मजबूत हौसले ने दी उड़ान

0
160

रमा शर्मा

टोंक, राजस्थान

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में देश में मुस्लिम बालिका शिक्षा की दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। पहले की अपेक्षा स्कूल जाने वाली मुस्लिम बालिकाओं की संख्या बढ़ी है। स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय का निर्माण और अन्य योजनाओं के कारण यह परिवर्तन संभव हुआ है। एक तरफ जहां सरकार इस दिशा में गंभीर है, वहीं मुस्लिम समाज में भी बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता इस दिशा में अहम कड़ी साबित हुआ है। पहले की तुलना में इस समाज में लड़कियों को केवल धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं रखा जाता है बल्कि लड़कों के समान उन्हें भी बराबरी का मौका दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त देश के कई राज्यों में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष छात्रवृति और स्कूल आने जाने के लिए साइकिल जैसी सुविधा भी प्रदान की जा रही है।

हालांकि अभी भी कुछ क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण इस समुदाय की लड़कियों में शिक्षा का प्रतिशत दयनीय है। इन्हीं में एक राजस्थान का घुमंतु मुस्लिम बंजारा समुदाय है। जो महिलाओं और बालिकाओं के हक व अधिकारों के मुद्दे पर बिलकुल चुप्पी साधकर बैठा है। दूसरे शब्दों में कहें कि जैसे इस समुदाय को इस महत्वपूर्ण विषय पर बात करना ही गवारा नही। आज भी यह समुदाय महिलाओं व बालिकाओं को चारदीवारी के अंदर रखकर सिर्फ पितृसत्तात्मक नियमों का पालन करने पर ज़ोर देता है। लेकिन कुछ स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रयासों से इस समुदाय में न केवल शिक्षा की चेतना जागरूक हो रही है बल्कि सोहिना जैसी कुछ लड़कियां आगे बढ़ कर अपने ही समुदाय में अशिक्षा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ अलख भी जगा रही हैं।

राज्य के टोंक जिला स्थित निवाई ब्लॉक के खिड़गी गांव की सरपंच की ढ़ाणी नाम की बस्ती के रहने वाले मुस्लिम बंजारा समुदाय की बालिकाएं और महिलाएं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। जहां इस समुदाय के करीब 250 परिवार रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार खिड़गी गांव की कुल जनसंख्या 2257 है, जिसमें महिलाओं की संख्या 1159 है। स्थानीय भाषा में ढ़ाणी उस क्षेत्र को कहते हैं जो गांव के बाहर कुछ परिवारों द्वारा बस्ती बसाई जाती है। सामाजिक कार्यकर्ता पिंकी खंगार के अनुसार इस समुदाय का मुख्य व्यवसाय देश के कई शहरों में जाकर कंबल बेचना है। इसके अतिरिक्त कई परिवार मवेशी खरीदने और बेचने का भी व्यवसाय करते हैं। जिसके चलते इस समुदाय के अधिकतर पुरूष साल के आधे से अधिक महीनों तक घर से बाहर ही रहते हैं। ऐसे में इनमें शिक्षा के प्रति अधिक जागरूकता नहीं है। लड़कियों को न केवल स्कूली शिक्षा से वंचित रखा जाता है बल्कि कम उम्र में ही उनकी शादी भी कर दी जाती है।

पिंकी कहती हैं कि इसी समुदाय में सोहिना जैसी लड़की भी है, जो सभी तरह की चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए न केवल स्वयं शिक्षा प्राप्त कर रही है बल्कि अपने समुदाय की अन्य लड़कियों और महिलाओं को भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए जागरूक कर रही है। गांव के बुजुर्ग व पंच इस्लाम खान ने बताया कि सोहिना बचपन से ही लोगों की मदद और लड़कियों को आगे बढ़ाने का जज़्बा रखती थी। लड़कियों की शिक्षा और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में उसने जो भूमिका निभाई है वह क़ाबिले तारीफ है। वह कहते हैं कि पहले मैं सोहिना को गलत लड़की मानता था। परन्तु जब इसने हम जैसे लोगों की मदद तो अब इसके प्रति मेरी धारणा बिलकुल बदल गई है।

