लेख विजयादशमी: स्वयं अब जागकर हमको, जगाना देश है अपना October 24, 2020 / October 24, 2020 by डॉ. पवन सिंह मलिक | Leave a Comment – डॉ. पवन सिंह मलिक आज का दिन विजय के संकल्प का दिन है। यह विजय न किसी एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति पर और न ही किसी देश की दूसरे देश पर विजय है। अपितु यह धर्म की अधर्म पर, नीति की अनीति पर, सत्य की असत्य पर, प्रकाश की अंधकार पर और न्याय की […] Read more » Vijayadashami: We are now awake we have to awaken our country विजयादशमी
कहानी भाई के नाम पत्र August 22, 2018 / August 22, 2018 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा कल की डाक से तुम्हारा पत्र मिला। मैं प्रतीक्षा कर रहा था। पता नहीं क्यों देर हुई। पर खैरियत से पहुँच गया, ग़नीमत है। तुम्हारा अवलोकन सही है कि मुझे जीवन के सम्बन्ध की उक्तियों वाले वाक्य खींचते रहे हैं। शायद तुम्हें याद हो तुमसे मैंने बतलाया था कि तुम्हारी एक उक्ति, जो […] Read more » Featured भाई के नाम पत्र विजयादशमी श्री मुचकुन्द दूबे
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक का विजयादशमी October 11, 2016 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment अपने देश में आज भी आसुरी शक्तियां सक्रिय हैं जो देशविरोधी गतिविधियां चला रही हैं। इन सभी प्रकार की शक्तियों का विनाश करने के लिए प्रत्येक को अपने अंदर की बुद्धि, भावना एवं शक्ति को केंद्रित करना होगा ताकि अपने समाज और देश को सुखी ,वैभवशाली और विजयी जीवन प्राप्त हो सके। विजयदशमी के पर्व से विजय की अदम्य प्रेरणा उत्पन्न होती है। Read more » Featured विजयादशमी
कविता साहित्य विजयादशमी हमारे आत्म-मंथन का दिन है September 27, 2009 / December 26, 2011 by गिरीश पंकज | 3 Comments on विजयादशमी हमारे आत्म-मंथन का दिन है हम पराजित किस्म के लोग विजयादशमी मनाकर खुश होने का स्वांग भरते रहते हैं. बहुत-कुछ सोचना-विचारना है हमको. कुछ लोग तो यह काम करते है. इसीलिए वे प्रवक्ता के रूप में सामने आते है. लेकिन ज्यादातर लोग क्या कर रहे हैं..? ये लोग उत्सव प्रेमी है. उत्सव मनाने में माहिर. खा-पीकर अघाये लोग… उत्सव के […] Read more » Dussehra विजयादशमी