जरूर पढ़ें मीडिया बौद्धिक विमर्शों से नाता तोड़ चुके हैं हिंदी के अखबार April 27, 2015 / April 27, 2015 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -संजय द्विवेदी- हिंदी पत्रकारिता को यह गौरव प्राप्त है कि वह न सिर्फ इस देश की आजादी की लड़ाई का मूल स्वर रही, बल्कि हिंदी को एक भाषा के रूप में रचने, बनाने और अनुशासनों में बांधने का काम भी उसने किया है। हिंदी भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी भाषा बनी, जिसकी पत्रकारिता और साहित्य […] Read more » Featured आधुनिक पत्रकारिता पत्रकारिता बौद्धिक विमर्शों से नाता तोड़ चुके हैं हिंदी के अखबार हिन्दी पत्रकारिता
विविधा शख्सियत जिन्हें पाकर पुरस्कार मुस्कुराया April 22, 2015 / April 22, 2015 by अनिल द्विवेदी | Leave a Comment -अनिल द्विवेदी- साल 2000 के फरवरी माह का कोई दिन था। श्वेत-धवल वस्त्रों में लिपटी गौरवर्ण की काया, वात्सल्यमयी मुस्कान लिए विद्वान संपादक के समक्ष जैसे ही पहुंचा, उन्होंने बैठने का इशारा किया और सीधे पूछ लिया : कलम रखे हो। ग्रेजुएशन के बाद पहली नौकरी पाने के उत्साह से लबरेज मैंने स्वीकृति में सिर […] Read more » Featured जिन्हें पाकर पुरस्कार मुस्कुराया पत्रकारिता बबन प्रसाद मिश्र
जरूर पढ़ें मीडिया आधुनिक जमाने की पत्रकारिता का जीवन जोखिम भरा ? April 22, 2015 / April 22, 2015 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | 1 Comment on आधुनिक जमाने की पत्रकारिता का जीवन जोखिम भरा ? लक्ष्मी नारायण लहरे- लोकतंत्र के चैथे स्तंभ के खिलाफ लगातार दुर्भावनापूर्ण अभियान चल रहा है ? समाज की अंतिम व्यक्ति की लड़ाई लड़़ने वाला मीडिया चैक चैराहों से लेकर दफ्तर तक तृस्कार और अपमानजनक शब्दों का घूंट पी रहा है। यह बात किसी से छिपी नहींं है। मीडिया को कभी प्रोस्टीट्यूट तो कभी बिकाऊ […] Read more » Featured आधुनिक जमाने की पत्रकारिता का जीवन जोखिम भरा ? आधुनिक पत्रकारिता जर्नलिज्म पत्रकारिता
मीडिया सामाजिक समरसता और मीडिया August 23, 2014 / August 23, 2014 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | Leave a Comment –डॉ. मनोज चतुर्वेदी- मीडिया में अब दलितों के सवालों को जगह मिलने लगी है। मीडिया संस्थानों को समझ आ रहा है कि दलितों की बात करने पर उनका माध्यम चर्चित होता है, इसलिए अब अधिक मात्रा में समाचार माध्यमों में दलितों की आवाज को जगह मिल रही है। आज भी भारत के किसी भी हिस्से […] Read more » पत्रकारिता मीडिया सामाजिक समरसता और मीडिया
जरूर पढ़ें पत्रकारिता में पुरानी है आत्मप्रवंचना की बीमारी…! July 17, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment -तारकेश कुमार ओझा- भारतीय राजनीति के अमर सिंह और हाफिज सईद से मुलाकात करके चर्चा में आए वेद प्रताप वैदिक में भला क्या समानता हो सकती है। लेकिन मुलाकात पर मचे बवंडर पर वैदिक जिस तरह सफाई दे रहे हैं, उससे मुझे अनायास ही अमर सिंह की याद हो आई। तब भारतीय राजनीति में अमर […] Read more » पत्रकारिता वेद प्रताप वैदिक हाफिज सईद
मीडिया हिन्दी पत्रकारिता का संडे स्पेशल… May 24, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मनोज कुमार- संडे स्पेशल शीर्षक देखकर आपके मन में गुदगुदी होना स्वाभाविक है। संडे यानि इतवार और स्पेशल मतलब खास यानि इतवार के दिन कुछ खास और इस खास से सीधा मतलब खाने से होता है लेकिन इन दिनों मीडिया में संडे स्पेशल का चलन शुरू हो गया है। संडे स्पेशल स्टोरी इस तरह प्रस्तुत […] Read more » पत्रकारिता पत्रकारिता विशेष हिन्दी पत्रकारिता
