राजनीति वैचारिक बहस को वैचारिक ही रखे June 8, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on वैचारिक बहस को वैचारिक ही रखे साक्षी श्रीवास्तव विचार में ताकत होती है और यह लोगों को सोचने और बदलने के लिए बाध्य करती है. हर युग में एक बौद्धिक वातावरण होता है. जो उस बौद्धिक वातावरण में एजेंडा तय करता है और विमर्श का नेतृत्व करता है उसे dominant ideology कहते हैं. भारत के वर्तमान परिपेक्ष्य में जब नई चुनौतियां […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
राजनीति लोकतन्त्र में संकीर्णता के लिए कोई जगह नहीं / अम्बा चरण वशिष्ठ June 6, 2012 / June 28, 2012 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 1 Comment on लोकतन्त्र में संकीर्णता के लिए कोई जगह नहीं / अम्बा चरण वशिष्ठ अम्बा चरण वशिष्ठ ‘भारत नीति प्रतिष्ठान’ के एक कार्यक्रम में एक साम्यवादी लेखक व नेता को मंच पर बिठाने व उस के सम्बोधन से उठे विवाद ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि हम भारतीय अवश्य हैं पर हमारे जनतन्त्र की आत्मा भारतीय नहीं है। बहुत हद तक इसकी मानसिक छाप विदेशी ही […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान लोकतंत्र वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
राजनीति उदारता ही हमें बड़ा बनाती है / गिरीश पंकज June 5, 2012 / June 28, 2012 by गिरीश पंकज | 4 Comments on उदारता ही हमें बड़ा बनाती है / गिरीश पंकज बहुत पहले मैं भी यही सोचा करता था कि फलां जगह क्यों जाऊं? लोग क्या कहेंगे. लेकिन बाद में सोच बदली. मुझे लगता है कि लेखक को वर्जनावादी नहीं होना चाहिए. उसे उदारवादी सोच वाला होना चाहिए. उदारता ही हमें -या किसी को भी-बड़ा बनाती है.लेखक को हर मंच पर जा कर अपनी बात कहनी […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
परिचर्चा परिचर्चा : ‘वैचारिक छुआछूत’ May 31, 2012 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 42 Comments on परिचर्चा : ‘वैचारिक छुआछूत’ भारत नीति प्रतिष्ठान एक शोध संस्थान है। इसके मानद निदेशक हैं दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक श्री राकेश सिन्हा। श्री सिन्हा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं और संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार के जीवनीकार हैं। प्रतिष्ठान के बैनर तले विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर संगोष्ठी का आयोजन वे करते रहते हैं। इसी क्रम में […] Read more » जनसत्ता भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद राकेश सिन्हा वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
राजनीति ताकि गर्द कुछ हटे / ओम थानवी May 29, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on ताकि गर्द कुछ हटे / ओम थानवी ओम थानवी एक पाठक ने ‘आवाजाही’ पर चली बहस पढ़ने के बाद प्रतिक्रिया की: यह हाल तो तब है जब ‘अनन्तर’ कभी-कभार छपता है। ‘कभी-कभार’ की तरह निरंतर छपने लगेगा तब? पता नहीं। पर जो टिप्पणियां हमने छापीं, वे सब प्रतिनिधि प्रतिक्रियाएं नहीं थीं। एकाध को छोड़कर लोग आवाजाही के हक में ही जान पड़े। […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
राजनीति आवाजाही के हक में / ओम थानवी May 29, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment ओम थानवी इंटरनेट बतरस का एक लोकप्रिय माध्यम बन गया है। घर-परिवार से लेकर दुनिया-जहान के मसलों पर लोग सूचनाओं, जानकारियों, विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, प्रतिक्रिया देते हैं। ब्लॉग, पोर्टल या वेब-पत्रिकाएं और सार्वजनिक संवाद के ‘सोशल’ ठिकाने यानी फेसबुक-ट्वीटर आदि की खिड़कियां आज घर-घर में खुलती हैं। गली-मुहल्लों, चाय की थड़ी या कहवा-घरों, […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
आलोचना हिन्दी में संवाद का अंत July 18, 2011 / December 8, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on हिन्दी में संवाद का अंत जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी के इस देश में दो रूप हैं एक संवैधानिक है जिसके तहत हिन्दी कुछ राज्यों में प्रधानभाषा है तो कुछ राज्यों अल्पसंख्यक भाषा है। जहां वह अल्पसंख्यकों की भाषा है वहां हिन्दीभाषी सांस्कृतिक अल्पसंख्यक हैं। इससे हमारे राष्ट्र-राज्य के ढ़ांचे को कोई चुनौती नहीं है। इस परिधि के बाहर दूसरी ओर हिन्दी […] Read more » hindi संवाद हिंदी