Home साहित्‍य कविता है नमन उन शहीदों को,जो तिरंगा ओढ़ कर सो गये |

है नमन उन शहीदों को,जो तिरंगा ओढ़ कर सो गये |

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है नमन उन शहीदों को,जो तिरंगा ओढ़ कर सो गये |
है नमन उन जवानो को,जो धरा पर नया बीज बो गये ||

क्या लिखू उनके बारे में अब,शब्द भी बौने हो गये |
जो मात पिता के दुलारे थे,वे अब सभी के हो गये ||

ये धरा भी रो रही है, उनके शोर्य को अब देख कर |
गगन भी विलख उठा है,उनके बलिदान को देख कर ||

वीणा के तार भी झंकृत हो उठे, उन्हें अब देख कर |
कैसे नमन करू उन को,उनके चेहरे विकृत देख कर ||

है नमन उस माँ को,जिसने ऐसे पुत्र को जन्म दिया |
देश की रक्षा के लिये,अपने पुत्र का बलिदान दिया ||

है नमन उस पिता को,जिसने ऐसे पुत्र को पैदा किया |
अपने बुढापे के सहारे को,देश पर उसने निछावर किया ||

है नमन उस बहिन को,जिसने भाई को विदा कर दिया |
अपनी रक्षा छोड़ कर,देश की रक्षा के लिये भेज दिया ||

है नमन उस पत्नि को,जिसने अपने सुहाग को भेज दिया |
अपने सुख चैन को छोड़ कर,देश को उसने समर्पित किया ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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