विवेक कुमार पाठक
लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं
हिन्दुस्तान की माटी को प्रणाम। इस देश की हवा को सलाम। इस देश के जर्रे जर्रे को सलाम। मेरा देश मेरी मिट्टी और पूरी दुनिया की भिन्नताओं को समेटे हिन्दुस्तान इस अच्छाई के लिए भी दुनिया भर के लिए नजीर है।
हम पूंजीवादी अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र नहीं हैं मगर हमारे देश में संवेदनाओं का स्तर उनके कई गुना है। जिसको कहीं जगह नहीं है उसे हिन्दुस्तान ने जगह दी है। दुनिया भर की हमलावर कौमें हिन्दुस्तान की सरजमीं पर अपना झंडा लगाने आईं थीं मगर इसी जमीं के झंडे के नीचे आ गईं। हिमाचल के परिवार की करनजीत सिंह कौर का परिवार आधुनिकता और अमीरी के लिए कभी अमरीका गया था मगर संस्कार और जीवन दर्शन वह साथ न ले जा पाया।

पंजाबी परिवार की भटकी हुई बिगड़ैल बेटी अमरीका की तड़क भड़क में यह यूनिवर्सल ट्रूथ भूल गई कि पैसा कमाया जाता है जीवन के लिए। पैसे के लिए जीवन बेचा और बदला नहीं जाता।
अमरीका में कनाडा शहर ने पोर्न फिल्मों के कारोबार को किन जीवन मूल्यों के आधार पर मान्यता दी है ये बहस का अलग मुद्दा है फिलहाल सनी लियोनी के भारत में दुबारा करनजीत कौर बनने वाले कदमों पर।
अमरीका की पोर्न फिल्मों से दुनिया भर में चर्चित सनी लियोनी भारत में सनी की सनसनी बनकर बिग बॉस तक पहुंची थीं। इस टीवी शो में उनके अतीत ने जरुर मौका दिलाया हो मगर सनी ने हिन्दुस्तानी टीवी और सिनेमा में कदम रखते ही कालिख से भरी चकाचौंध को अलविदा किया था।
नीली फिल्मों के कारोबार वाले यौवन की बोली लगाने वाले कनाडा फिल्म निर्देशक भले ही कितनी संपत्ति अर्जित कर लें मगर वे सभ्य समाज में कभी आदर नहीं पा सकते। वे इंसानी शरीर को मृत हृदय से बेचने वाले कारोबारी हैं। सनी लियोनी ने बिग बॉस से शुरुआत करके तमाम तड़क भड़क भारतीय फिल्मों में काम करके अदाकारी का चरम भले न दिखा पाया हो मगर वो काले पानी के सात समंदर फिर भी पार करके अपने पिता के देश आ गई हैं। करोड़ों हत्याओं के दोषियों को क्षमा देने वाली भारतीय संस्कृति ने सनी को लिबासशुदा सिनेमा दिया है ये बहुत बड़ी बात है।ये बहुत बड़ा बदलाव न होता तो ये किसी बायोपिक का विषय न बनता।अच्छा बदलाव कोई भी करे मगर उसमें बहुतों में बदलाव लाने की काबिलियत होती है। हिन्दुस्तानी सिनेमा ने नीली फिल्मों वाले कनाडा से आई सनी लियोनी को नाम से न सही मगर बहुत हद तक करनीत कौर बनने की राह दिखाई है।करनजीत कौर अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सनी लियोनी नाम से बन रही बायोपिक फिल्म इसी का दस्तावेज है। यह फिल्म जिस बदलाव की बात करती है उसमें कितनी ईमानदार है ये अभी साफ नहीं मगर फिल्म ईमानदारी से होना ही चाहिए।फिल्म निर्देशक ने एक बहुत बड़े बदलाव पर सिनेमाप्रेमियों का ध्यान खींचा है तो फिल्म भी बदलाव की ईमानदार कहानी हो यही बेहतर है।अगर आप मसाला फिल्म या कम बजट की सस्ती फिल्में बनाना चाहते हैं तो आवरण में न बनाएं। हर तरह की फिल्में हर वर्ग के बीच बनती रही हैं और चलती रही हैं। खैर निर्देशक की ईमानदारी फिल्म तय करेगी मगर सनी लियोनी ने हिन्दुस्तानी सिनेमा में अपना भविष्य तय कर चाहे न चाहे बता दिया है हिन्दुस्तान सिनेमा उन्हें भा गया है। वे पुराने जिस रास्ते को छोड़कर यहां आई हैं वो औरों को भी सशक्त सिनेमा की ओर लेकर आएगा इस संदेश की ताकत ही इस फिल्म की सफलता तय करेगी। फिलहाल तो यह कहना ही सही होगा तमाम चुनौतियों के बाबजूद हमारा हिन्दुस्तान कनाडा की नीली फिल्मों वाले अमरीकी से बहुत ज्यादा आगे है।
हिन्दुस्तान में हर अच्छाई के लिए स्वागत है। बदलाव का स्वागत है।