कविता कविता: जब तिमिर बढ़ने लगे तो November 4, 2010 / December 20, 2011 by गिरीश पंकज | 9 Comments on कविता: जब तिमिर बढ़ने लगे तो जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा दैत्य हुंकारें अगर तो देव को हँसना पड़ेगा दीप है मिट्टी का लेकिन हौसला इस्पात-सा हमको भी इसके अनोखे रूप में ढलना पड़ेगा रौशनी के गीत गायें हम सभी मिल कर यहाँ प्यार की गंगा बहाने प्यार से बहना पड़ेगा सूर्य-चन्दा हैं सभी के रौशनी सबके […] Read more » Diwali दीपावली
वर्त-त्यौहार लक्ष्मी-गणेश या विक्टोरिया-पंचम November 4, 2010 / December 20, 2011 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on लक्ष्मी-गणेश या विक्टोरिया-पंचम सोने-चांदी के सिक्के और दीपावली पूजन -लोकेन्द्र सिंह राजपूत भारत का सबसे बड़ा त्योहार है दीपावली। हर कोई देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका स्नेह चाहता है। इसी जद्दोजहद में व्यक्ति अनेकों जतन करता है धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को। पूजन के दौरान कोई गुलाब के तो कोई कमल के फूलों से उनका आसन […] Read more » Diwali दीपावली
वर्त-त्यौहार कविता : जिनके पास पैसे कम हैं November 4, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on कविता : जिनके पास पैसे कम हैं महँगी हुई दीवाली अब पापा क्या करें पापा की जेब है खाली अब पापा क्या करें महँगी हुई दीवाली अब पापा क्या करें पापा की जेब है खाली अब पापा क्या करें चुन्नू को चाहिए महँगी फुलझरियां मुन्नू को महँगे बम,पटाके इन पर पैसे खर्च दिए तो घर में पड़ जाएँगे फाके अब पापा क्या […] Read more » Diwali दीपावली