व के महकमों में गिना जाता है। श्रीअशोक कुमार राष्ट्रीय एकीकरण जैसे महत्वहीन विभाग में सचिव हैं। विशेष सचिव से सचिव के पद पर पदोन्नत होने के कुछ दिनों बाद से ही श्री कुमार इसी महकमे में बतौर सचिव काम देख रहे थे। यह पहला मौका नहीं है जब प्रशासनिक अफसरों की बयानबाजी से प्रदेश सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद राहत शिविर में ठंडक से बच्चों की मौत पर तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह श्री अनिल कुमार गुप्ता ने कहा था ‘ठंड से कोई नहीं मरता, अगर ठंड से कोई मरता तो साइबेरिया में कोई जिंदा न बचता।‘ इस टिप्पणी के चलते सरकार को गुप्ता को हटाना पड़ा था। विशेष सचिव राजस्व रहे श्री जी. श्रीनिवास लू को आपदा राहत की ब्रीफिंग के दौरान एक टिप्पणी को आपत्तिजनक मानते हुए निलंबित कर दिया था। आईपीएस अधिकारी श्री अमिताभ ठाकुर भी सरकार के लिए कई बार असहज स्थिति पैदा कर चुके हैं। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्री सूर्य प्रताप सिंह ने अपनी नौकरी के अंतिम दिनों में सरकार की खुलकर आलोचना की। मगर कई बार संकेत देने के बावजूद सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर पाई।
यूपी के सचिव राष्ट्रीय एकीकरण श्री अशोक कुमार ने यह कहकर शासन में खलबली मचा दी कि सूबे में कलेक्टर बनने के लिए घूस मांगी जाती है। बतौर नोडल अफसर बस्ती में निरीक्षण करने आए अशोक कुमार जाने-अन्जाने में इस बात का खुलासा कर बैठे। उन्होंने कहा-‘यहां तो 70 लाख रुपये डीएम का रेट है। मेरे पास तो था नहीं, इसीलिए डीएम नहीं बनाया। कमिश्नर बनना नहीं चाहता।’ सरकार ने श्री अशोक कुमार के इस बयान को बेहद गंभीरता से लेते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया। श्री अशोक कुमार 1999 बैच के आईएएस अफसर हैं। उनके पास बस्ती जिले के नोडल अधिकारी का भी प्रभार है। वह सरकार की विकास योजनाओं की हकीकत परखने दो दिन के लिए बस्ती गए थे। शुक्रवार को वे बस्ती के डाक बंगले में खबरनवीसों से बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने विकास खंड बहादुरपुर के प्रभारी एडीओ ओर ग्राम पंचायत अधिकारी श्री आनंद कुमार सिंह को निलंबित करने का आदेश जारी होने की जानकारी दी। तभी एक पत्रकार ने कहा कि जिसे निलंबित करने का आदेश दिया है, वह 70 हजार रुपये खर्च करके एडीओ का प्रभार पाया था। इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा- प्रदेश में लोग 70 लाख रुपये देकर डीएम बनते हैं। हालांकि उन्होंने इस बयान को खबर में न लिखने की बात कही। पर बातचीत का वीडियो वायरल हो गया। इस सच बोलने का इनाम यूपी सरकार ने उन्हें निलम्बित करके दिया। शासन ने प्रभारी कमिश्नर एवं डीएम श्री नरेंद्र सिंह पटेल से इस मामले में रिपोर्ट तलब की। रिपोर्ट मिलते ही श्री अशोक कुमार को निलंबित कर दिया गया।
श्री अशोक कुमार के निलंबंन को लेकर यूपी की सीनियर अफसर शाही पशोपेश में पड गयी है, जहां राज्य् मुख्याालय पर सेवारतों का एक वर्ग श्री अशोक कुमार के सहास की तारीफ कर रहा है और कह रहा है कि सीधे सपाट तौर की गयी अभिव्यवक्तिक का सरकार की नियुक्तिस नीति पर सीधा असर पडेगा। संभवत: इसमें सुधार हो, वहीं दूसरा तबका मान रहा है, दिये गये बयान से अफसरों की छवि पर प्रतिकूल असर पडा है। अब अगर श्री अशोक कुमार अपने दिये गये बयान का स्व यं भी खंडन करें तो भी जनप्रतिक्रियाओं के बने हुए रुख को नहीं रोका जा सकेगा। रिश्वदत की बात को लेकर जरूर दो राय हो सकती हैं किन्तुत इसमें लगी एकमत्ता ही है कि पिछले दो सालों में तमाम सीनियरों को नजरअंदाज कर जूनियर अफसरों को महत्वसपूर्ण पदो पर काम करने का अवसर मिलने का सिलसिला सा चल रहा है।
