कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को ऐसे समझिए, जनकल्याणक है February 27, 2025 / February 27, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय शिव पूजा का तातपर्य हमेशा लोककल्याणकारी-जनकल्याणकारी कार्यों से है। इसलिए ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को अवश्य समझना चाहिए। यथासम्भव दूसरों को बतलाना चाहिए। शिवकथा का उद्देश्य यही है जो जन कल्याणक और लोकमंगलकारी है। शिवरात्रि अर्थात् भगवान शिवजी की रात्रि। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि की रात्रि को भगवान शिवजी का विवाह पार्वती जी से हुआ था। लिहाजा, यह भगवान शिवजी की आराधना की रात्रि है जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) को मनायी जाती है। क्या आपको पता है कि जब अन्य देवताओं का पूजन-यजन दिन में होता है तो फिर शिवजी का पूजन रात्रि में ही क्यों, अक्सर यह विचार आपके मन में उत्पन्न हो सकता है। इसलिए आपको बता दें कि भगवान शिव तमोगुण प्रधान संहार के देवता हैं। अत: तमोमयी रात्रि से उनका ज्यादा स्नेह है। चूंकि रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्रोत चन्द्रमा भी पूर्ण रूप से क्षीण होता है। लिहाजा जीवों के अन्दर भी तामसी प्रवृत्तियाँ कृष्ण पक्ष की रात में बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि जैसे पानी आने से पहले पुल बाँधा जाता है, उसी प्रकार चन्द्र क्षय तीज आने से पहले उन तामसी प्रवृत्तियों के शमन (निवारण) हेतु भगवान आशुतोष (शिव) की आराधना का विधान शास्त्रकारों ने बनाया। यही रहस्य है जो लोककल्याणक है। मंगलकारी है। दरअसल, संहार के पश्चात् नई सृष्टि अनिवार्य है अर्थात् संहार के बाद पुन: सृष्टि होती है। इसलिए आप देखते हैं कि फाल्गुन मास में सभी पेड़-पौधों (लगभग सभी) के पत्ते झड़ जाते हैं उसके बाद ही नई पत्तियाँ निकलती हैं। इसे सृष्टि का नया स्वरूप जानो। समझो। महाशिवरात्रि इसके निखरने की पावन बेला है। सवाल है कि महाशिवरात्रि पर लोग उपवास और रात्रि जागरण क्यों करते हैं? इसकी धार्मिक विधि क्या है? से स्पष्ट करें? क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है? यहां पर आपकी जिज्ञासा शांति के लिए बता दें कि जिस प्रकार शराब, भाँग, गाँजा, अफीम आदि पदार्थों में मादकता (नशा) होती है उसी प्रकार अन्न में भी मादकता होती है। शायद कुछ लोग इस बात को न जानते हों किन्तु यह सत्य है कि अन्न में मादकता होती है। आप भोजन करने के बाद शरीर में शिथिलता और आलस्य महसूस करते होंगे जबकि सिर्फ फलाहार या मात्र दूध का सेवन करने से आलस्य नहीं महसूस होता है। लिहाजा, अन्न की मादकता कम करने के लिए ही पूर्वकाल के मनीषियों ने उपवास/व्रत को प्राथमिकता दी। क्योंकि उपवास करने से शरीर की मादकता कम होती है जिससे शुद्धता आती है और मन धार्मिक कार्यों में लगता है। वहीं, रात्रि जागरण का अर्थ निद्रा और आलस्य को त्यागने से है। प्राचीनकाल के ऋषि-महर्षियों ने अपनी कठिन तपस्याओं के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि निद्राकाल को ‘काल’ का स्वरूप जानो, क्योंकि इन्सान की आयु श्वाँसों पर निर्धारित है। प्रत्येक इन्सान को परमात्मा की ओर से एक निश्चित श्वाँसें ही मिली हैं और जागृत (जागते हुए) अवस्था से ज्यादा श्वाँसें सुप्तावस्था (सोये हुए) में नष्ट होती हैं। अतएव जितनी श्वाँसें आप बचायेंगे, आपकी आयु उसी हिसाब में बढ़ती चली जायेगी। मसलन, आपने प्रमाण भी देखा होगा कि कुछ ऋषि-मुनि एक सौ पचास वर्षों तक या उससे ज्यादा जीवित रहे। क्या आपने कभी जानने का प्रयास किया कि ऐसा क्यों? आखिर हम और आप क्यों नहीं जीवित रह सकते? इसका एक मात्र कारण है योगासन! इस प्रकार उनकी आयु बढ़ती चली जाती थी। आप भी योगासन करके लम्बी आयु प्राप्त कर सकते हैं। आजकल वैज्ञानिक और डॉक्टर भी योगासन को महत्व देते हैं। कभी-कभी उपवास भी करने को कहते हैं। जिससे शरीर की पाचन