श्रीकांत त्यागी प्रकरण – ओछी राजनीति व क्षणिक राजनीतिक स्वार्थ

दीपक कुमार त्यागी

जिस तरह से श्रीकांत त्यागी को गिरफ्तार करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम की पीठ शासन-प्रशासन में दिग्गज पदों को सुशोभित कर रहे चंद लोगों के द्वारा थपथपायी जा रही है, उसे देखकर लगता है कि उत्तर प्रदेश की जांबाज पुलिस ने भारत के एक सबसे बड़े कुख्यात आतंकवादी को गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे पहुंचाने कार्य किया है, जिस तरह से मीडिया के ट्रायल व चंद अन्य लोगों ने श्रीकांत त्यागी प्रकरण को  हवा दी है, वह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज देश में सबसे बड़ी समस्या श्रीकांत त्यागी है, बाकी सब तरह से देश में हालात बहुत अच्छे बने हुए हैं। वैसे आपको यहां बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली से एकदम सटा हुआ व उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाला नोएडा विभिन्न कारणों के चलते आयेदिन मीडिया की सुर्खियों में बना रहता है। नोएडा में देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सबसे बड़ा हब होने के चलते ही कभी सकारात्मक व कभी कोई बेहद नकारात्मक छोटा या बड़ा कोई भी घटनाक्रम चंद मिनटों में ही देश-दुनिया की मीडिया कि हैडलाइन बन कर जबरदस्त सुर्खियों में छा जाता है। ऐसा ही एक गालीगलौच और अभद्रता के आपसी विवाद का प्रकरण नोएडा सेक्टर 93 की बेहद पॉश सोसाइटी ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी में 5 अगस्त को घटित हो गया था। इस विवाद के एक वायरल वीडियो में यह देखा जा सकता है कि सोसाइटी की एक महिला ने अपनी आवासीय सोसाइटी में नियमों के उल्लंघनों का हवाला देते हुए स्वयं को भाजपा नेता कहने वाले श्रीकांत त्यागी के द्वारा वहां पर लगाये जा रहे पेड़ों पर आपत्ति जताई थी, जिसको लेकर दोनों पक्षों में हुई गर्मागर्म बहस में श्रीकांत त्यागी ने उक्त महिला को अपशब्द बोलते हुए पीछे धकेल दिया था। लेकिन बाद में जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हुआ, तो नोएडा पुलिस तेजी से हरकत में आई और उसने तत्काल इस मामले में केस दर्ज करने का कार्य किया, जिसके बाद से श्रीकांत त्यागी घटनास्थल से फरार हो गया था। फिलहाल मुख्य आरोपी श्रीकांत त्यागी पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है और उसके खिलाफ पुलिस-प्रशासन की कार्यवाही चल रही है। हालांकि यह तो आने वाले समय में न्यायालय ही तय करेगा कि आखिरकार दोषी कौन है।

लेकिन इस मसले पर देश में ओछी राजनीति जारी है, जब देश के विभिन्न राजनीतिक दलों को यह पता चला कि श्रीकांत त्यागी का कुछ ना कुछ जुड़ाव चाहे वो एकतरफा हो सत्ता पक्ष भाजपा से है तो इस मसले को बहुत तेजी के साथ जबरदस्त ढंग से तूल दिया गया, देखते ही देखते आपसी विवाद का यह मसला अब देश के चंद राजनेताओं व मीडिया की कृपा से एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। आरोप प्रत्यारोप से बचने के लिए ही आननफानन में भाजपा ने भी तत्काल समझदारी दिखाते हुए श्रीकांत त्यागी का पार्टी से कभी कोई नाता नहीं रहा है यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। सूत्रों के अनुसार साथ ही वह सभी चंद राजनेता, खास व आम लोग भी अब सार्वजनिक रूप से श्रीकांत त्यागी का बचाव करने से बचने लगे जो कभी उसके धन दौलत व भौकाल का लंबे समय से आनंद भोग रहे थे। आपसी विवाद के एक बेहद छोटे से मसले का तुरंत समाधान करने की जगह आज चंद राजनेताओं की कृपा से धरातल पर ऐसे तनावपूर्ण हालात बना दिये गये, जिसके बाद से श्रीकांत त्यागी पुलिस-प्रशासन, मीडिया, सोशल एक्टिविस्ट, आम व खास लोगों व देश के विभिन्न राजनेताओं के निशाने पर एक बड़े अपराधी के रूप में आ गया, मीडिया की टीआरपी की भूख को पूरा करने खातिर यह मामला चंद घंटों में ही बेहद गंभीर होता चला गया। सूत्रों की मानें तो इस मसले पर कहीं ना कहीं भारी दबाव में कार्य कर रही पुलिस ने हद तो उस वक्त कर दी जब वह खुद एक महिला के सम्मान के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों की मां व श्रीकांत त्यागी की पत्नी को लंबे समय तक थाने में बिठाकर रखने का अघोषित अपराध जाने अंजाने कर बैठती है। उसके बाद धरातल पर जिस तरह के हालात बनाये गये और हमारे शासन प्रशासन, राजनेताओं व मीडिया का रवैया देखकर यह लगता है कि श्रीकांत त्यागी देश-दुनिया का सबसे बड़ा कुख्यात आतंकवादी है। हालात पर नज़र दौड़ाएं तो यह स्पष्ट है कि कभी श्रीकांत त्यागी के इशारे पर नाचकर उसकी सेवा करके माल कमाने में व्यस्त रहने वाला तथाकथित सिस्टम और उसको खुली छूट देना वाला सिस्टम ही आज श्रीकांत त्यागी की दुनिया को बहुत लंबी चौड़ी अपराध की सल्तनत बताकर उसको तबाह करके स्वयं ही अपनी पीठ थपथपाने में लगा हुआ है। 

