लेख शख्सियत प्रेमचंद का साहित्यिक अवदान July 31, 2021 / July 31, 2021 by प्रणय कुमार | Leave a Comment किसी भी उदार, गतिशील एवं जागरूक समाज में विमर्श और विश्लेषण सतत ज़ारी रहना चाहिए। परंतु भारतीय मनीषा ने उससे एक क़दम आगे बढ़ते हुए भिन्न-भिन्न मतों के बीच एकत्व या समन्वय साधने की अद्भुत कला विकसित की है। यह कला या जीवन-दृष्टि ही हमारी थाती है। हमारे अध्ययन-अध्यापन, चिंतन-मनन, विमर्श-विश्लेषण का लक्ष्य ही सृष्टि […] Read more » Literary contribution of Premchand प्रेमचंद प्रेमचंद का साहित्यिक अवदान
व्यंग्य साहित्य प्रेमचंद की जरूरत थी July 30, 2016 by अशोक गौतम | 1 Comment on प्रेमचंद की जरूरत थी अधराता हो चुका था। पर आखों से नींद वैसे ही गायब थी जैसे यूपी में चुनाव के चलते हर नेताई आंख से नींद गायब है। जैसे तैसे सोने का नाटक कर सोने ही लगा था कि फोन आया तो चैंका। किसका फोन होगा? किसी दोस्त को कहीं कुछ हो तो नहीं गया होगा? ये दोस्त […] Read more » Featured प्रेमचंद प्रेमचंद की जरूरत
लेख नवचेतना के आधार:प्रेमचंद July 30, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment रामकृष्ण प्रेमचंद जयन्ती : 31 जुलाई प्रेमचंद जितने अंश में साहित्यकार थे उतने ही अंश में एक समाजवेत्ता और मार्गदर्शक भी बल्कि उनकी यह दोनों विशेषताएं इतनी एकरूप हो गयी थीं कि उनका अस्तित्व ही नहीं बच पाया था. इस कालजयी साहित्यसर्जक के स्मरणपर्व पर किये उनकी कला के विभिन्न पक्षों का एक बेबाक विवेचन. बात […] Read more » Premchand प्रेमचंद
धर्म-अध्यात्म विविधा गाय को नहीं, मुझे मार गोली July 13, 2011 / December 9, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on गाय को नहीं, मुझे मार गोली सामाजिक व राष्ट्रीय जागरण के अग्रदूत सुविख्यात उपन्यासकार प्रेमचंद उन दिनों गोरखपुर के एक विद्यालय में शिक्षक थे। उन्होंने गाय रखी हुई थी। एक दिन गाय चरते-चरते दूर निकल गई। प्रेमचंद गाय की तलाश करने निकले। उन्होंने देखा कि गाय अंग्रेज कलेक्टर की कोठी की बगीची में खड़ी है तथा अंग्रेज कलेक्टर उसकी ओर बंदूक […] Read more » Cow गाय प्रेमचंद
साहित्य रंगभूमि का नायक October 21, 2008 / December 22, 2011 by विकास कौशिक | 4 Comments on रंगभूमि का नायक लेखक- विकास कौशिक मैं मुन्ना भाई नहीं हूं…मुझे मेरे सामने जीते जागते महात्मा गांधी नजर नहीं आते…लेकिन सच कहूं…सपने में मुंशी प्रेमचंद से मेरी मुलाकात होती है। और सुनिये ये मामला किसी कैमीकल लोचे का नहीं मामला सचमुच इस वक्त के सबसे बड़े लोचे का है। बहरहाल आपको बताउं मुंशी जी ने मुझसे क्या कहा…वो […] Read more » prem chandra प्रेमचंद रंगभूमि