Tag: सर्वशक्तिमान

धर्म-अध्यात्म

“मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार”

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–मनमोहन कुमार आर्य, संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव चेतन हैं तथा प्रकृति जड़ जड़ सत्ता है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, न्यायकारी तथा जीवों के कर्मों के अनुसार उनके जन्म व मृत्यु की व्यवस्था करने वाला है। हमें अपने मनुष्य […]

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धर्म-अध्यात्म

“धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का कारण देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की अविद्या है। इस अविद्या के कारण अनेक प्रकार की कुरीतियां भी प्रचलित हैं और सामाजिक विद्वेष उत्पन्न होने सहित किन्हीं दो समुदायों में हिंसा भी होती […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है, क्यों व कैसे?”

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  मनमोहन कुमार आर्य,  हम पृथिवी पर रहते हैं जिसका एक चन्द्रमा है और सुदूर एक सूर्य है जिससे हमें प्रकाश व गर्मी मिलती है। विज्ञान से सिद्ध हो चुका है कि सूर्य अपनी धूरी पर गति करता है और अन्य सभी ग्रह व उपग्रहों को भी गति देता है। पृथिवी अपनी धूरी पर घूमती […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर स्थूल न होकर सूक्ष्मतम होने के कारण आंखों से दीखता नहीं है”

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मनमोहन कुमार आर्य,  हमें किसी बात को सिद्ध करना हो तो हमें लिखित व दृश्य प्रमाण देने होते हैं। ईश्वर है या नहीं, इसका लिखित प्रमाण हमारे पास वेद के रुप में विद्यमान है। वेद ईश्वरीय ज्ञान है अर्थात् वेद ईश्वरप्रोक्त व ईश्वर के कहे हुए हैं। वेदों का ज्ञान ईश्वर से मनुष्यों तक कैसे […]

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धर्म-अध्यात्म

“वैदिक धर्म का समग्रता से ज्ञान व प्रचार गुरुकुलीय शिक्षा से ही सम्भव”

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मनमोहन कुमार आर्य, गुरुकुल एक लोकप्रिय शब्द है। यह वैदिक शिक्षा पद्धति का द्योतक शब्द है। वैदिक धर्म व संस्कृति का आधार ग्रन्थ वेद है। वेद चार हैं जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। यह चार वेद सृष्टि के आरम्भ में सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, अनन्त, न्यायकारी, सृष्टिकर्ता और जीवों के […]

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धर्म-अध्यात्म

‘ईश्वर का अवतार क्यों नहीं होता?’

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मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर क्या है? ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरुप, सर्वशक्तिमान, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, अजर, अमर, अनन्त, नित्य एवं सृष्टिकर्ता आदि असंख्य गुण, कर्म व स्वभाव से युक्त दयालु व धर्म में स्थित सत्ता है। हमारे देश में पाषाण व धातुओं की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करने की परम्परा विगत दो या ढ़ाई हजार […]

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