लेख शख्सियत आज भी महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं रानी लक्ष्मीबाई June 16, 2020 / June 16, 2020 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment आसान नहीं होता एक महिला होने के बावजूद पुरूष प्रधान समाज मेंविद्रोही बनकर अमर हो जाना। आसान नहीं होता एक महिला के लिए एक साम्राज्यके खिलाफ खड़ा हो जाना। आज हम जिस रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धा पुष्प अर्पित कर रहे हैं वो उस वीरता शौर्य साहस और पराक्रम का नाम है जिसने अपने […] Read more » रानी लक्ष्मीबाई
लेख कालपी का वह ऐतिहासिक किला जहां पर आज के दिन दिया था क्रांतिकारियों ने अपना सर्वोत्कृष्ट बलिदान May 23, 2020 / May 23, 2020 by राकेश कुमार आर्य | 4 Comments on कालपी का वह ऐतिहासिक किला जहां पर आज के दिन दिया था क्रांतिकारियों ने अपना सर्वोत्कृष्ट बलिदान जब जब भी मई का महीना आता है तो प्रत्येक राष्ट्रभक्त भारतवासी के मन मस्तिष्क में 1857 की क्रांति के नायकों से जुड़ी वीर गाथाएं अनायास ही उभर आती हैं । 10 मई 1857 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से इस क्रांति का शुभारंभ करने वाले क्रांतिवीर कोतवाल धनसिंह गुर्जर , महर्षि दयानंद , तात्या […] Read more » The historic fort of Kalpi where the revolutionaries gave their best sacrifice कालपी कालपी का ऐतिहासिक किला क्रांतिवीर कोतवाल धनसिंह गुर्जर तात्या टोपे बहादुर शाह जफर महर्षि दयानंद रानी लक्ष्मीबाई
राजनीति समाज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और महिलाएं August 8, 2018 / August 8, 2018 by विजय कुमार | 2 Comments on राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और महिलाएं विजय कुमार, जब से राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से वे कुछ अधिक ही बोलने लगे हैं; पर इससे उनका अज्ञान भी लगातार प्रकट हो रहा है। वे कई बार कह चुके हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिला विरोधी है। गत सात अगस्त 2018 को दिल्ली में कांग्रेस के महिला सम्मेलन में […] Read more » Featured कथा गुरु पूर्णिमा चिकित्सालय छात्रावास डा. अम्बेडकर जन्मशती नाटक पुरोहित प्रशिक्षण पुस्तकालय भजन मंडली योगासन केन्द्र रक्षाबंधन रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वंदे मातरम् स्मृति शताब्दी वाचनालय विजयादशमी तथा मकर संक्रांति) विद्यालय संस्कार केन्द्र
लेख साहित्य खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी : रानी लक्ष्मीबाई November 16, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (रानी लक्ष्मीबाई के 181वें जन्मदिवस 19 नवंबर 2016 पर विशेष) 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त् रता संग्राम में अहम् भूमिका नि भाने वाली झाँसी की रानी लक्ष् मीबाई का जन्म मोरोपन्त तांबे औ र भागीरथीबाई के घर वाराणसी जि ले के भदैनी में 19 नवम्बर 1935 को हुआ था। रानी लक्ष्मीबा ई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था । परन्तु प्यार से लोग उसे मनु कहकर पुकारते थे। रानी लक्ष्मी बाई जब 4 साल की थी तब उनकी माँ भागीरथीबाई का देहांत हो गया। इसलिए मणिकर्णिका का बचपन अपने पिता मोरोपन्त तांबे की देखरेख में बीता। मनु ने बचपन में शा स्त्रों की शिक्षा ग्रहण की। मणि कर्णिका बचपन में ही तलबार, धनुष सहित अन्य शस्त्र चलाने में नि पुण हो गयीं थी। और छोटी सी उम्र में ही घुड़सवारी करने लगी थीं । मोरोपन्त मराठी मूल के थे और मराठा बाजीराव द्वितीय की सेवा में रहते थे। माँ की मृत्यु के बाद घर में मणिकर्णिका की देखभाल के लिये कोई नहीं था। इसलिए पिता मोरोपन्त मणिकर्णिका को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले जा ने लगे। दरबार में सुन्दर मनु की चंचलता ने सबका मन मोह लिया। मणिकर्णिका बाजीराव द्वितीय की भी प्यारी हो गयीं। बाजीराव मनु को अपनी पुत्री की तरह मानते थे। और मनु को प्यार से छबीली कहकर बुलाते थे। सन् 1842 में मणिकर्णिका का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और मनु छोटी सी उम्र में झाँसी की रानी बन गयीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया पर चार महीने की आयु में गम्भीर रूप से बीमार होने की वजह से उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दरबारियों ने दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी। दरबारि यों की सलाह मानते हुए रानी ने पुत्र गोद लिया दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया। पुत्र गोद लेने के कुछ दिनों बाद बीमारी के कारण 21 नवम्बर 1853 को रा जा गंगाधर राव का देहांत हो गया । अब रानी लक्ष्मीबाई अकेली पड़ गयीं और दरवारियों की सलाह पर झाँ सी की गद्दी पर बैठकर झाँसी का कामकाज देखने लगी। उस समय भारत के बड़े क्षेत्र पर अंग्रेजों का शासन था। और ईस्ट इंडिया कंपनी का राज चलता था। अंग्रेज झाँसी को भी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन करना चाहते थे। राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद अंग्रेजों को यह एक उपयुक्त अवसर लगा। उन्हें लगा रानी लक्मीबाई स्त्री है और उनका का प्रतिरोध नहीं करेगी। राजा गंगाधर राव का कोई पुत्र न होने का कह कर अंग्रेजों ने रानी के दत्तक- पुत्र दामोदर राव को राज्य का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर […] Read more » रानी लक्ष्मीबाई