घोटाले…भक्ति वाले

 

2जी घोटाला, आदर्श घोटाला,बोफोर्स व अन्य सैनिक घोटाले,कौमनवैल्थ गेम्स का घोटाला, उ.प्र. का स्वास्थ्य घोटाला, बिहार का चारा घोटाला और पता नहीं कितने घोटाले सुनने मे आते रहे हैं। थोड़े दिन मीडिया के उछालने के बाद सब भूल जाते हैं तब फिर कोई नया घोटाला सामने आजाता है। थोड़ी बहुत सज़ा काटकर या फिर बेल पर अपराधी खुले घूमते हैं, किसी नये घोटाले को अंजाम देने की योजना बनाने मे लग जाते हैं।

अब तो भक्ति के घोटाले भी ख़ूब सामने आ रहे हैं। आस्था के नाम पर ठगी होती है, विश्वास की जगह अंधविश्वास पनपता है। धर्म की आड़ मे लोगों को इस क़दर प्रभावित कर लिया जाता है कि वे अपना हित अनहित समझने की क्षमता ही खो बैठते हैं। फ़िज़ूल की बातों मे ,कर्म कान्डों मे अपना समय धन और शक्ति बरबाद करने लगते हैं।

जी हाँ बिलकुल सही समझा आपने मै निर्मल बाबा की ही बात करने जा रही हूँ।यह ठीक है कि अभी तक उनके जुर्म साबित नहीं हुए हैं पर जो स्पष्ट दिख रहा है उसके साबित होने की प्रतीक्षा भी क्या करनी। निर्मल बाबा की अपार संपत्ति उनके भक्तों और प्रशंसको की दी हुई है, बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से ,यदि वे इसपर पूरा आयकर देते हैं तो हमारे देश के कानून के हिसाब से वे कोई जु्र्म कर ही नहीं रहे, पर गहराई से सोचा जाय तो वह बहुत बड़ा जुर्म कर रहे हैं, वे जनता को अपने वाकचातुर्य से भ्रमजाल मे फंसाकर मनमानी करवा रहे हैं। उनके भक्त उनके लियें कुछ भी कर सकते हैं। अपने निजी लाभ के लियें जनता को गुमराह करना किसी जुर्म से कम नहीं है। पहले तो मीडिया की इनपर बड़ी कृपा रही काफ़ी समय तक इनके समागम को समाचार चैनल और तथाकथित धार्मिक चैनल ख़ूब दिखाते रहे पर जैसे ही इनके ख़िलाफ़ कई शहरों से शिकायतें आईं तो सब एक साथ इनकी धन सम्पत्ति और कार्य प्र णाली के खुलासे करने मे जुट गये, जुटे रहे, जब तक कोई और संसनीख़ेज़ ख़बर हाथ नहीं लगी।निर्मल बाबा जैसे बहुत से बाबा, बहुत से धर्मगुरु और बहुत सी गुरु मातायें यहाँ छोटे बड़े शहरों मे अपनी अपनी दुकाने सजाये बैठे हैं, भीड़ की कहीं कोई कमी नहीं है। हर जगह लम्बी लम्बी कतारें लगी हैं अपने गुरु के दर्शन पाने के लियें।ये गुरु भक्तों की मानसिकता पर इतने हावी हो जाते हैं कि उन्हे उनके मोहजाल से निकाल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है (क्षमा करें फ़िल्मी संवाद है) निर्मल बाबा की तरह इस देश मे बहुत से बाबा, गुरु या गुरु मातायें हैं जो लोगों की भावनाओं से खेलकर ख़ूब धन बटोर रहे हैं,यदि धन नहीं भी बटोर रहे तो लाखों लोगों पर अपनी सत्ता जमाने का सुख तो भोग ही रहे हैं कभी कभी सत्ता का लालच पैसे के लालच से भी बड़ा हो जाता है। असंख्य भक्तों का समूह हाथ जोड़कर इनके दर्शन की प्रतीक्षा करता है तो इनके अहम् तृप्ति मिलती है।

कुछ समय पहले पुट्टापर्थी के सत्य साँई बाबा के निधन के बाद समाचार आया था कि उनके निजी कक्ष से बेशुमार नक़द सोने, चाँदी और हीरों के आभूषण मिले। ये कहाँ से आये ? उनके निजी कक्ष में क्या कर रहे थे ? बाद मे इनका क्या हुआ ? इसका कोई खुलासा मीडिया करना भूल गया । ये सही है कि सत्य साँई बाबा ने पेय जल की योजनाओं मे पैसा लगाया , अनेक शिक्षण संस्थान और निःशुलक अस्पताल खोले परन्तु इसके लियें एक चमत्कारी बाबा बनकर करोड़ों लोगों की मानसिकता पर राज्य करना कानून की दृष्टि मे भले ही अपराध न हो, पर मानवता की दृष्टि से देखें तो एक गुनाह है।

