धर्म-अध्यात्म मनुष्य को परमात्मा से श्रेष्ठ बुद्धि तथा दुर्गुणों को दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिये January 22, 2021 / January 22, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहमें मनुष्य जीवन परमात्मा से मिला है। परमात्मा ने ही जीवात्माओं के लिए इस सृष्टि को उत्पन्न किया है। हम जो सूर्य, चन्द्र, पृथिवी तथा आकाश में में तेजस्वी नक्षत्रों को देखते हैं उन सबको सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान तथा सच्चिदानन्दस्वरूप परमात्मा ने ही सृष्टि के आदिकाल में उत्पन्न किया था। ईश्वर अनादि तथा […] Read more » परमात्मा परमात्मा से श्रेष्ठ बुद्धि तथा दुर्गुणों को दूर करने की प्रार्थना
धर्म-अध्यात्म जिस प्रयोजन के लिये परमात्मा ने जीवन दिया है उसे करना ही धर्म एवं कर्तव्य है December 27, 2020 / December 27, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य जन्म लेता है परन्तु उसे यह पता नहीं होता कि उसके जन्म लेने व परमात्मा के जन्म देने का प्रयोजन किया है? जन्म के प्रयोजन का ज्ञान हमें वेदों सहित ऋषियों के दर्शन व उपनिषद आदि ग्रन्थों सहित ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं आर्य विद्वानों के ग्रन्थों से होता है। निष्कर्ष […] Read more » Religion and duty are to do the purpose for which God has given life परमात्मा
धर्म-अध्यात्म परमात्मा सब जीवात्माओं के जन्मदाता व माता-पिता होने से उपासनीय हैं September 1, 2020 / September 1, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा और आत्मा का सम्बन्ध व्याप्य-व्यापक, उपास्य-उपासक, स्वामी-सेवक, मित्र बन्धु व सखा आदि का है। परमात्मा और आत्मा दोनों इस जगत की अनादि चेतन सत्तायें हैं। ईश्वर के अनेक कार्यों में जीवों के पाप-पुण्यों का साक्षी होना तथा उन्हें उनके कर्मानुसार सुख व दुःख रूपी भोग प्रदान करना है। हमारा जो […] Read more » God is worshiped by being the creator and parent of all beings. परमात्मा
धर्म-अध्यात्म परमात्मा ने संसार सत्पुरुषों के सुख व आत्म कल्याण के लिये बनाया है February 4, 2020 / February 4, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना और न ही यह पौरुषेय रचना है। इस संसार को मनुष्य अकेले व अनेक मिलकर भी नहीं बना सकते। हमारा यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, सौर मण्डल तथा ब्रह्माण्ड अपौरुषेय और ईश्वर से रचित हैं। प्रश्न किया जा सकता है कि परमात्मा ने यह संसार क्यों […] Read more » परमात्मा
धर्म-अध्यात्म मनुष्य परमात्मा प्रदत्त बुद्धि का विवेकपूर्वक सदुपयोग न कर अपनी व देश-समाज की हानि करता है January 17, 2020 / January 17, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह संसार एवं प्राणी जगत ईश्वर की विशिष्ट रचना है। यह संसार परमात्मा ने अपना कोई प्रयोजन पूरा करने के लिये नहीं अपितु जीवात्माओं का सुख एवं कल्याण करने की भावना से बनाया है। जीवात्मा चेतन तथा अल्पज्ञ सत्ता है। जीवात्मा अनादि व नित्य होने से संसार में सदा से […] Read more » परमात्मा बुद्धि का विवेकपूर्वक सदुपयोग
धर्म-अध्यात्म परमात्मा का बनाया यह संसार कभी पुराना नहीं होता September 26, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम इस पृथिवी पर रह रहे हैं। हमारी यह पृथिवी हमने या हमारे पूर्वजों ने नहीं बनाई और न यह अपने आप अथवा बिना किसी निमित्त कारण के बनी है। हमारे इस सौर मण्डल के सूर्य आदि ग्रहों व उपग्रहों को भी हमने या हमारे पूवजों ने नहीं बनाया। यह समस्त जगत […] Read more » परमात्मा