मीडिया आदि-अनादि संवाददाता नारद May 10, 2014 / May 10, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -रमेश शर्मा- कुछ विधाएं ऐसी होती हैं जो कालजयी होती हैं। समय और परिस्थितियां उनकी जरूरत महत्व को प्रभावित नहीं कर पातीं। बस उनका नाम और रूप बदलता है। कहने-सुनने या उन्हें इस्तेमाल करने का अंदाज बदलता है लेकिन उनका मूल तत्व नहीं बदलता। पत्रकारिता ऐसी ही विधा है। पत्रकारिता करने वालों को पत्रकार कहें, […] Read more » नारद नारद की पत्रकारिता नारदीय पत्रकारिता पत्रकारिता पुराने जमाने से पत्रकारिता पुराने जमाने से संवाद
मीडिया कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे May 30, 2013 / May 31, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | 1 Comment on कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे सिद्धार्थ मिश्र”स्वतंत्र” एक बहुत पुराना गीत है “कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे” । आज सुबह इस गीत को सुन रहा था कि अचानक कुछ विचार मन में कौंध उठे । बेहद अर्थपूर्ण ये गीत आज वाकई हिंदी पत्रकारिता की दुर्दशा को स्वर देता प्रतीत हुआ । भारतीय पत्रकारिता का उद्भव गुलामी के विषम काल […] Read more » पत्रकारिता
मीडिया गुम होती जनपक्षीय पत्रकारिता March 28, 2012 / July 12, 2012 by संजय कुमार संजय कुमार वैश्वीककरण के इस दौर में जनपक्षीय पत्रकारिता गुम होती जा रही है। बाजारवाद ने राष्ट्रीय मीडिया के स्वरूप को बदल डाला है। आरोपो में घिरा, यह संपूर्ण भारतीय समाज का माध्यम नहीं बन पाया है। तथाकथित एक वर्ग तक सिमट कर यह रह गया है। सामाजिक पहलूओं को लगातार दरकिनार करते हुए, राष्ट्रीय […] Read more » Journalism जनपक्षीय पत्रकारिता पत्रकारिता
मीडिया सदाचार की शिक्षा और पत्रकारिता August 9, 2011 / December 7, 2011 by प्रो. बृजकिशोर कुठियाला | 1 Comment on सदाचार की शिक्षा और पत्रकारिता प्रो. बृजकिशोर कुठियाला एक जिलाधीश के पास उस प्रदेश के मुख्यमंत्री का फोन आया। उनकी बात सुनने के बाद जिलाधीश ने मुख्यमंत्री को फोन पर कहा कि सर मैं यह कार्य नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मेरे नियमों के विरूद्ध है। मुख्यमंत्री ने उनसे फिर कुछ कहा, तो जिलाधीश ने उनको धन्यवाद देते हुए कहा कि […] Read more » Journalism पत्रकारिता सदाचार
मीडिया भविष्य का मीडिया और सामाजिक- राष्ट्रीय सरोकार June 29, 2011 / December 9, 2011 by कुन्दन पाण्डेय | 1 Comment on भविष्य का मीडिया और सामाजिक- राष्ट्रीय सरोकार कुन्दन पाण्डेय आज का युग मीडिया क्रान्ति का युग है। समाचार पत्रों की प्रसार संख्या तो अनवरत बढ़ती ही जा रही है साथ ही 24 घन्टे के समाचार चैनलों ने मिनटों में किसी भी समाचार को दर्शकों तक पहुँचाने की महत्वपूर्ण व अद्वितीय क्षमता से लोकतंत्र के चौथे खम्भे के रूप में अपनी सार्थकता को […] Read more » Journalism पत्रकारिता मीडिया
राजनीति आज पत्रकारिता के समक्ष तोप मुक़ाबिल है June 6, 2011 / December 11, 2011 by राजीव रंजन प्रसाद (बीएचयू) | Leave a Comment इस घड़ी बाबा रामदेव के प्रयासों की वस्तुपरक एवं निष्पक्ष आलोचकीय बहस-मुबाहिसे की आवश्यकता है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बाबा रामदेव को कई लोग कई तरह से विज्ञापित-आरोपित कर रहे हैं। कोई कह रहा है-संघ के हैं रामदेव, तो कोई उन्हें महाठग कह अपनी तबीयत दुरुस्त कर रहा है। कई तो उन्हें गाँधी […] Read more » Journalism तोप मुक़ाबिल पत्रकारिता