कविता सावन का महीना है,फिर भी मै प्यासी July 14, 2018 / July 14, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी सावन का महीना है फिर भी मै प्यासी हूँ मिलने की चाहत है,फिर भी मै उदासी हूँ नन्नी नानी बूंदे चारो तरफ बरस रही है उनके दीदार के लिए आँखे तरस रही है बिजली भी आसमान में कडक रही है उनसे मिलने की उम्मीदे भडक रही है बादल गरज गरज कर कुछ […] Read more » आसमान फिर भी मै प्यासी बादल गरज सावन का महीना है
विविधा सूखा आसमान में या दिमाग में ? April 22, 2016 by अरुण तिवारी | 4 Comments on सूखा आसमान में या दिमाग में ? इस प्यास की पङताल जरूरी है यह सच है कि 1960 के दशक में अमेरिका की औद्योगिक चिमनियों से उठते गंदे धुएं के खिलाफ आई जन-जागृति ही एक दिन ’अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस’ की नींव बनी। यह भी सच है कि धरती को आये बुखार और परिणामस्वरूप बदलते मौसम में हरित गैसों के उत्सर्जन में हुई […] Read more » Featured अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस आसमान सूखा
कविता आसमान December 20, 2014 / December 20, 2014 by डॉ नन्द लाल भारती | Leave a Comment पीछे डर आगे विरान है, वंचित का कैद आसमान है जातीय भेद की, दीवारों में कैद होकर सच ये दीवारे जो खड़ी है आदमियत से बड़ी है । . कमजोर आदमी त्रस्त है गले में आवाज़ फंस रही है मेहनत और योग्यता दफ़न हो रही है , वर्णवाद का शोर मच रहा है ये कैसा […] Read more » आसमान