विविधा अहम सवाल- जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों हैं August 1, 2018 / August 1, 2018 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा रचना (यहाँ टाइप या पेस्ट करें): एक किताब मिली। The Vital Question. Why life is the way it is. लेखक हैं Nick Lane । (अहम सवाल, जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों है। ) मैं जीव-विज्ञान का छात्र रहा हूँ।मैंने सीखा कि प्रोटोप्लाज्म जीवन का भौतिक आधार है। मैंने सीखा कि पदार्थ के एक विशेष […] Read more » Featured अहम सवाल- जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों हैं आत्मा जीव-विज्ञान परमात्मा रवीन्द्रनाथ ठाकुर लोक परलोक
धर्म-अध्यात्म “प्रलोभनों को त्याग कर सत्य मार्ग पर चलें : आचार्य आशीष” June 6, 2018 / June 6, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल महाविद्यालय का वार्षिकोत्सव 4 जून से आरम्भ हुआ है जो 6 जून 2018 को समाप्त होगा। हमें आज इस गुरुकुल के उत्सव में सम्मिलित होने का अवसर मिला। हमारे पहुंचने से पूर्व गुरुकुल की 7 ब्रह्मचारिणियों का समावर्तन संस्कार सम्पन्न हो चुका था और उसके बाद विद्वानों द्वारा […] Read more » Featured गन्ध गुरुकुल परमात्मा प्रलोभनों को त्याग कर मनुष्य रस रूप सत्य मार्ग पर चलें
धर्म-अध्यात्म समाज “गाय और मनुष्य का माता और पुत्र-पुत्री का सम्बन्ध” May 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य और गाय दोनों चेतन शरीरधारी प्राणी हैं। दोनों ही शाकाहारी भी हैं परन्तु दोनों के भोजन में भिन्नता है। मनुष्य गोदुग्ध, फल व अन्न आदि का सेवन करता है तो गाय माता घास व तृण आदि वनस्पतियों का सेवन करती है। यदि गाय को अन्न दिया जाये तो वह उसका […] Read more » Featured ऋषि दयानन्द गाय और मनुष्य गोमांसाहारियों दूध परमात्मा बैलगाड़ी माता और पुत्र-पुत्री वेदों में ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ‘वेदों का प्रवेश-द्वार ऋषिदयानन्दकृत ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश April 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ‘वेदों का प्रवेश–द्वार ऋषिदयानन्दकृत ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ –मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सत्यार्थप्रकाश धार्मिक वं सामाजिक शिक्षाओं का एक विश्व विख्यात ग्रन्थ है। यह ऐसा ग्रन्थ है कि जिसमें ऋषि दयानन्द के जीवन में देश व विश्व में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की अवैदिक, असत्य व अज्ञानयुक्त मान्यताओं पर प्रकाश डाला गया है। इस ग्रन्थ ने भारत […] Read more » Featured ईश्वर जयकृष्ण दास परमात्मा मनुष्य वेदों शान्ति सत्यार्थप्रकाश समाज सुख स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-92 April 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का अठारहवां अध्याय अंग्रेजों के कानून ने किसी ‘डायर’ को फांसी न देकर और हर किसी ‘भगतसिंह’ को फांसी देकर मानवता के विरुद्ध अपराध किया। यह न्याय नहीं अन्याय था। यद्यपि अंग्रेज अपने आपको न्यायप्रिय जाति सिद्घ करने का एड़ी चोटी का प्रयास आज भी करते हैं। इसके विपरीत गीता दुष्ट […] Read more » Featured अंग्रेजों अर्जुन कानून कृष्ण गीता परमपिता परमात्मा भगत सिंह
धर्म-अध्यात्म परमात्मा मनुष्य का साथ कभी नहीं छोड़ता August 24, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आर्य विद्वान अनूप सिंह जी ने 29 जून सन् 1994 को देहरादून में एक आर्यबन्धु श्री रामेश्वर प्रसाद आर्य के निवास पर एक पारिवारिक सत्संग में वैदिक प्रवचन करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये थे। इस आयोजन का संचालन करते हुए हमने उनके प्रवचन को यथाशक्ति नोट किया था। इस प्रवचन की […] Read more » परमात्मा परमात्मा मनुष्य का साथ कभी नहीं छोड़ता