राजनीति मेघालय के न्यायाधीश का साहसिक निर्णय December 15, 2018 / December 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on मेघालय के न्यायाधीश का साहसिक निर्णय राकेश कुमार आर्य( पंथनिरपेक्ष राष्ट्र नीति ही देश का धर्म होती है । इस धर्म से हीन राष्ट्र मृतक के समान हैं । हिंदुत्व इसी राष्ट्र नीति का पोषक तत्व है । हिन्दुत्व के विषय में जब दो न्यायाधीश एक भाषा बोल रहे हों तो सरकार को भी इस भाषा के मर्म को समझना चाहिए) […] Read more » pm modi उच्च न्यायालय कांग्रेसियों केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह धर्मनिरपेक्ष संस्कृति मुसलमानों मेघालय के न्यायाधीश का साहसिक निर्णय मौलिक कम्युनिस्टों मौलिक धर्म मौलिक स्वरूप राष्ट्रवादियों हिंदू राष्ट्र घोषित
गजल यकीं का यूँ बारबां टूटना September 25, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ यकीं का यूँ बारबां टूटना आबो-हवा ख़राब है मरसिम निभाता रहूँगा यही मिरा जवाब है मुनाफ़िक़ों की भीड़ में कुछ नया न मिलेगा ग़ैरतमन्दों में नाम गिना जाए यही ख़्वाब है दफ़्तरों की खाक छानी बाज़ारों में लुटा पिटा रिवायतों में फँसा ज़िंदगी का यही हिसाब है हार कर जुदा, जीत कर भी कोई तड़पता रहा नुमाइशी हाथों से फूट गया झूँठ का हबाब है धड़कता है दिल सोच के हँस लेता हूँ कई बार तब्दील हो गया शहर मुर्दों में जीना अज़ाब है ये लहू, ये जख़्म, ये आह, फिर चीखो-मातम तू हुआ न मिरा पल भर इंसानियत सराब है फ़िकरों की सहूलियत में आदमियत तबाह हुई पता हुआ ‘राहत’ जहाँ का यही लुब्बे-लुबाब है Read more » यकीं का यूँ बारबां टूटना ये आह ये जख़्म ये लहू
राजनीति समाज एकात्म मानववाद – एक दिव्य सिद्धांत September 25, 2018 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था – “विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक सामान बनाना।” The worst form of inequality is to try to make unequal things equal. एकात्म मानववाद, विषमता को इससे बहुत आगे के स्तर पर जाकर हमें समझाता है. भारत को देश से […] Read more » अंग्रेज शासन ईश्वरीय भाव फासीवाद मार्क्सवाद राष्ट्र राष्ट्रहित