राजनीति मंदिरों के सोने पर सरकार की नजर April 14, 2015 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on मंदिरों के सोने पर सरकार की नजर भारत प्राचीन समय से सोने के भंडारण में अग्रणी देश रहा है। इसलिए भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है। इस समय भारतीय रिर्जब बैंक के पास करीब 18 हजार टन सोना है। इसके अलावा एक अनुमान के मुताबिक देश के मंदिरों में कुल मिलाकर करीब 3 हजार टन और भारतीय घरों में लगभग […] Read more » Featured आभूषण प्रमोद भार्गव बाजार मंदिर मंदिरों के सोने पर सरकार की नजर विश्व स्वर्ण परिषद सोना सोने की सबसे ज्यादा खपत स्वर्ण स्वर्ण आभूषण बाजार
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता March 26, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment दुनिया में बढ़ रहे आतंकवाद को लेकर अब जरूरी हो गया है कि इनके समूल विनाश के लिए भगवान राम जैसी सांगठनिक शक्ति और दृढंता दिखाई जाए। आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता आज ज्यादा ही बढ़ गयी है. आतंकवादियों की मंशा दहशत के जरिए दुनिया को इस्लाम धर्म के बहाने एक रूप में […] Read more » आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता प्रमोद भार्गव रामनवमी
चुनाव राजनीति एक साथ चुनाव कराने की पहल March 25, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment विविधता और अनेक प्रकार की क्षेत्रीय अस्मिताओं एवं उपराष्ट्रीयताओं वाले देश भारत में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव संयुक्त रुप से कराए जाने की पहल केंद्र सरकार ने शुरू की है तो यह एक अच्छी शुरूआत मानी जानी चाहिए। इस कदम से अन्य सभी राजनीतिक दलों को कदमताल की जरूरत है। यदि इस विचार पर […] Read more » एक साथ चुनाव कराने की पहल चुनाव प्रमोद भार्गव
आर्थिकी खेत-खलिहान राजनीति अन्नदाताओं से नीरस संवाद March 24, 2015 / March 24, 2015 by प्रमोद भार्गव | 2 Comments on अन्नदाताओं से नीरस संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के बहाने रेडियो के माध्यम से देश के अन्नदाताओं से जो इकतरफा व एकपक्षीय संवाद किया, उसने साफ है कि केंद्र सरकार के लिए किसान एवं कृषि हित से कहीं ज्यादा औद्योगिक हित महत्वपूर्ण हैं। जबकि मोदी ने तूफानी चुनावी दौरों में किसानों को भरोसा जताया था […] Read more » mann ki bat अन्नदताओं से नीरस संवाद किसान अत्महात्या कृषि मजदूर प्रमोद भार्गव प्राकृतिक आपदा भूमि अधिग्रहण
कला-संस्कृति ज्योतिष लुप्त होती राष्ट्रीय पंचांग की पहचान March 20, 2015 / March 20, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ-नवसंवत्सर 21 मार्च के अवसर पर लुप्त होती राष्ट्रीय पंचांग की पहचान कालमान एवं तिथिगणना किसी भी देश की ऐतिहासिकता की आधारशिला होती है। किंतु जिस तरह से हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओँ को विदेशी भाषा अंग्रेजी का वर्चस्व धूमिल रहा है, कमोवेश यही हश्र हमारे राष्ट्रीय पंचांग, मसलन कैलेण्डर का है। […] Read more » प्रमोद भार्गव राष्ट्रीय पंचांग राष्ट्रीय संवत विक्रम संवत शक संवत
राजनीति सामंतों की भूमि का हो अधिग्रहण? September 22, 2011 / September 22, 2011 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment देश में भूमि अधिग्रहण का मुददा गरम है। राजनीति में किसी हद तक जन-सरोकारों से जुड़े मुददों के पैरोकार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ‘राष्ट्रीय भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन विधेयक 2011 को केबीनेट से पारित कराकर लोकसभा में पेश भी कर चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस विधेयक का […] Read more » Land Acquisition Pramod Bhargav प्रमोद भार्गव भूमि अधिग्रहण
पुस्तक समीक्षा समकालीनता की दास्तान ‘मुक्त होती औरत’ June 23, 2011 / December 11, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on समकालीनता की दास्तान ‘मुक्त होती औरत’ समीक्षा-कथा संग्रह-मुक्त होती औरत शीना एन. बी. स्वस्थ सामाजिक जीवन के निर्माण के लिए सुदृढ़ राष्ट्रीय एवं आर्थिक परिस्थितियों की तरह स्वस्थ भावनात्मक तत्वों की भी अह्म भूमिका है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि भावनात्मक अंशों में प्रतिबंध लगाना स्वस्थ सामाजिकता के खिलाफ है। ऐसी ही एक भावनात्मकता है प्रणय। प्रणय हर एक […] Read more » Pramod Bhargav प्रमोद भार्गव मुक्त होती औरत