ढाणी के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मोहनलाल तथा खिडगी माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक महेन्द्र जैन ने इसके हौसले की तारीफ करते हुये कहा कि यह बालिका न केवल स्वयं शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ी बल्कि आस-पास भी 3 ढाणियां श्यांपुरा ढाणी, घाटा पट्टी ढाणी और अमरपुरा ढाणी की 50 बालिकाओं को भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा है। पहले मुस्लिम बंजारा समुदाय के लोगों और इनकी बालिकाओं में शिक्षा के प्रति हमारी सोंच नकारात्मक थी, परन्तु सोहिना के आत्मविश्वास और हौसलों ने हमारी सोच को बदल दिया है। पंचायत के कनिष्ठ सहायक कमलेश भी सोहिना की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि किशोरी मंच के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इस बालिका ने बस्ती के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने में काफी सहायता की। इसके लिए उसे पंचायत द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

वहीं किशोरी मंच के सदस्यों ने बताया कि अब तक सोहिना के नेतृत्व में हमने 150 वृद्धा पेंशन के फार्म भरवाकर लोगों को लाभ दिलवाया है जबकि 10 विधवा महिलाओं को विधवा पेंशन से जोड़ा है। वहीं बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कई लड़कियों को रोज़गारपरक ट्रेनिंग भी दिलवाकर उन्हें नरेगा मेंट के कार्यों से जोड़ा है। इसके अतिरिक्त 15 बालिकाएं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत कंप्यूटर की ट्रेनिंग और सिलाई कटाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं जो सोहिना के बिना मुमकिन नहीं था। इतना ही नहीं सोहिना ने अपने साथ साथ बस्ती की 10 लड़कियों को भी नर्सिंग की ट्रेनिंग से जोड़ा है और अब सभी अस्पताल में प्राइवेट नर्सिंग का कार्य सीख रही हैं।

इस संबंध में सोहिना के माता-पिता का कहना है कि हम पहले इसे घर से भी बाहर नही जाने देते थे, परन्तु सामाजिक कार्यकर्ता गिरिराज शर्मा द्वारा बार बार हमे समझाया। जिसके बाद हम इसे उनके साथ बैठकों और प्रशिक्षणों में भेजने लगे। वह वहां से जो सीख कर आती थी, वह हमें जब बताती थी। तो हमे लगा कि यह कुछ कर सकती है, तथा लोगों के लिये इसके दिल में कुछ करने का ज़ज़्बा है, तो फिर हर बार हमने इसका सहयोग किया। कई बार आर्थिक परेशानी भी आई, लेकिन सोहिना ने हिम्मत से काम लिया और अन्य लड़कियों में जागरूकता का काम करती रही। आज न सिर्फ हमें बल्कि बस्ती के सभी लोगों को सोहिना पर गर्व होता है। स्वयं सोहिना का कहना है कि उसे कभी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि लड़कों की तुलना में लड़कियां किसी प्रकार से कमज़ोर हैं। यदि लड़कों की तरह लड़कियों को भी समाज के सभी क्षेत्रों में बराबरी का अवसर मिले तो परिवर्तन संभव है। इसके लिए लड़कियों का शिक्षित होना आवश्यक है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इस ढाणी में बालिकाओं की साक्षरता की बात करें, तो मात्र 10 प्रतिशत बालिकाएं और महिलाएं ही साक्षर हैं। वहीं गांव में 0-6 वर्ष की किषोरी बालिका, गर्भवती व धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य व सुरक्षा पोषण का कोई अता पता नही है, क्योंकि ढाणी में आंगनबाडी सेंटर ही नही है।

बहरहाल एक अत्यंत पिछड़े क्षेत्र और समुदाय की रहने वाली सोहिना ने अपने क्षेत्र के लोगों की सोंच में परिवर्तन लेकर यह साबित कर दिया है कि बालिका शिक्षा के प्रति यदि समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन आ जाये तो लड़कियां भी अपने हौसले और हुनर से आसमान पर अपना नाम लिखने का हौसला रखती हैं, बस ज़रूरत है उनके हौसले को मज़बूत उड़ान देने की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,450 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress