कविता परिवर्तन October 7, 2020 / October 7, 2020 by डॉ. ज्योति सिडाना | Leave a Comment अचानक कैसे बदल जाता है सब कुछराह चलते चलते आदमी तक बदल जाता है।गांव से शहर जाने वाले का पता बदल जाता हैऔर तो और चेहरे का नकाब बदलता है हर पल।मुझे लगता है सिर्फ नहीं बदलता तो जनवादमूर का ‘यूटोपिया’ और समाजवाद का वह स्वप्न‘प्रत्येक से उसकी योग्यता अनुसार, प्रत्येक को उसकी आवशयकतानुसार’।पिछले 73 […] Read more » परिवर्तन
कविता परिवर्तन January 8, 2015 by डॉ नन्द लाल भारती | Leave a Comment ह्रदय दीप मेरा , परिवर्तन का आगाज़ है , दीप को लहू दे रहा ऊर्जा , तन तपकर दे रहा है रोशनी , मन कर रहां , सच्ची विचारो का आह्वाहन , मानवीय समानता के लिए। भूख से कराह रहा , समानता की प्यास है , आर्थिक उत्थान की अभिलाषा है , कायनात के संग […] Read more » परिवर्तन
विविधा अब ऐसे परिवर्तन का हो शंखनाद / नरेश भारतीय April 10, 2013 by नरेश भारतीय | Leave a Comment राजनीति को विष बताने के बावजूद राहुल गांधी ने देश के पूंजीपति और उद्योगपति समुदाय के समक्ष बोलते हुए आगामी लोकसभा चुनाव दंगल में अपने प्रवेश का शंखनाद करने का उपक्रम किया है. भले ही वे बार बार यह जतलाने का प्रयास करते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने से कोई सरोकार नहीं है इस पर […] Read more » परिवर्तन