बापू आसाराम के आश्रम मे कुछ साल पहले दो बच्चों की हत्या का मामला सामने आया था,उसकी तहक़ीकात के बाद क्या नतीजा आया मीडिया ने नहीं बताया। अभी भी वो काफ़ी बड़ी भक्तों की भीड़ जमा करने मे सक्षम हैं।हाल मे अपने अभद्र व्यवहार के कारण फिर एक बार चर्चा मे रहे।इसी तरह सुच्चा डेरा के राम रहीम भी ग़लत कारणों के कारण समाचारों की सुर्ख़ियों मे रहे, पर इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि इनके भक्त सब आरोपों को षडयंत्र कहकर नकार देते हैं।

कुछ मंदिरों मे भी हज़ारों करोड़ रुपयों की वार्षिक आमदनी होती है ।भक्त बड़े बड़े चढावे चढा कर या तो पापमुक्त होने की कोशिश करते हैं या भगवान को कुछ रिश्वत देकर अपनी मनोकामना पूरी करने की गुहार लगाते हैं । इन विख्यात मन्दिरों से भी मन्दिरों के ट्रस्टों द्वारा किये धोटालों के मामले सामने आते रहते हैं।

शिरडी के साँईबाबा तो एक चोग़े मे रहते थे , नीम के पेड़ के नीचे बैठकर लोगों की बाते सुनते थे, ऐसा माना जाता है पर भक्तों ने तो उनकी प्रतिमा को सोने के सिंहासन पर बिठा दिया ,सोने की छतरी के नीचे। बाबा हिन्दू और मुसलमानों मे भी लोकप्रिय थे ऐसी भी मान्यता है, परन्तु हिन्दू भक्तों ने वहाँ आरती पूजा और अन्य कर्मकाँड इसक़दर जोड़ दिये हैं कि अब मुसलमानो को वहाँ का रुख़ करते नहीं देखा जाता।

भगवान कहाँ रहते हैं शायद सबके मन मे, उन्हे धन का क्या करना ? ये भक्ति वाले धोटाले तो मनुष्य का कुराफ़ाती दिमाग़ ही उससे करवा रहा है।

 

2 COMMENTS

  1. desh ke hazaron ghotalon ka jammedar kaun hai? yani tatkalin sarkaren jisaki भी tatkalin samayon me rahi hon , in sambandhit netaon ko ya to chunav me bhag na len ya to desh se nikala ho n n hi to ab din dur नहीं सब mare jaegen इनके waris bhikh magenge bharat ki galion me aur koi bhikh भी नहीं dega !! ab samay jaldi hi aane wala hai!!!??

  2. वर्तमान दौर की विद्रूपताओं,विसंगतियों को देख सुनकर लगता है कि मानों सम्पूर्ण व्यवस्था ही खोखली और जर्जर हो चुकी है,चारों ओर अनैतिकता,घोटालेबाज़ी ,लूट,हिंसा और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के सेलाव उमड़ते हुए नजर आ रहे हैं यह सिर्फ इस वर्तमान दौर कि ही वानगी नहीं है ही तो पूंजीवादी व्यवस्था का और बाजारीकरण की उद्दाम व्यवस्था का यथार्थ निरूपण मात्र है.सवाल इसके बार-बार दुहराए जाने का या इसको मुद्दा बनाने का नहीं अपितु इस पतनशील अधोगामी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का है.यह एक दो व्यक्तियों ,एक दो संगठनो के बूते की बात नहीं और जिस चीज [अन्याय पूर्ण व्यवस्था] को बनाने में शोषण की ताकतों को सदियाँ लग गईं उस जंग लगी धातु से भी बदतर अमानवीय व्यवस्था को ध्वस्त करने में वक्त तो लगेगा ही.आप हम और देश की तमाम ईमानदार देशभक्त मेहनतकश ताकतें-किसान,मजदूर,नौजवान,छात्र,बुद्धिजीवीऔर परिष्कृत वैज्ञानिक विचारों वाले विभिन्न संगठनों की व्यापक एकता और निरंतर संघर्ष से ही इस व्यवस्था को बदलने में कामयाब हो सकते हैं. आपने महत्वपूर्ण और प्रासंगिक सवाल को प्रस्तुत किया उसके लिए धन्यबाद…

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