साहित्‍य

सूरज है रूठा: नवगीत

अविनाश ब्यौहार

वर्षा की
पहली फुहार है।
और हवा के
आर पार है।।

डाली में
कोंपल फूटी है।
आज तपन
लगती झूठी है।।

हरितिमा की
साज सँवार है।

नहा रहा है
बूटा बूटा।
बादल से
सूरज है रूठा।।

घूंघट काढ़ेगी
बयार है।

मंजर दिखता रहा
बाढ़ का।
स्वागत बारिश में
अषाढ़ का।।

मेह बरसते
धुन सवार है।

अविनाश ब्यौहार,
रायल एस्टेट कटंगी रोड
माढ़ोताल जबलपुर
मो: 9826795372