व्यंग्य साहित्य मैं जब भ्रष्ट हुआ February 24, 2017 / February 24, 2017 by वीरेन्द्र परमार | Leave a Comment वीरेन्द्र परमार मेरी नियुक्ति जब एक कमाऊ विभाग में हुई तो परिवार के लोगों और सगे – संबंधियों को आशा थी कि मैं शीघ्रातिशीघ्र भ्रष्ट बनकर राष्ट्र की मुख्यधारा में जुड़ जाऊंगा लेकिन आशा के विपरीत जब मैं एक दशक तक भ्रष्ट नहीं हुआ तो सभी ने एक स्वर से मुझे कुल कलंक घोषित कर […] Read more » Featured भ्रष्ट भ्रष्ट होना एक राष्ट्रीय उत्सव भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार मुक्त समाज
राजनीति हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे !!! November 8, 2010 / December 20, 2011 by संजय द्विवेदी | 4 Comments on हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे !!! हमारी लालचें क्या हमें संवेदना से मुक्त कर चुकी हैं ? -संजय द्विवेदी देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी जो महात्मा गांधी से भी अपनी रिश्ता जोड़ते हुए नहीं थकती है, की अखिलभारतीय बैठक की सबसे बड़ी चिंता वह भ्रष्टाचार नहीं है जिससे केंद्र सरकार की छवि मलिन हो रही है। दुनिया के भ्रष्टतम […] Read more » Corrupt भ्रष्ट
विविधा आपराधिक एवं भ्रष्ट तत्वों से ग्रसित संसदीय पवित्रता की रक्षा कौन करेगा? April 19, 2010 / December 24, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment दिल्ली से प्रकाशित एक दैनिक हिन्दी समाचार-पत्र लिखता है कि “पिछले सालों में बनी न्यायपालिका और विधायिका में टकराव जैसी स्थिति के बीच भारतीय लोकतंत्र के लिए यह खबर सुकून देने वाली कही जा सकती है। जिसमें सर्वोध न्यायालय की संविधान पीठ ने अपने एक अहम फैसले में साफ कर दिया कि संसद की कार्यवाही […] Read more » Corrupt आपराधिक भ्रष्ट