लेकिन देश में हद तो उस वक्त हो जाती है कि जब बेहद अहंकार में वशीभूत होकर के हमारे प्यारे देश के चंद सम्मानित दिग्गज राजनेता व मीडिया का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसे बेहद सभ्य, देशभक्त व बेहद बुद्धिजीवी, समाजसेवी, त्यागी समाज को टीआरपी के अपने क्षणिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए निशाने पर लेकर के उसकी छवि खराब करने पर आमादा हो जाते हैं। देश में अभद्रता का आलम यह हो गया है कि शीर्ष मीडिया घराने, देश के चंद दिग्गज राजनेता व चंद बेहद जिम्मेदार लोगों ने भी सार्वजनिक रूप से व देश दुनिया के सोशल मीडिया के विभिन्न ताकतवर प्लेटफॉर्मों पर त्यागी समाज की छवि को ठेस पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। इन चंद लोगों की बेहद ग़लत करतूतों ने उस देशभक्त, नियम-कायदे-कानून पसंद, बेहद सभ्य, समाजसेवा के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले व बेहद सम्मानित त्यागी समाज को गालीबाज़ त्यागी, लंगड़ा त्यागी, गुंडा त्यागी, भगोड़ा त्यागी, गोलीबाज़ त्यागी, दबंग त्यागी आदि ना जाने कितने ग़लत जातिसूचक संबोधनों से संबोधित करने का जघन्य अपराध किया है, जो स्थिति देश व समाज की एकता अखंडता के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। जिस तरह से श्रीकांत त्यागी के मसले पर हमारे देश के चंद दिग्गज राजनेताओं ने एक व्यक्ति के कृत्य के लिए पूरी जाति विशेष को निशाना बनाया है वह सरासर ग़लत है। वहीं हर वक्त टीआरपी की अंधी दौड़ में उतावली रहने वाली भारतीय मीडिया ने अपनी एकतरफा रिपोर्टिंग में जिस तरह से त्यागी समाज को बेहद आपत्तिजनक जातिसूचक विश्लेषणों से नवाजा है वह देश के सभ्य समाज के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। आज हम लोगों के साथ-साथ, देश के सभी बेहद जिम्मेदार राजनेताओं, मीडिया संस्थानों व शासन प्रशासन मैं बैठे लोगों को भी यह समझना होगा कि एक व्यक्ति के द्वारा किये गये कृत्य के लिए चंद लोग कैसे किसी भी पूरे समाज को जिम्मेदार ठहराते हुए उसके मान सम्मान व भावनाओं से खिलवाड़ कर सकते हैं।

देश के जिम्मेदार पदों पर आसीन लोगों व संस्थानों को समय रहते यह समझना चाहिए कि भारत में तो जाति धर्म के नाम पर वैसे ही दिन-प्रतिदिन लोगों के बीच चौड़ी खाई बनती जा रही है, फिर वह क्षणिक लाभ के लिए ऐसी ग़लती बार-बार क्यों कर रहे हैं। आज मेरा देश के नीतिनिर्माताओं से विनम्र अनुरोध है कि देश में फिर कभी किसी जाति या धर्म के साथ भविष्य में ऐसी स्थिति ना बने सके इसके लिए तत्काल कानून बनाकर रोक लगानी चाहिए। वहीं एक व्यक्ति के कृत्य के चलते पूरे समाज को कटघरे में खड़ा करके इस तरह बदनाम करने वाले लोगों व संस्थानों को तत्काल सख्त चेतावनी देने की कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए, जिससे कि भविष्य में वह फिर कभी किसी के साथ इस तरह के शर्मनाक कृत्य की पुनरावृति ना कर सकें। वहीं श्रीकांत त्यागी के इस पूरे मसले के बाद धरातल पर लगातार जिस तरह से देश के बेहद सम्मानित, देशभक्त त्यागी समाज को निशाने पर लिया जा रहा है, उन हालातों पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी शांतचित्त से विचार अवश्य करना चाहिए कि कहीं यह किसी व्यक्ति या दल के द्वारा भाजपा के परंपरागत त्यागी वोटबैंक को उससे दूर करने का कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं है। कहीं यह सब कुछ लोगों के द्वारा हिन्दू धर्म के बेहद मजबूत स्तंभ त्यागी समाज को बदनाम करने की कोई  सुनियोजित बहुत बड़ी साजिश तो नहीं है। क्योंकि जिस तरह से इस पूरे घटनाक्रम के बाद देश में चंद दिग्गज राजनेताओं व मीडिया घरानों ने त्यागी समाज के मान सम्मान व छवि को धूमिल करने का दुस्साहस किया है, वह स्थिति केवल त्यागी समाज के खिलाफ़ ही नही है, बल्कि देश की एकता अखंडता व पूरे हिन्दू धर्म के खिलाफ है। वैसे भी इन चंद लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि देश की आज़ादी की जंग से लेकर के, आज के आधुनिक भारत के नव निर्माण में देशभक्त व मेहनतकश ‘त्यागी समाज’ का अपना एक बेहद अनमोल योगदान हमेशा रहा है, उस पर क्षणिक राजनीतिक स्वार्थ व ओछी राजनीति के लिए यूं बेवजह प्रश्नचिन्ह लगा कर सवाल खड़ा करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।

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