प्रक्रिया सही बनी रहे। वहीं, एक सवाल यह भी है कि शिवलिंग की पूजा क्यों करते हैं? क्या इसमें कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा हुआ है? तो यह जान लीजिए कि शिव और शिवलिंग की पूजा किसी-न-किसी रूप में सम्पूर्ण विश्व में अनादि काल से होती चली आ रही है। इस समाज के कुछ आलोचक ऐसे हैं जो ‘लिंग’ शब्द का अर्थ अश्लीलता से जोड़कर सभ्य और धार्मिक विचार वाले व्यक्तियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। यह मूर्खतापूर्ण प्रयास है क्योंकि शिवलिंग का स्वरूप आकार विशेष से रहित है अर्थात् निराकार ब्रह्म के उपासक जिस प्रकार हाथ-पैर, शरीर रहित, रूप-रंग रहित ब्रह्म की उपासना करते हैं। ऐसा ही शिवलिंग का स्वरूप है। आपको पता होना चाहिए कि जब संसार में कुछ नहीं था, सर्वत्र शून्य (०) या अण्डे के आकार का, जिसे वेदों पुराणों की भाषा में ‘अण्ड’ कहा जाता है, वैसा ही स्वरूप शिवलिंग का है जिससे सिद्ध होता है कि शिव और शिवलिंग अनादि काल से हैं। जिस प्रकार से यह ० (शून्य) किसी अंक के दाहिनी ओर होने पर उस अंक के महत्व को दस गुणा बढ़ा देता है, उसी प्रकार से शिव भी दाहिने होकर अर्थात् अनुकूल होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि और मान-सम्मान प्रदान करते हैं। इसलिए जनकल्याणक, लोककल्याण कारी बने रहिए। चूंकि ग्यारह रुद्रों में भगवान शिव की गणना होती है और एकादश (ग्यारह) संख्यात्मक होने के कारण भी यह पर्व हिन्दी (वर्ष) के ग्यारहवें महीने में ही सम्पन्न होता है। इसलिए श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक शिवरात्रि मनाइए। कमलेश पांडेय Read more » Understand the spiritual and scientific secrets of 'Mahashivratri' in this way महाशिवरात्रि
कला-संस्कृति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के प्रतीक हैं देवाधिदेव शिव February 26, 2025 / February 26, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment महाशिवरात्रि (26 फरवरी) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलभगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का विशेष अवसर है महाशिवरात्रि, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और महाशिवरात्रि का […] Read more » महाशिवरात्रि
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लेख महाशिवरात्रि का सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक महत्व March 5, 2024 / March 5, 2024 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीय पर्व एवं त्योहार भारतीय संस्कृति की पहचान हैं। ये केवल हर्ष एवं उल्लास का माध्यम नहीं हैं, अपितु यह भारतीय संस्कृति के संवाहक भी हैं। इनके माध्यम से ही हमें अपनी गौरवशाली प्राचीन संस्कृति के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि भी संस्कृति के संवाहक का ऐसा ही एक बड़ा त्योहार […] Read more » Cultural and scientific importance of Mahashivratri महाशिवरात्रि
पर्व - त्यौहार राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के प्रतीक हैं शिव February 21, 2020 / February 21, 2020 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment महाशिवरात्रि (21 फरवरी) पर विशेष – योगेश कुमार गोयल भारत में सर्वाधिक महत्व जिस देव का है, वो देवाधिदेव भगवान शिव ही हैं, जो आज भी समूचे भारतवर्ष में उतने ही पूजनीय और वंदनीय हैं, जितने सदियों पहले। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि देशभर में जितने मंदिर या तीर्थ स्थान […] Read more » mahashivaratri Shiva is the symbol of national unity and integrity महाशिवरात्रि
