धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज April 18, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता का कर्मयोग और आज राकेश कुमार आर्य  गीता का अठारहवां अध्याय अधर्म को धर्म समझ लेना घोर अज्ञानता का प्रतीक है। मध्यकाल में बड़े-बड़े राजा महाराजाओं ने और सुल्तानों ने अधर्म को धर्म समझकर महान नरसंहारों को अंजाम दिया। ये ऐसे नरसंहार थे -जिनसे मानवता सिहर उठी थी। वास्तव में ये कार्य तामसी […] Read more » Featured अर्जुन इन्द्रियां प्राण भय मनुष्य निद्रा मनुष्य मन विषाद शोक श्रीकृष्णजी
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-91 April 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का अठारहवां अध्याय योगीराज श्रीकृष्णजी अर्जुन को बताते हैं कि किसी भी देहधारी के लिए कर्मों का पूर्ण त्याग सम्भव नहीं है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई व्यक्ति कर्मों का पूर्ण त्याग कर दे। कर्म तो लगा रहता है, चलता रहता है। गीता की एक ही शर्त […] Read more » Featured अर्जुन आध्यात्मिक गीता युद्ध श्रीकृष्णजी संसार
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-90 April 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का अठारहवां अध्याय अठारहवें अध्याय में गीता समाप्त हो जाती है। इसे एक प्रकार से ‘गीता’ का उपसंहार कहा जा सकता है। जिन-जिन गूढ़ बातों पर या ज्ञान की गहरी बातों पर पूर्व अध्याय में प्रकाश डाला गया है, उन सबका निचोड़ इस अध्याय में दिया गया है। […] Read more » Featured अठारहवें अध्याय अर्जुन गीता गृहस्थियों धर्मग्रंथों महाभारत ब्रह्मचारियों वानप्रस्थियों श्रीकृष्णजी समन्वयात्मक दृष्टि
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-89 April 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय अपनी चर्चा को निरंतर आगे बढ़ाते हुए श्रीकृष्णजी कहने लगे कि जो दान, ‘देना उचित है’-ऐसा समझकर अपने ऊपर प्रत्युपकार न करने वाले को, देश, काल तथा पात्र का विचार करके दिया जाता है उस दान को सात्विक दान माना गया है। इस प्रकार का दान […] Read more » Featured असत् क्या है ग्रन्थों परमपिता परमेश्वर मानवता श्रीकृष्णजी सृष्टि
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-88 April 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का सत्रहवां अध्याय अन्त में श्रीकृष्णजी तामसिक यज्ञ पर आते हैं। वे कहने लगे हैं कि जो यज्ञ विधिहीन है, जिसमें अन्नदान नहीं किया जाता, जिसमें मंत्र का विधिवत और सम्यक पाठ भी नहीं होता और ना ही कोई दक्षिणा दी जाती है, वह तामस यज्ञ कहलाता है। इस प्रकार […] Read more » Featured आत्मसंयम गुरूओं तामसिक यज्ञ देवताओं ब्राह्मणों मौन यज्ञ श्रीकृष्णजी साम्यता
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-87 April 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय श्रीकृष्ण जी कह रहे हैं कि संसार में कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कि दम्भी और अहंकारी होते हैं। ऐसे लोग अन्धश्रद्घा वाले होते हैं और शारीरिक कष्ट उठाने को ही मान लेते हैं कि इसी प्रकार भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। यद्यपि ऐसे […] Read more » Featured अर्जुन ऐषणाओं यज्ञ वैभव-ऐश्वर्य शरीर श्रीकृष्णजी