दोहे दोहे December 26, 2016 by बीनू भटनागर | Leave a Comment नींद नहीं मेरी सखी,मुश्किल से है आय, चौक कर खुल जाय कभी,फिर नख़रा दिखलाय। सपनों का घर नींद है , निंदिया का घर नैन नींद नैन आवे नहीं , ना सपनों को चैन। कच्चा घर है नींद का , टूट कभी भी जाय बार- बार टूटे कभी , बन न निशा भर पाय। शाम रात […] Read more » दोहे
कविता दोहे / क्षेत्रपाल शर्मा February 22, 2012 by क्षेत्रपाल शर्मा | 1 Comment on दोहे / क्षेत्रपाल शर्मा हाथ जेब भीतर रहे, कानों में है तेल नौ दिन ढाई कोस का वही पुराना खेल . छिपने की बातें सभी, छपने को तल्लीन सच मरियल सा हो गया झूट मंच आसीन. बचपन- पचपन सब हुए रद्दी और कबाड़, आध – अधूरे लोग हैं करते फ़िरें जुगाड़ . क्या नेता क्या यूनियन सबके तय हैं […] Read more » दोहे
कविता स्वरचित दोहे January 3, 2011 / December 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on स्वरचित दोहे मरा मरा का जाप कर, डाकू बना महान। राम राम मैँ नित जपूँ , कब होगा कल्यान। रक्षक ही भक्षक बने, खीँच रहे हैँ खाल। हे प्रभु! मेरे देश का, बाँका हो ना बाल। आरक्षण के दैत्य ने, प्रतिभा निगली हाय। देश रसातल जा रहा, अब तो दैव बचाय। बेरोजगारी बढ. रही, जनसंख्या के साथ। […] Read more » Couplets दोहे