पुत्र बाबू होता अपने माता-पिता का

(चाइल्ड इज द फादर ऑफ द मैन)
—विनय कुमार विनायक
पुत्र बाबू होता, अपने माता-पिता का,
सुनने में तो कुछ अटपटा सा लगता,
मगर सच है ये जीवन का फलसफा!

जीव के लिंग निर्धारण का मसला,
अकाट्य वैज्ञानिक तथ्य सत्य कि
जीव जन्म लेते माता के दो में से
कोई एक एक्स मादा क्रोमोजोम से
पिता के मातृ गुणसूत्र एक्स या कि
पितृगुणसूत्र वाई क्रोमोजोम मिलके!

हर पुरुष अर्धनारीश्वर होते शंकर जैसे,
पचास-पचास प्रतिशत नर-मादा गुण से,
और हर नारी शत प्रतिशत नारी होती,
स्व माता-पिता के एक्स-एक्स गुण ले!

अगर मिले माता की एक्स से, पिता के
मातृगुण एक्स क्रोमोजोम तो पुत्री होती!

या माता के एक्स से पितृगुण वाई मिले,
तो पुत्र जन्म लेते, यही तो जैविक सृष्टि!

अस्तु हर संतति सतत निर्बाध रूप से होते,
वाहक अपने पुरखे दादा-दादी के गुणसूत्र के!

हर माता-पिता को अपने माता-पिता से,
मातृ-पितृ गुणसूत्र मिले होते विरासत में,
जो पुरखे दादा-दादी, नाना-नानी के होते!

अस्तु हर भाई की बहन,हर पिता की पुत्री,
उनकी माता,दादी नानी की अवतारी होती!

हिन्दू संस्कृति में सोलह प्रकार की नारी,
पुरुषों के लिए मातृ स्वरुपिणी कही जाती,
इन सोलह कोटी नारी में, धर्मपत्नी छोड़,
देश-विदेश की तमाम नारियां माता होती!

महाभारत काल में स्वममेरी बहन से शादी,
करने की परंपरा, चल निकली विकृति थी,
अर्जुन व सुभद्रा की शादी कुछ ऐसी हीं थी,
जिसे उसी काल में, उसी पीढ़ी में कृष्ण के
अग्रज बलभद्र द्वारा प्रतिबंधित की गई थी!

आज भी हैहयवंशी,वृष्णिवंशी,माधव,कलचुरी,

वियाहुत जातियों में विवाह के तय होनेपर,
बलभद्र मनावन की रस्म निर्वाह की जाती!

विवाह तय हो जाने के पश्चात बलभद्र से,
भगवान कृष्ण की तरह वर वधू पक्ष वाले!
मान मनौव्वल करते, कि वर वधू में नहीं,
किसी प्रकार की रिश्तेदारी, भाई बहन की!

गोत्र एक कश्यपगोत्री, होने की स्थिति में,
बान व उपाधि तीन पुश्त तक बारी जाती!
अस्तु हिन्दू विवाह पद्धति और रिश्तेदारी,
अध्यात्म हीं नहीं, विज्ञान समर्थित होती!
—विनय कुमार विनायक

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