बस्ती जिले के नोडल अफसर श्री अशोक कुमार भी मानते है कि अधिकारी राजनीति करते हैं। शायद यही कारण रहा कि विकास भवन बस्ती के सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को यह नसीहत दे डाला कि अधिकारीगण राजनीति करने से बाज आएं, अपने कार्यो के प्रति संवेदनशील और जबावदेह रवैया अखतियार करे। उन्होंने विकास भवन सभाकक्ष में शासन के प्रार्थमिकताओ एवं विकास कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक करते हुए कहा कि अधिकारी किसी भी परिस्थिति में सौपे गये कार्यो में सार्थक परिणाम देना सुनिश्चित करें। राशन के दुकानों के चयन के संबंध में जानकारी लेते हुए जिला पूर्ति अधिकारी की कार्य प्रणाली पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा दुकानों की चयन प्रक्रिया अविलम्ब पूर्ण कराने का निर्देश दिया। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के अवशेष 1094 मजरों के विद्युतीकरण का कार्य पूरा करने के लिए दो माह का समय दिया। राज्य पोषण मिशन के कार्यो की समीक्षा करते हुए सीडीपीओ, डीपीओ यदि निरीक्षण करते हुए दोषी कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही नही करेंगे तो मजबूर होकर इन लोगो के विरूद्ध मुझे कार्यवाही के लिए बाध्य होना पडेंगा। ब्लाक स्तरीय और जिला स्तरीय अधिकारियो के निरीक्षण की रिपोर्ट भी तलब किया। मध्यान्ह भोजन योजना,समाजवादी पौष्टिक भोजन योजना के संचालन की अद्यतन की स्थिति की जानकारी की। कहा कि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारीगण शैक्षिक उन्नयन की दिशा मे अपेक्षित कार्य नही कर रहे है। समय रहते विभाग के अधिकारी अपनी कार्य शैली में रचनात्मक सुधार लाएं अन्यथा कठोर कार्यवाही झेलने के लिए तैयार रहे। राजनीति करने वाले अधिकारियों और अध्यापकों को चिन्हित किए जाने का निर्देश दिया। सोलर पम्प वितरण और अनटाइड फन्ड के उपभोग की चर्चा करते हुए कहा कि सीएमओ और डीपीआरओ के समन्वित प्रयास से इस धनराशि का उपभोग सुनिश्चित कराएं। स्वास्थ्य परीक्षण अभियान के दौरान अनुबन्धित वाहनों के पंजीकरण आदि की जांच के दिए गए निर्देश के बाद भी एआरटीओ, सीएमओं की शिथिल गतिविधि के प्रति नाराजगी व्यक्त की। माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत स्कूल भवनों के निर्माण कार्य की समीक्षा के दौरान यूपीपीसीएल को 90 प्रतिशत भुगतान किए जाने के बावजूद मात्र 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने के लिए कार्य दायी संस्था के इंजीनियर को कडी फटकार लगाया। दो दिन से बस्ती जिले में विकास कार्यों की समीक्षा करने पहुंचे राष्ट्रीय एकीकरण उत्तर प्रदेश के सचिव और बस्ती के नोडल अधिकारी श्री अशोक कुमार ने जिले के बहादुरपुर विकास खंड सहित जिला अस्पताल, महुली बस्ती मार्ग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कार्यों को देखकर तो संतुष्ट दिखे सचिव जी लेकिन बहादुरपुर ब्लाक के ग्राम विकास अधिकारी आनन्द सिंह को निलंबित कर दिया गया है। वहीं डीपीआरओ बस्ती के खिलाफ संतोष जनक कार्य न मिलने पर विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।