कभी कभी कुछ शब्द,
सोने नहीं देते……
जब तक उन्हे किसी
कविता का आकार न दे दूँ।
कभी कभी कोई धुन,
सोने नहीं देती…..
जब तक उसमे शब्द पिरोकर,
गीत का कोई रूप न दे दूँ।
कभी कभी कोई विचार
सोने नहीं देते…..
जब तक विचारों को संजोकर
आलेख का आकार न दे दूँ।
कभी कोई किरदार
सोने नहीं देता…….
जब तक उसके चरित्र पर
कहानी को आकार न दे दूँ।