दीपावली

-पंडित आनन्द अवस्थी

कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का विश्‍व प्रसिद्ध त्योहार मनाने की परंपरा है इस दिन मां भगवती महालक्ष्मी का उत्सव बडे धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो दीपावली मुख्यत: वैश्‍वों का त्योहार है लेकिन जहां जहां हिंदू हैं वहां वहां दीपावली की महक बिखरती रहती है इसदिन लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए घरों की सफाई विधिवत की जाती है घर को अच्छी तरह से सजाकर घी के दीपों से रोशनी की जाती है। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी दीपक, बल्ब, मोमबत्ती आदि के माध्यम से प्रकाशयुक्त रखा जाता है।

इसदिन लक्ष्मी जी के पूजन का विशेष प्रविधान किया जाता है रात में सभी घरों में धन धान्य की अधिष्ठाती देवी महालक्ष्मी जी, गणेश जी, विद्या की मातेश्‍वरी सरस्वती जी का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या की अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं पृथ्वी लोक में आती हैं और प्रत्येक साफ सुथरे गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर साफ सुथरा होता है वहां वह ठहर जाती हैं यही वजह है कि घरों को सफाई से और प्रकाश युक्त रखा जाता है। वास्तविकता यह है कि धनतेरस, नरकचतुर्दशी, तथा महालक्ष्मी पूजन आवाहन आदि पर्वों के मिश्रण को ही दीपावली मानते हैं।

श्री महालक्ष्मी पूजन और दीपावली का प्रमुख हिंदू पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या में प्रदोष काल और अर्धरात्रि व्यापिनी हो तो विशेष रूप से शुभसूचक प्रतीत होती है।

कातिकस्यासिते पक्षे लक्ष्मी निंदा विमुउचति!

सच दीपावली प्रोक्ता: सर्वकल्याण रूपिणी!!

अर्थात लक्ष्मी पूजन दीपदान आदि के लिए प्रदोष काल का विशेष महत्व दिया गया है।

कार्तिके प्रदोषे तु विषेषेण अमावस्या निषावर्धके!

तस्या सम्पूज्यते देवी भोग्यं मोक्षं प्रदायिनीम!!

कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या का संयोग शुक्रवार शनिवार दो दिन है 05 नवम्बर शुक्रवार को चतुर्दशी 17 घ0 7 प0 अर्थात दिन में 1 बजकर 23 मिनट तक है। उपरांत अमावस्या प्रारंभ हो जाती है। 6 नवंबर शनिवार को अमावस्या दिन में 11 बजकर 51 मिनट तक है उपरांत प्रतिपदा का आरंभ हो जाता है।

दीपावली को सायंकाल से ही प्रदोष का काल आरंभ है प्रदोष काल में ही स्नान आदि के पश्‍चात स्वच्छ वस्त्र आभूषण आदि धारण करके पूजा स्थल पर मंत्रों द्वारा आवाहन करके नियत स्थान पर महालक्ष्मी जी, विघ्न विनाशक गणेश जी, महाकाली, कुबेरजी का पूजन करके संक्षिप्त, सादगी पूर्ण आहार लेना चाहिए। शुभ मुहूर्त में रात्रि में मंत्रजप, यंत्रसिध्दि आदि कार्य करने चाहिए।

पूजन समय:-

कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को वृष लग्न, प्रदोष काल, स्वाती नक्षत्र, आयुष्मान योग, तुला राशि में सूर्य और तुला राशि में ही चंद्रमा विशेष रूप से सुखद और समृध्दि कारक हैं अत: सायंकाल 5 बजकर 49 मिनट से रात्रि 07 बजकर 46 मिनट के मध्य दीपावली पूजन का विशेष मुहूर्त प्रतीत होता है।

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