जब से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बना है सभी दल उसे नेस्ताबूत करने पर लगे है। लेकिन संघ ने अपना काम जारी रखा और भारतीयता की परिकल्पना पर काम करते हुए , देश के अंदर मौलिक काम किया । इस काम को समय समय पर सराहा भी गया और उसे विस्तार रूप भी दिया गया लेकिन इसे सूचीबद्ध करने और संघ की उपलब्धियां अब तक क्या रही इस विषय पर काम करने की जरूरत थी । इस काम को 1997 तक शेषाद्रि जी ने पूरा किया। उसके अनुसार ंसंघ ने जो काम किया उसका समाज पर ब्यापक असर पडा। संघ जातिगत व्यवस्था से भारत को जहां काफी हद तक निकालने व एक मंच पर लाने में वह कामयाब हुए , वहीं अपना भारत के स्वप्न को भी एक मंच दिया । इसी कार्याे को समाज में स्थापित करने व उसके साहित्य को साकार रूप् देने को जिम्मा आजकल लक्ष्मी नरायण बालाजी के पास है। उन्हें 1997 के बाद से संघ के कार्याे से देश में क्या परिवर्तन आया और किस लक्ष्य तक अब तक संघ पहुंचा है इस बात को सार्वजनिक करने का दायित्व है। इन्ही लक्ष्मी नरायण भाला जी से बातचीत के कुछ अंश जो उन्होने प्रवक्ता के सह संपादक अरूण पाण्डेय से कहा।
प्र॰: संघ के बारे में बहुत से लोग नही जानते और जो जानते है वह संघ को छोडकर जाना नही चाहते , ऐसा क्या है संघ में।
उ॰: संघ क्या है, कैसा है ,यह सभी जानते है। जो नही जानते वह ढोग करते है, हम भारतीय है और जो हमारे पास भारतीयता है वह उस परिवार का हिस्सा है। किसी जाति, घर्म,सम्प्रदाय से हमारा कोई ताल्लुक नही है सभी के लिये नियम बराबर है और सबसे बडी बात की सभी को सभी तरह की आजादी है।
प्र॰: आप पहले भी संघ के लिये काम करते थे और हिन्दुस्तान समाचार को आपने उंचाईयों तक पहुंचाया । अब आप संघ के साहित्य विषय पर काम कर रहें है। दोनों में क्या अंतर है?
उ॰: पहले हम कोशिश करते थे कि समाज में कुछ गलत खबर न जाये और अब देश में कोई गलत संदेश न जाये और समाज मजबूत हो , संघ अपना लक्ष्य हासिल करे इसलिये काम कर रहें है। भारतीयता कैसे लोगों में आये इस पर काम कर रहें है।
प्र॰: क्या है संघ का साहित्य इस बारे में बतायें ?
उ॰: संघ से जुडे कार्याे का लेखा जोखा जो हमारी सहयोगी संस्थायें करती है उसके द्वारा किये गये कार्य , उनके परिणाम व आगे की योजनायें व उसकी आवश्यकता का मूल ही संघ साहित्य का हिस्सा है।
प्र॰:क्या आपसे पहले किसी ने इस दिशा में काम किया था?
उ॰:शेषाद्रि जी ने शुरूआत से लेकर 1997 तक के संघ के कार्यकाल को इंगित किया और समाज के सामने प्रस्तुत किया । लोगों ने संघ के कार्य को सराहा और सहयोग के लिये आगे आये। किताबों के रूप में संघ दर्शन काफी लोकप्रिय हुआ और इसलिये जरूरत पडी कि उसे आगे भी कई खंडो में निकाला जाय ।
प्र॰: संघ दर्शन की जरूरत क्यों पडी , जब आप समाज में है , देश में एक प्रतिष्ठित नाम है तो फिर इसकी जरूरत क्यों ?
उ॰: शेषाद्रि जी संघ के सहकार्यवाह थे और उस समय यह माना गया कि संघ की गतिविघियों को एक संकलन के रूप् में प्रस्तुत करना चाहिये। इस बात को लेकर उसने जो काम किया , उसका समाज पर क्या असर पडा। कितना काम हो चुका है और कितना काम किस दिशा में करना बाकी है, इसका संकलन होना चाहिये ताकि संघ का भी इतिहास आने वाली पीढियों को पता चल सके ।
प्र॰: संघ दर्शन का लक्ष्य क्या था? आप कहां तक पहुंचे?
उ॰: सबसे पहले जो काम रखा गया वह भारत को अखंड बनाने का था। जिसमें हम काफी हद तक कामयाब भी रहे। दूसरा लक्ष्य हमारा 1997के बाद से अबतक के साहित्य को समाज के मुख्य घारा में शामिल करना है। इसके लिये लगभग 500 से 1000 पेेज के छह खंडो में पुस्तक निकालने की योजना है। जिसमें अब तक के संघ के कार्य कौन कौन से रहें है और समाज में उनका कितना असर पडा है। इस सभी का लेखा जोखा होगा।
प्र॰: आपके इस कार्य में कौन कौन सहयोग कर रहें है और आपका इस काम का केन्द्र कहां है?
उ॰: इस काम में एक बडी टीम पत्रकारों व संपादको की लगी है। इसका मुख्यालय भोपाल में है और हम जल्द ही इस काम को पूरा कर लेगें। जहां तक सहयोगी संस्थानों की बात है संघ की कई शाखायें है। जिनमें विश्व हिन्दू परिषद , भारत विकास परिषद , भारतीय मजदूर संघ , सेवा भारती , विघा भारती , राष्ट्र सेविका समिति व वनवासी कल्याण आश्रम है जिन्होने अपने अपने दायित्वों को बखूबी से समाज में निभाया है।
प्र॰: इस दौरान कोई ऐसाकार्य जिसे आप संघ के साहित्य में डालना चाहते है?
उ॰: संघ का एक और उपक्रम है जिसे इस दौरान मै जरूर शेयर करना चाहूंगा , एक संस्था है जिसे संघ ही चलाता है उसका नाम है मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, इस संस्था ने पिछले दिनों मिल्क पार्टी अभियान चला रखा है जो कि मुस्लिमों की तरफ से यह संदेश देश को देता है कि हम बीफ पार्टी नही करते बल्कि गाय को पूजते है क्योंकि इसके दूघ का सेवक हमें जीवन प्रदान करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पूरा देश मुस्लिमों का विरोधी आरएसएस को प्रचारित करता है लेकिन इस मंच से जुडे सभी लोग मुस्लिम ही है।
प्र॰: देश के लिये कुछ कहना चाहेगें?
उ॰: आर एसएस के बारे में बहुत सी भ्रांति फैलायी गयी है और अगर वाकही आरएसएस क्या है जानना चाहते है तो उनकी शाखाओं में जाइये , यकीन मानिये आपको इसका विकल्प नही मिलेगा और आप कभी इसे छोडकर नही जाना चाहेगें।