व्यंग्य आओ रोग कैश करें March 30, 2015 / April 4, 2015 by अशोक गौतम | Leave a Comment इधर गृहस्थी का भार ढोते-ढोते एचबी कम और बीपी हाई हुआ तो घर में कोहराम मच गया। सभी घर में मुझे एक से एक न कभी सुने सुझाव देने लगे। मैंने पहली बार महससू किया कि मेरे घर के लोग मेरे लिए भी परेशान होते हैं। अपने घरवालों का अपने प्रति इतना लगाव देखा तो […] Read more » Featured अशोक गौतम आओ रोग कैश करें एचबी कम बीपी बीपी हाई मीठा कम खाओ
व्यंग्य बस, शांति पुरुष घोषित करवा दो यार !! January 9, 2012 / January 9, 2012 by अशोक गौतम | 1 Comment on बस, शांति पुरुष घोषित करवा दो यार !! अशोक गौतम कल बाजार में वे मिले। एक कांधे पर उन्होंने कबूतर बिठाया हुआ था तो दूसरे कांधे पर तोता। माथे पर बड़ा सा तिलक! हाथ में माला, तो शरीर जहां जहां भगवे से बाहर था वहां पर भूभत ही भभूत! अचानक वे मेरे सामने अल्लाह हो! अल्लाह हो! करते रूके तो उनपर बड़ा गुस्सा […] Read more » Satire अशोक गौतम शांति पुरुष घोषित करवा दो
व्यंग्य व्यंग्य : जाले अच्छे हैं! November 16, 2010 / December 19, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य : जाले अच्छे हैं! मां बहुत कहती रही थी कि मरने के लिए मुझे गांव ले चल। पर मैं नहीं ले गया। सोचा कि गांव में तो मां रोज ही मरती रही। एक बार मां शहर में भी देख कर मर ले तो मेरा शहर आना सफल हो। वह आजतक किसीके आगे सीना चौड़ा कर कुछ कह तो नहीं […] Read more » Webs are good chuckle अशोक गौतम व्यंग्यजाले अच्छे हैं
व्यंग्य व्यंग्य/ क्या बोलूं क्या बकवास करूं April 13, 2010 / December 24, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment जबसे दुनियादारी को समझने लायक हुआ था थोड़ा-थोड़ा करके मरता तो रोज ही था पर माघ शुक्ल द्वितीय को, चार सवा चार के आसपास सरकारी अस्पताल की चारपाई पर पड़े-पड़े पता नहीं किस गोली का असर हुआ कि मैं रोज-रोज के मरने से छूट गया और सच्ची को मर गया। हा! हा! हा!! अब बंदा […] Read more » vyangya अशोक गौतम व्यंग्य
व्यंग्य अब आगे देखेंगे हम लोग : व्यंग्य – अशोक गौतम November 9, 2009 / December 25, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment धुन के पक्के विक्रमार्क से जब रामदीन की पत्नी की दशा न देखी गई तो उसने महीना पहले घर से बाजार आटा दाल लेने गए रामदीन को ढूंढ घर वापस लाने की ठानी। रामदीन की पत्नी का विक्रमार्क से रोना नहीं देखा गया तो नहीं देखा गया। ये कैसी व्यवस्था है भाई साहब कि जो […] Read more » Ashok Gautam Satire अशोक गौतम व्यंग्य
व्यंग्य नानक दुखिया सब करोबार : व्यंग्य – अशोक गौतम October 26, 2009 / December 26, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on नानक दुखिया सब करोबार : व्यंग्य – अशोक गौतम धुन के पक्के विक्रमार्क ने जन सभा में वर्करों द्वारा भेंट की तलवार कमर में लपेटी चुनरी में खोंस बेताल को ढूंढने महीनों से खराब स्ट्रीट लाइटों के साए में निकला ही था कि एक पेड़ की ओट से उसे किसीके सिसकने की मर्दाना आवाज सुनाई दी। विक्रमार्क ने कमर में ठूंसी तलवार निकाल हवा […] Read more » Ashok Gautam Nanak Dukhiya Karobar अशोक गौतम करोबार नानक नानक दुखिया सब करोबार व्यंग्य
व्यंग्य इक्कीसवीं सदी के लेटेस्ट प्रेम : व्यंग्य – अशोक गौतम October 22, 2009 / December 26, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on इक्कीसवीं सदी के लेटेस्ट प्रेम : व्यंग्य – अशोक गौतम वे सज धज कर यों निकले थे कि मानो किसी फैशन शो में भाग लेने जा रहे हों या फिर ससुराल। बूढ़े घोड़े को यों सजे धजे देखा तो कलेजा मुंह को आ गया। बेचारों के कंधे कोट का भार उठाने में पूरी तरह असफल थे इसीलिए वे खुद को ही कोट पर लटकाए चले […] Read more » 21st Century Ashok Gautam Latest Love अशोक गौतम इक्कीसवीं सदी लेटेस्ट प्रेम व्यंग्य