ब्रिक्स में दिखा पुनः भारत-रूस संबंध

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russian-indian-summitजिस तरह मोदी ने ब्रिक्स के शुरूआती भाषण में रूसी भाशा से अपने संबोधन दिया। यह साबित करता है, कि भारत और रूस की दोस्ती में दरार न के बराबर मानी जा सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस तमाम क्षे़त्रों में क्षमतावान है, और अगर मिलकर काम करते है, दोनों देशों के बेहतर भाविष्य के लिए कारगर होगा। भारत और रूस के बीच डिफंेस, एनर्जी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्पेस, साइंस और रिसर्ज से जुडे विभिन्न सेक्टरों में कई अहम समझौते हुए है, जो दोनों देशों के वर्षों पुराने रिष्ते और सामारिक संबंध के लिए बहुत ही आवश्यक कहा जा सकता है। आतंकवाद पर दोनों देश एकता का रूख करते हुए विभिन्न क्षेत्रों पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। इस मौके पर मोदी ने कहा कि भारत और रूस आपसी सहयोग को नए युग में ले जाने पर सहमत हुए है। जो आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र के लिए दोनों देशों के लिए भावी भाविष्य में लाभदायक साबित होगी। दोनों देश जहां सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने को राजी हुए, वहीं रूस भारत को मेक इन इण्ड़िया में भागीदार बनने पर राजी हुआ। भारत-रूस के संबंधों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रूस भारत का पुराना सहयोगी है, और एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है। वही पुतिन ने आतंकवाद पर भारत का साथ देने का वायदा किया है। भारत और रूस के बीच एयर डिफेंस समझौते पर भी हस्ताक्षर हुआ। एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 ट्राइअम्फ लंबी रेंज की क्षमता वाले होते है। जिससे भारत इन मिसाइलों के द्वारा दुश्मनों के विमानों और मिसाइलों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने में सफल हो सके होगा। जिससे उसकी सामारिक क्षमता बढ़ जाएगी। भारत दक्षिण एशिया में आतंकवाद से पीड़ित है, जिसके लिहाज से रूस के साथ सुरक्षा क्षेत्र में हुए इस समझौते से अपनी ताकत में इजाफा करके आसानी से पाकिस्तान को जवाब दे सकेगा। रूस ने एक बार फिर विश्व -पटल पर दिखा दिया है, कि भारत के साथ उसके रिश्ते वर्षों पुराने है, जो तत्काल में किसी मुद्वे को लेकर भटकने वाले नहीं है।
दोनों देशों के बीच 16 अहम मुद्वों पर समझौता हुआ। जो कि वैश्विक दृष्टि से अच्छा निर्णयदायक साबित होगा। भारत और रूस के बीच आन्ध्रपदेश में लाॅजिस्टिक सिस्टम, स्मार्ट माॅनिटरिंग सिस्टम विकसित करने पर समझौता हुआ। जो कि देश के विकास में अहम योगदान देने में सहायक होगा। दोनों देश द्वितीय विष्व युद्व के बाद से साझेदार की भूमिका में रहे है, लेकिन मोदी सरकार की अमेरिका से बढती नजदीकियों से रूस और भारत के रिष्तों में खटास का माहौल दिख रहा था। रूस भी भारत के विरोधी और आतंकवाद के जनक पाकिस्तान के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा सौदा किया, जिससे विष्व -पटल के सामने ऐसी खबरें पनपी की भारत और रूस के रिश्ते पुराने समय जैसे नहीं रहें है, लेकिन ब्रिक्स सम्मेलन में जिस तरह मोदी ने भारत का झंड़ा फहराया और रूस के साथ 16 समझौते हुए, यह साबित करता है, कि भारत और रूस की मित्रता को केवल सिंचित करने की जरूरत थी, जो कि ब्रिक्स सम्मेलन ने दोनों देशों के मध्य कड़ी का कार्य किया है।
रूस और भारत की दोस्ती 1971 के युद्व से परवान पर उस वक्त चढ़ी थी, जब भारत ने पाक पर हमले करने की बात की थी। उस वक्त भारत का धुर विरोधी अमेंरिका ने कहा था, कि अगर भारत ने पाक पर मिसाइल छोड़ी तो वह भारत के खिलाफ हमला कर देगा। उस समय रूस ने खुलकर भारत का समर्थन किया और कहा कि भारत अमेरिका की बातों पर ध्यान न दे। ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी और दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लिर क्षेत्र में सहयोग पर भी मुहर लगी। एयर डिफेंस सिस्टम-400 ट्राइअम्प लंबी रंेज की क्षमता वाले होते है। इसके खरीद के बाद भारत की सुरक्षा प्रणाली मजबूत होगी, और पड़ोसी देशों को करारा जवाब देने में सक्षम होगा। दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी निजी तेल कम्पनी एस्सार का अधिग्रहण हुआ। जो कि भारत के लिए गैस और तेल आपूर्ति के क्षेत्र में मदद मिलेगी। इस सौदे को मूल्य करीब 13 अरब डाॅलर है। रोजनेफ्ट ने एस्सार आॅयञ की रिफाइनरी और पेट्रोल पंप कारोबार में 49 फीसदी हिस्सेदारी होगीं, और दोनों देशों के बीच गैसपाइप लाइन बनाने पर संयुक्त अनुसंधान के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। तेल एवं गैस, विज्ञान, वाणिज्य, अंतरिक्ष और व्यापार के क्षेत्र में समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिससे भारत को विज्ञान, शिक्षा और व्यायार के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। भारतीय और रूसी विदेश मंत्रालय के बीच सहयोग से जुड़ा करार हुआ। जिससे दोनों देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में सुविधा होगी। दोनों देशों के बीच 226 कामोव हेलिकाॅप्टरों के निर्माण पर समझौता हुआ। जिसके द्वारा मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया को भी बल मिलेगा।
ब्रिक्स सम्मेलन से एक बात सामने आई, कि भारत और रूस दोनों की दोस्ती एक बार पुनः प्रगाढ़ हुई है। दोनों देशों के बीच आतंकवाद के मुद्वे पर साथ आने पर भारत के पड़ोसी देशों को जरूर झटका लगेगा , जो कि जरूरी भी था।
महेश तिवारी

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