चुनाव नहीं, जनता के हक में बनती योजनाएं

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अनामिका

आमतौर पर चुनाव निकट आते ही लोक-लुभावन योजनाओं का सत्ताधारी दल द्वारा अंबार खड़ा कर दिया जाता है लेकिन इस मामले में मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह सरकार अलहदा साबित हो रही है। चुनाव में क्या परिणाम होंगे, सत्ता मे उनकी वापसी होगी या नहीं, इस बात की परवाह किये बिना समय-समय पर आवश्यकतानुरूप योजना बनाकर प्रदेश के हर वर्ग को लाभ देने का प्रयास किया जाता रहा है। हालिया लाडली बहना योजना और मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में नगद और सामान के स्थान पर चेक देने की व्यवस्था से प्रदेश के एक बड़े वर्ग की महिलाओं को लाभ मिलेगा। बेबाक मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान कहते हैं कि भ्रष्टाचार को रोकने का नित नए उपाय किये जा रहे हैं और जब नगद और सामान के स्थान पर चेक दिये जाने का फैसला सुनाते हैं तो उनकी कथनी और करनी एक जैसा दिखता है। 

सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने प्रथम कार्यकाल से महिलाओंं और बेटियों की फिक्र करते चले आ रहे हैं। इस चिंता को अपने भाषणों बाहर कर व्यवहार में क्रियान्वित किया और उन्हें लाभ दिलाने का जतन किया। लाडली लक्ष्मी योजना इसका सबसे सशक्त उदाहरण है। इस योजना से माता-पिता ना केवल निश्चिंत हुए हैं बल्कि स्वयं बिटिया को आत्मनिर्भर बन जाने का अहसास हुआ। शिवराजसिंह सरकार ने यह भी कर दिखाया कि जिन योजनाओं को लागू किया गया है, उनकी समीक्षा कर उनमें आने वाली कठिनाई को दूर कर और आसान बना दिया गया है। लाडली लक्ष्मी योजना के द्वितीय भाग का अध्ययन करने पर बात समझ आती है कि अब योजना कितनी सरल हो गई है।

शिक्षा के प्रति गंभीर शिवराजसिंह सरकार सबसे पहले बेटियों को स्कूल भेजने की मुकम्मल इंतजाम किया। गणवेश से लेकर सायकल तक बच्चियों को दिया गया ताकि वे बेखौफ होकर अपनी शिक्षा पूरी कर सकें। हालांकि बेटियों के साथ-साथ बेटों की शिक्षा के प्रति भी शिवराजसिंह सरकार गंभीर है। नए जमाने के साथ कदमताल करने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को लगा कि अब जमाना मोबाइल और लैपटॉप का है तो मेधावी विद्यार्थियों को यह भी मुहय्या कराया गया। इससे विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति रूचि जागी और वे आगे बढ़ते गए। विदेशों में अध्ययन को लेकर उन्हें सरकार की ओर हौसला मिला। पिछड़े और अनाम स्थानों के विद्यार्थियों ने सात समंदर पा जाकर शिक्षा प्राप्त कर आसमां छूने की कोशिश में कामयाब रहे। समय के साथ निर्णय ना लिया जाए तो अनेक योजना दम तोड़ देती हैं या कहें कि उन योजनाओं का क्रियान्वयन ही नहीं हो पाता है। ऐसी एक योजना शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए सीएम राइज स्कूल को जमीन पर उतारने का प्रयास किया गया। साधन सम्पन्न परिवारों के बच्चे तो निजी स्कूलों में महंगी फीस चुकता कर बेहतर शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं तो साधनहीन बच्चे ऐसी उत्कृष्ट शिक्षा से वंचित ना रह जाएं, इसके लिए सीएम राईज स्कूल की अवधारणा को व्यवहार में तब्दील किया गया। 

कोई 9 हजार सीएम राईज स्कूल मध्यप्रदेश में शुरू किया जाना है जिसमें अनेक स्थानों पर यह स्कूल शुरू भी हो गया है। किसी भी निजी स्कूलो के मुकाबले सीएम राइज स्कूल भी कम नहीं हैं। उत्कृष्ट शिक्षा से लेकर खेलकूद, लायब्रेरी, कम्प्यूटर साइंस की शिक्षा से लबरेज इन स्कूलों को देखकर लगता नहीं कि ये सरकारी स्कूल हैं। शिक्षकों के चयन का मानदंड भी इतना सख्त रखा गया कि हर कोई इन स्कूलों में पढ़ा नहीं सकता है। कई चरणों के इम्तहान पास किये जाने के बाद शिक्षकीय दायित्व सौंपा गया। अब तक सरकारी स्कूल को लेकर जो मानस बना हुआ था, उसे सीएम राइज स्कूल ने तोड़ा है। सीएम राइज स्कूल बदलते समाज और समय की जरूरत है। हालांकि सीएम राइज स्कूल की अवधारणा बेहद आकर्षक है और अपने आरंभिक चरणों में यह कामयाब होते भी दिख रहा है। इसी सख्ती के साथ इन  स्कूलों का संचालन किया जाएगा तो निश्चित रूप से निजी स्कूलों के समक्ष सरकारी स्कूल चुनौती बनकर खड़े होंगे। कोविड काल में सरकारी स्कूलों का परिणाम ना केवल अप्रत्याशित रहा बल्कि बड़ी संख्या में पालकों ने अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों से बाहर निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला करा दिया। अब जब सीएम राइज स्कूल निजी स्कूलों की टक्कर में खड़े मिलेंगे तो स्वाभाविक है कि पालकों का निजी स्कूलों से मोहभंग होगा।

शिवराजसिंह सरकार की चिंता में किसान, मजदूर और वृद्धजन भी हैं। किसानों के लिए हमेशा आगे बढक़र मदद करने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के प्रति किसानों का विश्वास है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वे किसानों के साथ खड़े रहे। खेती को लाभ का धंधा बनाने के उनके प्रयास को धीमे धीमे सही लाभ मिल रहा है। मजदूरों के प्रति उनका लगाव बचपन से रहा है। मजदूरों के हक के खातिर वे अपने परिवार से ही बगावत करने वाले शिवराजसिंह चौहान उन्हें उचित मजदूरी का भुगतान मिले, इसके लिए सतत रूप से प्रयत्नशील हैं। प्रदेश के वृद्धजनों के लिए श्रवण कुमार बन चुके शिवराजसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना लागू कर उनका आशीष प्राप्त कर रहे हैं। कोविड काल में तीर्थदर्शन योजना जरूर बाधित हुई लेकिन अब पुन: तीर्थदर्शन का कारवां चल पड़ा है। नए स्वरूप में तीर्थदर्शन योजना में दिव्यांग वृद्धजनों को हवाई यात्रा की सुविधा दी जा रही है। कहना ना होगा कि शिवराजसिंह चौहान की समभाव दृष्टि ने मध्यप्रदेश को ना केवल ऊंचाई दी है बल्कि देश के अनेक राज्य मध्यप्रदेश के अनुगामी बनकर उनकी योजनाओं को अपने राज्य में लागू कर रहे हैं।

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