मनोरंजन वर्त-त्यौहार शिव हैं संसार और संन्यास के समन्वय February 20, 2020 / February 20, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment महाशिवरात्रि- 21 फरवरी 2020 पर विशेष-ः ललित गर्ग:- भगवान शिव आदिदेव है, देवों के देव है, महादेव हैं। सभी देवताओं में वे सर्वोच्च हैं, महानतम हैं, दुःखों को हरने वाले हैं। वे कल्याणकारी हैं तो संहारकर्ता भी हैं। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो शिवत्व का जन्म दिवस है। यह […] Read more » Lord Shiva mahashivratri shiva महाशिवरात्रि महाशिवरात्रि- 21 फरवरी 2020 शिव हैं संन्यास शिव हैं संसार शिव हैं संसार और संन्यास
ज्योतिष मनोरंजन वर्त-त्यौहार जानिए वर्ष 2020 की महाशिवरात्रि पर 4 प्रहार की पूजन कब और कैसे करें— February 20, 2020 / February 20, 2020 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment महाशिवरात्रि का शिव भक्तों को काफी इंतजार रहता है. इस साल महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020, (शुक्रवार) को है. यूं तो हिंदू धर्म में हर माह शिवरात्रि आती है पर फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है. इसी दिन शिव-पार्वती […] Read more » 2020 की महाशिवरात्रि Mahashivaratri in the year 2020 महाशिवरात्रि
ज्योतिष मनोरंजन महाशिवरात्रि पर बिल्वपत्र पूजन पद्वति और आपकी राशि February 13, 2020 / February 13, 2020 by ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव | Leave a Comment महाशिवरात्रि का पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। वैसे तो हिन्दु ग्रंथों तथा मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि प्रिय है परन्तु सभी चतुर्दशी तिथियों में फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को अति प्रिय है। सत्वगुण। रजोगुण तथा तमोगुण तीनों […] Read more » महाशिवरात्रि
धर्म-अध्यात्म इस महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के ये 10 उपाय बढ़ाएंगे आपकी आमदनी– February 22, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी 2017 की रात से प्रारम्भ होगी क्योंकि महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि व्यापिनी होने पर ही विशेष फल दायक होती है, ऐसे में 25 फरवरी 2017 को चतुर्दशी तिथि तो है परन्तु रात्रि व्यापिनी […] Read more » महाशिवरात्रि महाशिवरात्रि 2017
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार समाज बारह साल बाद महाशिवरात्रि का दुर्लभ शिवयोग संयोग March 6, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार सात मार्च को यानी सोमवार को मनाया जाएगा। देवों के देव महादेव की आराधना का शिवरात्रि महापर्व सोमवार के दिन शिवयोग धनिष्ठा नक्षत्र में सात मार्च को है। सोमवार का दिन तो वैसे भी शिव का प्रिय दिन है। इस दिन दुर्लभ शिवयोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी […] Read more » Featured महाशिवरात्रि
कला-संस्कृति विविधा महाशिवरात्रि के अवसर पर : भद्रेश्वरनाथ शिव मंदिर March 3, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment ऐतिहासिक परिचय डा. राधेश्याम द्विवेदी भद्रेश्वरनाथ शिव मंदिर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के जिला मुख्यालय से 6 किमी. दक्षिण कुवानो नदी के तट पर यह पौराणिक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। जो बस्ती सदर तहसील में महसों सोनूपार रोड पर भदेश्वर नामक गांव पंचायत में लगता है। यह मदिर 260 45‘ 23‘‘ उत्तरी […] Read more » Featured भद्रेश्वरनाथ शिव मंदिर महाशिवरात्रि
पर्व - त्यौहार महाशिवरात्रि विशेष February 21, 2012 by राजेश कश्यप | Leave a Comment राजेश कश्यप शिवमयी है हरियाणा का जन-जन और कण-कण ‘शिव शंकर’, ‘महादेव’, ‘महाकाल’, ‘नीलकण्ठ’, ‘विश्वनाथ’, ‘आदिदेव’, ‘उमापति’, ‘सृष्टि-संहारक’ आदि अनेक नामों से पुकारे जाने वाले ‘देवों के देव’ भगवान शिव सबका उद्धार करते हैं। उनकी महिमा अपार है। भगवान शिव के प्रति असंख्य भक्तों की अगाध श्रद्धा, विश्वास और आस्था बस देखते ही बनती है। […] Read more » mahashivratri महाशिवरात्रि