चिंतन आसान बनाएं जिन्दगी June 11, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on आसान बनाएं जिन्दगी -डॉ. दीपक आचार्य- बहुद्देशीय प्रतिस्पर्धा और तेज रफ्तार भरे इस युग में दूसरी सारी बातों से कहीं अधिक जरूरी है जिन्दगी को आसान बनाना। हम सभी का जीवन खूब सारी जटिलताओं और घुमावदार रास्तों से होकर गुजरने वाला बना हुआ होने से जिन्दगी का काफी कुछ समय निरर्थक भी बना हुआ है और बरबाद […] Read more » Featured आसान बनाएं जिन्दगी जिंदगी जीवन मनुष्य
चिंतन वैष्णव जन तो तैने कहिये, जे पीर पराई जाने रे June 4, 2015 / June 4, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे-जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है-जिंदगी […] Read more » Featured इंसान जिंदगी जीवन जे पीर पराई जाने रे मनुष्य वैष्णव जन तो तैने कहिये
धर्म-अध्यात्म मनुष्य समाज के लिए हानिकारक फलित ज्योतिष और महर्षि दयानन्द May 31, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- सृष्टि का आधार कर्म है। ईश्वर, जीवात्मा एवं प्रकृति तीन अनादि, नित्य और अविनाशी सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है परन्तु ईश्वर के नियमों के अनुसार इसकी उत्पत्ति-स्थिति-प्रलय-उत्पत्ति का चक्र चलता रहता है। जीवात्माओं को कर्मानुसार ईश्वर से जन्म मिलता है जिसमें वह पूर्व जन्मों के कर्मों का फल भोगते हैं […] Read more » Featured ज्योतिष मनुष्य महर्षि दयानन्द समाज
चिंतन मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने May 21, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- मानव धर्म का हार्द है मनुष्य का मनुष्य के प्रति तादात्म्य भाव, एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता और नैतिक एवं चारित्रिक उज्ज्वलता। जो धर्म मनुष्य को दुर्गति, हीनता और चारित्रिक भ्रष्टता से मुक्त करता है, जो हर इंसान की आत्मा को तेजोदीप्त बनाता है, हर हृदय को परदुःखकातर और संवेदनशील बनाता है, उसे मानव […] Read more » Featured जिंदगी मनुष्य मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने
कला-संस्कृति ‘क्या हम मनुष्य हैं?’ June 4, 2014 / June 4, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- मनुष्य कौन है, कौन नहीं? मनुष्य किसे कहते हैं व मनुष्य की परिभाषा क्या हैं? हम समझते हैं कि यदि सभी मत-मतान्तरों के व्यक्तियों से इसकी परिभाषा बताने को कहा जाये तो सब अपनी-अपनी अलग परिभाषा करेंगे। वह सब ठीक भी हो सकती हैं परन्तु हम अनुभव करते हैं कि सर्वांगपूर्ण परिभाषा […] Read more » ‘क्या हम मनुष्य हैं?’ मनुष्य मनुष्य जीवन