राजनीति समाज प्रकृति एवं पर्यावरण की उपेक्षा क्यों? November 26, 2018 / November 26, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग- विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रति वर्ष पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए २६ नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा […] Read more » कन्द-मूल पशु-पक्षी पेड़़ पौधे प्रकृति एवं पर्यावरण की उपेक्षा क्यों? प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लताएं
राजनीति समाज उत्तराखंड के जलते जंगल May 29, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मनुष्य का जन्म प्रकृति में हुआ और उसका विकास भी प्रकृति के सानिध्य में हुआ। इसीलिए प्रकृति और मनुष्य के बीच हजारों साल से सह-अस्तित्व की भूमिका बनी चली आई। गोया,मनुष्य ने सभ्यता के विकासक्रम में मनुष्येतर प्राणियों और पेड़-पौधों के महत्व को समझा तो कई जीवों और पेड़ों को देव-तुल्य मानकर उनके […] Read more » Featured अखरोट और काफल उत्तराखंड जंगली जीव जन्म प्रकृति देवदार पत्तियां पतझड़ पीपल पेड़़ पौधों बर्फीली पहाड़ियों मनुष्य
कहानी साहित्य जाम का पेड़ July 7, 2017 / July 7, 2017 by आशीष श्रीवास्तव | 9 Comments on जाम का पेड़ आशीष श्रीवास्तव दादीजी अपने बेटे-बहू और पोती के साथ नये मकान में रहने आयीं तो देखा मोहल्ले में हरियाली का नामोनिशान नहीं। कहीं पर भी पेड़ नहीं फलदार पेड़ तो मोहल्ले के आसपास भी नहीं दिख रहे थे। लोगों ने कुछ पौधे अवश्य गमलों में उगा रखे थे लेकिन वे असली हैं या नकली, ये […] Read more » पेड़़
पर्यावरण विविधा घट रहे हैं पेड़़ June 9, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment पेड़ लगाने और उनकी सुरक्षा से जुड़ा सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकारी नीतियां के चलते सारी जिम्मेबारियां लाल फीताशाही की गिरफ्त में आ गई है। पेड़ लगाने, काटने, उसे परिवहन व विक्रय करने के कायदे-कानून राज्य सरकारों के आधीन हैं। निजी भूमि पर लगाया गया पेड़ भी काटने के लिए राजस्व और वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। इनमें रिष्वत का बोलबाला है। नतीजतन इन परेशानियों से बचने के लिए लोगों ने पेड़ उगाना ही बंद कर दिया है। इस कारण आम आदमी का वन प्रबंधन से अब कोई संबंध ही नहीं रह गया है। आज भारत के सबसे गरीब लोग सबसे संमृद्ध वनों में रहते है। किंतु पेड़ और वनोपज से सर्वथा वंचित है। गोया जब इन गरीबों को पेड़ उगाने और काटने के साथ वनोपज के स्वामित्व से जोड़ा जाएगा, तभी वनों का विकास व सरंक्षण संभव है। Read more » पेड़़ वृक्षों का सरंक्षण