राजनीति मनुवाद का उग्र व रक्तरंजित विरोध पर मायावती को सोचना होगा March 22, 2017 / March 22, 2017 by आचार्य विष्णु श्रीहरि | Leave a Comment प्रमाणित और निर्णायक तौर पर मायावती न तो काशी राम हैं और न ही भीमराव अबेडकर हैं। काशी राम और भीम राव अंबेडकर को दौलत नहीं चाहिए थे, संपत्ति से इन्हें कोई मोह नहीं था। इनकी केवल इच्छा दलितों की उन्नति और उत्थान था, जिनके लिए ये लडे। काशी राम पार्टी और संगठन में आये पैसे कार्यकर्ताओं के बीच वितरित करते थे। इसलिए काशी राम के प्रति दलितों का सम्मान जारी है। अबेडकर कहा करते थे कि सिर्फ उफान पैदा करने से और गाली देने से मात्र से दलितों का उत्थान नहीं होगा, उन्नति नहीं होगी। Read more » Featured काशी राम भीमराव अंबेडकर मनुवाद मनुवाद का उग्र विरोध मनुवाद का रक्तरंजित विरोध मायावती सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय
समाज दलित राजनीति में मनुवाद का सर्वाधिक दुरपयोग November 25, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment मनुवाद व ब्राह्मणवाद दो स्वार्थ-परक शब्द पिछले 100 साल में भारत की राजनीति में बहुत आये। दूसरे शब्द हैं जैसे की 'अल्पसंख्यक", 'बहुसंख्यक", "साम्प्रदायिकता", 'दलित", "महा-दलित", "हरिजन", "सर्वहारा-वर्ग",और भी कुछ शब्द हैं जिनको सभी राजनीतिक दल अपने- अपने फायदे के अनुसार परिभाषित करते हैं। समय आने पर खुद अपने ही दिये "परिभाषा" से मुकर जाते हैं। Read more » Featured ब्राह्मणवाद मनुवाद
राजनीति भारत में लोकतंत्र और मनुवाद का समन्वय July 24, 2016 / July 24, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भाजपा ने बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती के विरूद्घ अभद्र टिप्पणी करने वाले अपने पार्टी नेता दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। पर उसके उपरांत भी बसपा कार्यकर्ताओं ने अपने प्रदर्शनों में अशोभनीय और अभद्र भाषा का प्रयोग निरंतर जारी रखा हुआ है। ऐसे में प्रश्न है कि दयाशंकर सिंह पर तो कार्यवाही हो […] Read more » Featured दयाशंकर सिंह बसपा भाजपा भारत मनुवाद मायावती लोकतंत्र