घिरे बेचारे न्यारे सिद्धू

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अनिल अनूप 
पंजाब के मंत्री व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपनी पाकिस्तान यात्रा को लेकर विवादों में घिर गए हैं। इस बार विवाद का कारण उनका वह चित्र बना जो खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी चावला के साथ है। अपनी सफाई में नवजोत सिद्धू ने कहा है कि वहां मेरे साथ 10 हजार लोगों ने चित्र खिचवाए। मुझे नहीं पता कि कौन चावला या चीमा है। सिद्धू ने अपने को एक फलदार वृक्ष बताते हुए कहा कि पत्थर तो मुझे ही पड़ेंगे।नवजोत सिंह सिद्धू जब से राजनीति में आए हैं तभी से वह चर्चा में हैं। पहले भाजपा में रहकर सहयोगी अकाली दल (बादल) के सर्वेसर्वा स. प्रकाश सिंह बादल परिवार व मजीठिया परिवार उनके निशाने पर रहा, जब भाजपा छोड़ कांग्रेस में गए तो बादल व मजीठिया परिवार पर उनके शब्दों के तीर और तेज हो गए। भाजपा के प्रति फिर भी चुप्पी साधे रहे लेकिन अब भाजपा के वरिष्ठ नेता भी नवजोत सिंह के निशाने पर हैं।नवजोत सिद्धू पिछले कुछ दिनों से अकाली दल बादल, भाजपा सहित कांग्रेस के भीतर भी एक वर्ग के निशाने पर हैं। इन सबको अपना-अपना निशाना साधने के लिए नवजोत सिद्धू स्वयं अवसर दे देते हैं। पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलना और अब अलगाववादी चावला के साथ चित्र खिचवाना इन दो कारणों से नवजोत सिद्धू पर गद्दार होने तक के आरोप लगाए जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा है कि सिद्धू की हरकतें साफ करती हैं कि वह पाकिस्तान के एजेंट हैं। भाजपा के पंजाब अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक का कहना है कि सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम देश के लिए खतरा है। इनसे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार नवजोत सिद्धू को जयचंद व मीर जाफर तक कह चुके हैं।नवजोत सिद्धू पर आरोप लगाने वाले सभी व्यक्ति राजनीति में ही नहीं समाज में भी एक विशेष स्थान रखते हैं। उनके कहे का लोगों पर प्रभाव भी पड़ता है, क्योंकि उनकी अपनी साख व छवि अच्छी है लेकिन नवजोत सिद्धू को लेकर जो देश विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं, उससे हम सहमत नहीं हैं। नवजोत सिद्धू एक पूर्व खिलाड़ी है और उसने देश के झंडे की आन और शान बनाये रखने के लिए वर्षों मेहनत की और क्रिकेट के मैदान में देश का नाम अपने कृत से ऊंचा किया।नवजोत सिद्धू से वैचारिक व राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने नवजोत सिंह के पाकिस्तान जाने और वहां प्रकट विचारों और किए गए कर्म को लेकर अपने मतभेद सार्वजनिक ढंग से बड़े स्पष्ट शब्दों में कहे। कै. अमरेन्द्र सिंह ने स्पष्ट कहा है कि मैंने सिद्धू को पाकिस्तान जाने से रोका था लेकिन वो नहीं माने। कै. अमरेन्द्र सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि सिद्धू व्यक्तिगत तौर पर गए थे और पाकिस्तान में जो कहा या किया वह सिद्धू का व्यक्तिगत मामला है। एक मुख्यमंत्री को अपने मंत्री को लेकर जिस भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए था कै. अमरेन्द्र सिंह ने वह मर्यादा रखी। कै. अमरेन्द्र सिंह तथा उनके सहयोगियों के निशाने पर भी नवजोत सिंह उसी तरह हैं जैसे अकाली दल और भाजपा या किसी अन्य के निशाने पर है। लेकिन कै. अमरेन्द्र सिंह के अलावा अन्यों ने जिस भाषा का प्रयोग व जिन भावों को प्रकट किया गया उसको भी वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर समझा जा सकता है। लेकिन नवजोत सिद्धू को देश विरोधी, पाकिस्तान हितैषी या गद्दार कहना गलत है और इस बात की निन्दा होनी चाहिए।
नवजोत सिद्धू एक श्रद्धावान सिख तो है ही साथ में भावुक भी है। जब सिद्धू पर उसकी भावुकता हावी हो जाती है तब वह कब राजनीतिक गलती कर जाता है इस बात का सिद्धू को भी शायद बाद में पता चलता है और फिर वह स्थिति को संभालने की कोशिश करता है। राजनीति में भावुकता हानिकारक होती है यह बात किताबों में पढ़ी अवश्य थी लेकिन इसका जीता जागता उदाहरण नवजोत सिंह सिद्धू है।
पंजाब की राजनीति के केंन्द्र बिन्दू समय-समय पर बदलते रहे हैं। कभी कांग्रेस तथा उसके नेता, कभी अकाली दल और उसके नेता और कभी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रधान यह सब पंजाब की राजनीति की दिशा निर्धारित करते रहे हैं। भाजपा व वापमंथियों ने भी पंजाब की राजनीति को अपने ढंग से प्रभावित किया है। लेकिन वर्तमान में पंजाब की राजनीति जिस दिशा में जा रही है उसको विभिन्न दलों के कुछ नेता प्रभावित कर रहे हैं, उनमें से एक नवजोत सिंह सिद्धू हैं।
पाकिस्तान को लेकर जो रुख नवजोत सिद्धू ने अपनाया है उसमें राजनीति कम और भावुकता अधिक है, इसलिए व्यवहारिक स्तर पर सिद्धू विवादों में है। अगर सिद्धू थोड़े से व्यवहारिक होकर चलते तो स्थिति कुछ और ही होती। सिद्धू की कार्यशैली से मतभेद रखते हुए भी कह सकते हैं कि सिद्धू पंजाब व देश के प्रति वफादार है।

1 COMMENT

  1. सिद्धू को भावुकता की आड़ मे क्लीन चिट देने की लेखक की दलील बहुत लचर है ।r

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