परिचर्चा प्रकृति के नियमों के विरूद्ध आचरण करना हानिकारक May 21, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध’- अत्यधिक सुख- सुविधा व वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत करने की इच्छा में हम यंत्रों अर्थात मशीनों पर आश्रित हो गए हैं , परन्तु यह परम सत्य है कि इस मशीन युग में हम अनेक कार्य ऐसे करते हैं, जो हमारी प्रकृति के प्रतिकूल होते हैं । मशीनों के अथवा अन्य साधनों के बल पर […] Read more » Featured नेचर प्रकृति प्रकृति के नियमों के विरूद्ध आचरण करना हानिकारक
कविता विलासिता की चाह ने किया प्रकृति से दूर June 5, 2014 by हिमकर श्याम | Leave a Comment -हिमकर श्याम- -पर्यावरणीय दोहे- वायु, जल और यह धरा, प्रदूषण से ग्रस्त। जीना दूभर हो गया, हर प्राणी है त्रस्त।। नष्ट हो रही संपदा, दोहन है भरपूर। विलासिता की चाह ने, किया प्रकृति से दूर।। जहर उगलती मोटरें, कोलाहल चहुंओर। हरपल पीछा कर रहे, हल्ला गुल्ला शोर।। आंगन की तुलसी कहां, दिखे नहीं अब नीम। […] Read more » पर्यावरण दोहे प्रकृति विलासिता की चाह ने किया प्रकृति से दूर
पर्यावरण प्रकृति : भारतीय चिंतन July 22, 2011 / December 8, 2011 by राजीव गुप्ता | 5 Comments on प्रकृति : भारतीय चिंतन राजीव गुप्ता यत्र वेत्थ वनस्पते देवानां गृह्य नामानि! तत्र हव्यानि गामय!! ( हे वनस्पते! हे आनंद के स्वामी! जहां तुम दोनों के गुह्य नामों को जानते हो, वहां, उस लक्ष्य तक हमारी भेटों को ले जाओ!) या आपो दिव्या उत वा स्रवंति खनित्रिमा उत वा याः स्वयंजाः ! समुदार्था याः शुचयः पवाकस्ता आपो देवीरिः मामवन्तु! […] Read more » Nature प्रकृति