जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां

0
108

आर के रस्तोगी  

जो चाहा कभी पाया नहीं
जो पाया कभी चाहा नहीं
जो सोचा कभी मिला नहीं
जो मिला कभी पाया नहीं

जो मिला कभी रास आया नहीं
जो रास आया कभी मिला नहीं
जो पाया कभी वो सभाला नहीं
जो संभाला कभी वो खोया नहीं

अजीब सी पहेली ये जिन्दगी
काटने से कभी ये कटती नहीं
झूकता है वही जिसमे जान होती है
अकड तो मुर्दे की पहचान होती है

जिन्दगी जीने के दो तरीके है खरे
पहला जो पसन्द है उसे हासिल करे
दूसरा जो हासिल हे उसे पसन्द करे
आने वाली मुसीबतों से कभी न डरे

जिन्दगी जीना आसन नहीं है
जिन्दगी बहुत कुछ सिखाती है
कभी हँसती है कभी रुलाती है
जिन्दगी बस आदत बन जाती है

चेहरे की ख़ुशी से गम को चुराओ
बहुत कुछ बोलो पर कुछ न छिपाओ
खुद रूठो नहीं, पर सबको मनाओ
यही राज है जिन्दगी का जीते जाओ

Previous articleभाजपा के मुद्दों को साझा करती कांग्रेस
Next articleमतदाता को मुखर होना होगा
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here