साहित्य कहो कौन्तेय-८५ December 26, 2011 / December 26, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोरे सिन्हा कर्ण के लिए अर्जुन का अन्तिम प्रश्न मेरी अनकही अभिव्यक्ति को कर्ण बूझ गया, ऐसा मुझे लगा। सूर्यपुत्र कर्ण से अपने वार्त्तालाप के उद्देश्य को संप्रेषित करते हुए मैंने कहा – “मृत्युंजय! तुम्हारे जीवन के एक सबसे महत्त्वपूर्ण सत्य से आवरण हटाने के लिए मैंने इस निर्जन स्थान का चयन किया है। […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कर्ण के लिए अर्जुन का अन्तिम प्रश्न कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-८४ December 25, 2011 / December 25, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (कर्ण-वध के कारण अर्जुन का विषाद) पिछले अठारह दिनों का कोलाहल अकस्मात ही निःस्तब्ध सायंकाल में परिवर्तित हो गया है। रात्रि के साथ विषाद की काली छाया समस्त पृथ्वी को अपने आप में समा लेने को आतुर है। मनुष्य रूप में धरती पर जन्म लेनेवाले सद्असद् जीव, आत्मा रूप में अचर-अगम ब्रह्मांड […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कर्ण-वध के कारण अर्जुन का विषाद कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-८३ December 24, 2011 / December 24, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी-पुत्रों की हत्या) गदायुद्ध में नियमतः कटि के नीचे किसी भी प्रकार का प्रहार वर्जित था। बलराम के अनुसार भीम ने नियम भंग किया था। दुर्योधन उनका सर्वप्रिय शिष्य था। उसके पतन ने बलराम का विवेक हर लिया। अपना हल लेकर चिल्लाते हुए भीम की ओर दौड़े – “कटि के […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी-पुत्रों की हत्या कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-८१ December 20, 2011 / December 20, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (शल्य और शकुनि-वध) कुरुक्षेत्र की घटनाओं से अप्रभावित सूरज, युद्ध के अठारहवें दिन भी वृक्षों के शीर्ष से झांकता हुआ पूरब के क्षितिज पर उदित हुआ। दुर्योधन ने सेनापति के रूप में हमारे मातुल शल्य का अभिषेक किया था। अपनी सेना के लिए सर्वतोभद्र नामक व्यूह की रचना के साथ वे अग्रिम […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कहो कौन्तेय शल्य और शकुनि-वध
साहित्य कहो कौन्तेय-८० December 18, 2011 / December 18, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (कर्ण-वध) भगवान शंकर का स्मरण कर मैंने पाशुपतास्त्र गाण्डीव पर चढ़ाया, मंत्र पढ़ा और कर्ण पर प्रक्षेपित करने का निर्णय लिया। लेकिन यह क्या? वह तूणीर और धनुष को संभालता हुआ रथ से कूद पड़ा। मैंने समझा, अपने रथ के स्थिर हो जाने के कारण वह दौड़कर भागना चाह रहा है। लेकिन […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कर्ण-वध कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-७९ December 17, 2011 / December 16, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा अपने ज्येष्ठ भ्राता के वध को अन्य भाई सह नहीं सके। उन्माद के अतिरेक में निषंगी, कवची, पाशी, दण्डधर, धनुर्धर, अलोलुप, सह, वातवेग और सुवर्चा – ये दस धृतराष्ट्र नन्दन एक साथ भीम पर टूट पड़े। क्रोध में भरे हुए भीम उस दिन साक्षात काल के समान प्रतीत हो रहे थे। उन्होंने […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-७७ December 14, 2011 / December 14, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा अहिंसक मत्यु दंड और अहिंसक आत्मघात इधर भीमसेन अत्यन्त प्रचण्ड वेग से कौरव सेना को रौंदते हुए आगे बढ़ रहे थे। उनके प्रचण्ड वेग को सह सकने में कोई भी धृतराष्ट्र पुत्र समर्थ नहीं था। वे ऊंचे स्वर में दुर्योधन को पुकार रहे थे। अचानक संदेशवाहक ने कर्ण के हाथों युधिष्ठिर के […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey अहिंसक मत्यु दंड और अहिंसक आत्मघात कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-७६ December 14, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा कर्ण-युधिष्ठिर युद्ध महासंग्राम का सत्रहवां दिन। मुस्कुरता हुआ सूर्य आज भी उदित हुआ। अभी तक एक दिन भी धुंध या मेघों ने सूर्य और कुरुक्षेत्र के बीच आने का साहस नहीं किया था। अपनी सेनाओं का उत्साह बढ़ाने के बाद श्रीकृष्ण के साथ मैंने कौरव सेना पर दृष्टि डाली। उत्साह से भरा […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कर्ण-युधिष्ठिर युद्ध कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-७५ December 12, 2011 / December 12, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा दुर्योधन और कर्ण की पराजय युद्ध हो या शान्ति, हवा बहती ही है, फूल खिलते ही हैं, सुगंध फैलती ही है। अन्तर इतना ही होता है कि शान्ति काल में हम उसकी अनुभूति कर पाते हैं, युद्ध काल में विस्मृत कर देते हैं। हवा का एक तेज झोंका कुरुक्षेत्र के समीपवर्ती अरण्य […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey vकहो कौन्तेय दुर्योधन और कर्ण की पराजय
साहित्य कहो कौन्तेय-७२ December 5, 2011 / December 5, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (कुरुक्षेत्र में नियम विरुद्ध प्रथम रात्रि-युद्ध) जयद्रथ-वध से द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, दुर्योधन आदि समस्त कौरव योद्धा क्षुब्ध हो उठे। द्रोणाचार्य ने प्रतिक्रिया में रात्रि-युद्ध की घोषणा कर दी। सूर्योदय के पश्चात युद्ध-विराम का नियम उन्हीं की उपस्थिति में बनाया गया था। लेकिन आज सभी कौरव योद्धा विक्षिप्तों जैसा आचरण कर रहे […] Read more » episodes of mahabharta कुरुक्षेत्र में नियम विरुद्ध प्रथम रात्रि-युद्ध
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-५४ November 6, 2011 / December 5, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (संजय को श्रीकृष्ण और अर्जुन का उत्तर) विपिन किशोर सिन्हा श्रीकृष्ण हमारे लिए भगवान बन चुके थे। वे हमारे प्रत्येक कार्य के कारक और नियंत्रक की भूमिका में आ चुके थे। वे हम पांचो भ्राताओं और द्रौपदी के आत्मबल थे। संकट के समय लगता था, कृष्ण ही एकमात्र संबल हैं। संजय के कुटिल प्रस्ताव का […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-५३ November 5, 2011 / December 5, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on कहो कौन्तेय-५३ विपिन किशोर सिन्हा (शान्ति-प्रस्ताव पर विचार-विमर्श) पुरोहित जी महाराज द्रुपद के निर्देशानुसार पूर्व सूचना देकर महाराज धृतराष्ट्र की सभा में उपस्थित हुए। उन्होंने कुशल क्षेम आदान-प्रदान करने के बाद पितामह भीष्म, द्रोण, महात्मा विदुर, कृपाचार्य, कर्णादि के सम्मुख शान्तिपूर्ण ढंग से इन्द्रप्रस्थ के हस्तान्तरण का प्रस्ताव रखा। पितामह पुरोहित जी की बात से सहमत थे। […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कहो कौन्तेय